Tuesday, November 5, 2024
Homeविविध विषयअन्यफिल्म देखो, समीक्षा लिखो और समझो कैसे प्रेम के नाम पर फँसाते हैं: बच्चियों...

फिल्म देखो, समीक्षा लिखो और समझो कैसे प्रेम के नाम पर फँसाते हैं: बच्चियों को लव जिहाद से बचाने के लिए ‘द केरल स्टोरी’ दिखा रहे चर्च

सिरो मालाबार चर्च के इडुक्की सूबा ने इस फिल्म को 10वीं और 12वीं तक के बच्चों को दिखवाया। इस दौरान उन्हें लव जिहाद पर पुस्तिकाएँ भी वितरित कीं। साथ ही उनसे कहा गया कि वह इस फिल्म की समीक्षा लिखें कि कैसे ये फिल्म बाकी फिल्मों से अलग है।

लव जिहाद पर बनी ‘द केरल स्टोरी’ पिछले साल काफी विवादों में थी। इस्लामी-लिबरल लोग नहीं चाहते थे कि इसे पर्दे पर रिलीज किया जाए। कुछ नेताओं ने तो इसे प्रोपगेंडा तक कह दिया गया था। हालाँकि इस फिल्म का असर कितना व्यापक था इसे इस बात से समझ सकते हैं कि एक साल बाद भी ये प्रासंगिक है। हाल में केरल के ईसाई चर्चों द्वारा इस फिल्म की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया गया ताकि बच्चों को प्रेम के नाम पर होने वाले नुकसानों का पता चल सके।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल के सिरो मालाबार चर्च के इडुक्की सूबा ने इस फिल्म को 10वीं और 12वीं तक के बच्चों को दिखवाया। इस दौरान उन्हें लव जिहाद पर पुस्तिकाएँ भी वितरित कीं। साथ ही उनसे कहा गया कि वह इस फिल्म की समीक्षा लिखें कि कैसे ये फिल्म बाकी फिल्मों से अलग है। इसके अलावा इस पुस्तिका में ये भी जानकारी थी कि किस तरह से लड़कियों को प्रलोभन देकर फँसाया जाता है।

इडुक्की सूबे के इस फैसले पर जहाँ सिरो मालाबार चर्च के पूर्व प्रवक्ता ने अपनी आपत्ति जताई और फिल्म को प्रोपगेंडा करार दिया। वहीं ईसाई सूबा के मीडिया प्रभारी फादर जिन्स केराक्कट ने कहा कि वे हर साल छुट्टियों में बच्चों के लिए एक गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इस कार्यक्रम के लिए बच्चों से जुड़े कुछ विशिष्ट विषयों का चयन किया जाता है और इसके लिए किताबें तैयार की जाती हैं।

फादर जिन्स केराक्कट ने आगे कहा, “इस बार बच्चों के लिए यह कार्यक्रम 2, 3 और 4 अप्रैल को आयोजित किया गया। इस दौरान 10, 11 और 12 कक्षा के बच्चों के लिए तैयार की गई पाठ्यपुस्तकों का विषय प्रेम संबंध था… इस विषय को चुनने का मकसद किशोर उम्र के बच्चों में प्यार में पड़ने और उसके परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाना था।”

फिल्म की स्क्रीनिंग पर फादर जिन्स ने कहा कि ‘द केरल स्टोरी’ को देश में प्रतिबंधित नहीं किया गया है और इसलिए फिल्म का प्रदर्शन करना गलत नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने ये फिल्म किसी मजहब से जोड़कर नहीं दिखाई। मुद्दा सिर्फ प्रेम था जिसपर हमने छात्रों से फिल्म देखने के बाद बात करने को कहा। वो इस पर चर्चा करेंगे।”

इडुक्की सूबे के बाद सिरो मालाबार चर्च के थामारास्सेरी सूबा ने बच्चों को इस फिल्म को दिखाने का निर्णय लिया। इस संबंध केरल थमारसेरी सूबा ने घोषणा की कि वे शनिवार से सभी केरल कैथोलिक यूथ मूवमेंट की यूनिट में फिल्म दिखाएँगे। उन्होंने कहा कि ये फिल्म राज्य में प्रतिबंधित नहीं है ऐसे में इसकी स्क्रीनिंग करवाना कुछ गलत नहीं है। सूबा ने यह भी तर्क दिया कि उन्होंने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि मुख्यमंत्री ने भी राज्य में आतंकवादी समूहों के लिए संगठित भर्ती के बारे में खुलकर बात की थी।

दूरदर्शन पर दिखाई गई ‘द केरल स्टोरी’

बता दें कि पिछले दिनों सीपीएम और कॉन्ग्रेस के भारी विरोध के बावजूद दूरदर्शन पर सुदीप्तो सेन ‘द केरल स्टोरी’ का प्रसारण हुआ। इसके विरोध में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा ध्रुव राठी की वीडियो चलाई गई जिसमें बताया जा रहा था कि केरल स्टोरी सच्ची है या झूठी। यूथ कॉन्ग्रेस ने भी इसका विरोध किया। इसके खिलाफ शिकायतें हुई, लेकिन दूरदर्शन ने अपना निर्णय नहीं बदला। इस पर केरल सीएम ने उन्हें भाजपा की प्रोपगेंडा मशीन तक कह डाला, लेकिन फिल्म का प्रसारण होकर रहा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिस ईमान खलीफ का मुक्का खाकर रोने लगी थी महिला बॉक्सर, वह मेडिकल जाँच में निकली ‘मर्द’: मानने को तैयार नहीं थी ओलंपिक कमेटी,...

पेरिस ओलंपिक में महिला मुक्केबाजी में ईमान ने गोल्ड जीता था। लोगों ने तब भी उनके जेंडर पर सवाल उठाया था और अब तो मेडिकल रिपोर्ट ही लीक होने की बात सामने आ रही है।

दिल्ली के सिंहासन पर बैठे अंतिम हिंदू सम्राट, जिन्होंने गोहत्या पर लगा दिया था प्रतिबंध: सरकारी कागजों में जहाँ उनका समाधि-स्थल, वहाँ दरगाह का...

एक सामान्य परिवार में जन्मे हेमू उर्फ हेमचंद्र ने हुमायूँ को हराकर दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा कर लिया। हालाँकि, वह 29 दिन ही शासन कर सके।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -