स्विस बैंकों में खाता रखने वाले अपने नागरिकों की जानकारी भारत को मिलनी शुरू हो गई है। एक सितंबर से भारत और स्विट्जरलैंड के बीच बैंकिंग सूचनाओं के स्वतः आदान-प्रदान के समझौते के प्रभावी होने के बाद पहली बार जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इन सूचनाओं का विश्लेषण किया जा रहा है। ये जानकारी उन खातों से जुड़ी है जिन्हें कार्रवाई के डर से पहले ही बंद करा दिया गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जो जानकारी मिली है उनमें इन खाताधारकों की पहचान तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध होने का अनुमान है। बैंक अधिकारियों के हवाले से बताया है कि स्विट्जरलैंड की सरकार के निर्देश पर वहॉं के बैंकों ने आँकड़े भारत को सौंपे हैं। इसमें हर उस खाते में लेन-देन का पूरा विवरण है जो 2018 में एक भी दिन सक्रिय रहे हैं। इससे काला धन जमा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई में काफी मदद मिल सकती है।
बताया जाता है कि काला धन के खिलाफ मोदी सरकार की मुहिम को देखते हुए बीते कुछ सालों में स्विस बैंकों में काफी संख्या में खाते बंद कर उनमें जमा पैसा निकाले गए हैं। भारतीयों के भी कम से कम 100 ऐसे पुराने खाते हैं जिन्हें 2018 से पहले ही बंद करा दिया गया था। ये खाते वाहन कल-पुर्जा, रसायन, वस्त्र, रीयल एस्टेट, हीरा एवं आभूषण, इस्पात आदि कारोबार से जुड़े लोगों से संबंधित बताए जाते हैं।
गौरतलब है कि लोकसभा में इसी साल जून में वित्त मामलों की स्थायी समिति की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि 1980 से लेकर साल 2010 के बीच भारतीयों ने 246.48 अरब डॉलर से लेकर 490 अरब डॉलर के बीच काला धन देश के बाहर भेजा था। एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम के अध्ययन के आधार पर समिति ने यह आकलन किया था।