रविवार को भारत और पाकिस्तान एक बार फिर एक दूसरे से भिड़ेंगे। यह विश्व कप में भारत का सातवाँ मुकाबला होगा पाकिस्तान से और अब तक सभी मुकाबले भारत ने जीते हैं। बहुत सारे लोग इसको विश्व कप का एक और मुकाबला कह रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है। जब भी भारत और पाकिस्तान एक दूसरे से मिलते हैं तो दोनों देशों के प्रशंसक अति उत्साहित हो जाते हैं और ऐसा लगता है कि जैसे युद्ध आरंभ होने वाला है।
पता नहीं ऐसा क्या है कि जब भी भारत-पाकिस्तान एक दूसरे से विश्वकप में भिड़े हैं पाकिस्तान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दे पाता। हम सभी को याद है कि कैसे 80 और 90 के दशकों में पाकिस्तान भारत को हराया करता था खासतौर पर शारजाह में जहाँ कई बार ऐसा लगा कि अंपायर पाकिस्तान को मदद कर रहे हैं।
मुझे अच्छी तरह याद है 1992 का मुकाबला जब पहली बार भारत पाकिस्तान विश्वकप में भिड़े थे। यह भारत बनाम पाकिस्तान, सचिन तेंदुलकर और मेरा, तीनों का पहला विश्व कप था। वह विश्व कप जिसकी वजह से क्रिकेट मेरे लिए धर्म बन गया। वह मुकाबला मुझे अच्छी तरह याद है, भारत ने पहले बल्लेबाजी की थी और एक खराब शुरुआत, श्रीकांत के रूप में पहला विकेट जल्दी गिरने के बावजूद भारत ने अच्छा स्कोर खड़ा किया था। इस अच्छे स्कोर का श्रेय अजय जडेजा, सचिन तेंदुलकर, और कपिल देव को जाता है। खास तौर पर सचिन तेंदुलकर और कपिल देव जिन्होंने आखरी कुछ ओवर में ताबड़तोड़ बैटिंग करते हुए भारत का स्कोर 200 के पार पहुँचा दिया। उन दिनों में 200 के ऊपर का लक्ष्य भी बहुत अच्छा माना जाता था।
पाकिस्तानी जब बल्लेबाजी करने आए तो उन्होंने भी पहला विकेट जल्दी गँवा दिया था। मुझे याद है कि इंजमाम उल हक कितना पतला हुआ करता था उस समय। सोहेल और मियांदाद के बीच एक अच्छी साझेदारी हुई थी पर उसको तेंदुलकर ने तोड़ दिया जब सोहेल ने कैच श्रीकांत को दे दिया। मियांदाद अपनी हरकतों के लिए बहुत मशहूर है उसमें भी उन्होंने एक ऐसी हरकत की जिसके लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है। किरण मोरे की लगातार अपील करने की वजह से मियांदाद खिसिया गए थे और मेंढक की तरह उछलने लगे। इस हरकत की वजह से अजहरुद्दीन ने तुरंत ही अंपायर डेविड शेफर्ड को कहा कि यह गलत हो रहा है और डेविड शेफर्ड ने तुरंत मियांदाद को समझाया कि वह इस तरह की हरकत ना करें। इस मैच में सचिन ने मैन ऑफ द मैच जीता।
1996 में भारत का पाकिस्तान से मुकाबला बेंगलुरु में हुआ। उस समय सोशल मीडिया नहीं हुआ करता था, तो हमारे घर में दैनिक जागरण आया करता था। शुरू से मेरी आदत थी कि सुबह उठते ही सबसे पहले खेलकूद का पन्ना मुझे मिल जाए और उस समय हालात तो यह थे कि मुकाबले के ३ दिन पहले से ही, तीन से चार पन्ने केवल भारत और पाकिस्तान के मुकाबले के बारे में हुआ करते थे। इतना बेहतरीन विश्लेषण होता था उसमें कि लगता था जैसे सब कुछ मेरे सामने हो रहा है ।
मुकाबला शुरू हुआ था तो मुझे लगा था जैसे कि तेंदुलकर से कहा गया है कि वह आराम से खेलें और पूरे 50 ओवर खेल कर वापस आएँ। उस समय हालात ऐसे हुआ करते थे कि सचिन आउट तो पूरी टीम आउट। शायद इसीलिए उनको कहा गया था कि वह ज्यादा से ज्यादा समय विकेट पर टिककर बताएँ। दूसरी छोर पर सिद्धू थे जिन्हें स्पिन गेंदबाजी खेलने का बहुत अनुभव था। हालांकि सचिन जल्दी आउट हो गए पर सिद्धू ने रन गति बनाए रखी। मध्यक्रम के बल्लेबाजों ने भले ही 25-30 रन बनाए पर उन्होंने बखूबी सिद्धू का साथ दिया। आखरी तीन ओवर में तो कमाल ही हो गया, जडेजा ने कुंबले और श्रीनाथ की सहायता से आखिरी 3 ओवर में 51 रन जोड़े भारत के खाते में। शायद वकार यूनुस की पिटाई पहले कभी इतनी नहीं हुई थी और ना ही कभी आगे हुई। उनके आखिरी दो ओवर में 22 और 18 रन चुराए भारतीय बल्लेबाजों ने।
खेल का असली रोमांच पाकिस्तान की पारी में आया। एक बेहद शानदार शुरुआत सईद अनवर और आमिर सोहेल ने पाकिस्तान को दी। दोनों ने मिलकर 11ओवरों में 88 रन जोड़ दिए, पूरे स्टेडियम में केवल शांति छाई हुई थी। तभी एक गलती कर बैठे सोहेल, प्रसाद की गेंद पर चौका मारने के बाद उन्होंने प्रसाद को बोला कि वह गेंद लेकर आए बाउंड्री से। उस समय रवि शास्त्री और इमरान खान कमेंट्री बॉक्स में कमेंट्री कर रहे थे। मुझे याद है कि इमरान खान बहुत प्रफुल्लित होकर इस दृश्य को बयां कर रहे थे टीवी पर और रवि शास्त्री उस समय एकदम मौन थे। अगली गेंद पर सोहेल ने फिर से कसकर मारना चाहा पर वह गेंद सीधे उनके विकेटों पर जा लगी। सोहेल का चेहरा देखने लायक था और प्रसाद तो पूरी फॉर्म में थे, उन्होंने शायद पहली बार हिंदी में गालियाँ दी थी। केवल मैदान पर ही नहीं कमेंट्री बॉक्स में भी माहौल बदल गया था। अब बारी थी रवि शास्त्री की थी और वह फूले नहीं समा रहे थे खेल का विवरण देते हुए, वहीं इमरान खान अब एकदम शांत हो गए थे।
यह एक अलग ही तरह का अनुभव था, सचिन तेंदुलकर ने शोएब अख्तर की गेंद पर जो छक्का लगाया था 2006 के विश्व कप में शायद वही एक ऐसा पल होगा जो प्रसाद की उस गेंद का मुकाबला कर सके। सिद्धू को उनकी 93 रन की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच मिला।
1999 का मुकाबला कारगिल के युद्ध के दौरान हुआ था। दबाव ज्यादा भारतीय खिलाड़ियों पर था क्योंकि सीमा पर जवान जो लड़ रहे थे वह भी चाहते थे कि भारत जीते। कारगिल का युद्ध भारत ने नहीं शुरू किया था, यह युद्ध पाकिस्तान की तरफ से शुरू हुआ था जब उन्होंने अपने कुछ घुसपैठिये भारत की सीमा के अंदर भेजे थे। यह शायद पहला ऐसा मुकाबला भी था भारत और पाकिस्तान के बीच जब सीमा पर भारी तादाद में मीडियाकर्मी पहुँचे हुए थे और इंतजार कर रहे थे भारत की जीत का ताकि वह सेना के जवानों का जोश देख सकें। इस मुकाबले में भी भारत ने पाकिस्तान को बहुत ही आसानी से हरा दिया। 47 रन की जीत वह भी तब जब भारत ने केवल 227 रन का स्कोर खड़ा किया था। इस मैच में भी प्रसाद छाए रहे और उन्होंने 5 पाकिस्तानी बल्लेबाजों को आउट कर दिया था। इस प्रदर्शन के लिए प्रसाद को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला।
2003 में भारत पाकिस्तान फिर से आपस में भिड़े और 1 साल पहले ही यह पता चल गया था कि दोनों किस तारीख को एक दूसरे से भिड़ेंगे। शिवरात्रि का दिन था और पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करके 273 रन का लक्ष्य दिया भारत को। सचिन तेंदुलकर जो पिछले 11 दिन से सो नहीं पाए थे केवल यह सोचकर कि भारत और पाकिस्तान का मुकाबला होगा तो वह कैसे बल्लेबाजी करेंगे, खासतौर पर उन गेंदबाजों के खिलाफ जो कि उस समय के सर्वश्रे्ठ गेंदबाजों में से एक थे। पर बल्लेबाजी आने पर जो धुनाई की उन्होंने पाकिस्तानी गेंदबाजों की वह आज तक कोई भूल नहीं पाया है। विश्व कप के ठीक पहले शोएब अख्तर ने कहा था कि सचिन तेंदुलकर तेज गेंदबाजी को सही से नहीं खेल पाते और उस मैच में सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा धुनाई उन्हीं शोएब अख्तर की थी। शोएब के पहले ओवर में सचिन ने पहले तो अपर कट मार के छह रन लिए, उसके बाद दो बेहतरीन टाइमिंग के साथ चौके मारे, भारत का स्कोर 2 ओवर में 27 रन। गुरु को देखकर शिष्य ने भी बल्ला चलाना शुरू किया, और सहवाग ने वकार यूनुस की गेंद पर छक्का ठीक उसी अंदाज में मारा जैसे सचिन ने शोएब को मारा था। भारत केवल 5 ओवर में 50 रन पार कर गया था।
सचिन ने कुल 98 रन बनाए थे केवल 75 गेंदों में। युवराज सिंह और राहुल द्रविड़ ने मिलकर भारत को लक्ष्य चार ओवर पहले ही पूरा कर लिया। सचिन एक बार फिर से मैन आफ द मैच घोषित किए गए।
भारत और पाकिस्तान का पांचवा मुकाबला 2011 के विश्व कप में मोहाली में हुआ। यह विश्व कप का सेमीफाइनल था और जो टीम जीतती वो फाइनल में श्रीलंका के साथ खेलती। भारत ने पहले बल्लेबाजी की और सहवाग ने अपने ताबड़तोड़ अंदाज में भारत को बेहतरीन शुरुआत दी। मैच में रोमांच केवल खिलाड़ी नहीं बल्कि अंपायर और डीआरएस भी ला सकते हैं यह उसी दिन पता चला। सईद अजमल की गेंद पर सचिन तेंदुलकर को अंपायर ने पगबाधा करार दिया। सचिन ने गंभीर विचार विमर्श करके डीआरएस लिया और जब तीसरे अंपायर ने डीआरएस की मदद से देखा की गेंद पिच पर पड़ कर विकेट को बिना छुए निकल रही है तो उन्हें नाबाद घोषित कर दिया। यह सब एक बड़ी स्क्रीन पर दर्शकों को भी दिख रहा था और जब यह दिखा की गेंद विकेट को छू कर नहीं जा रही तो उस समय जो शोर हुआ वह सुनने लायक था। कमाल की बात यह है कि अगली गेंद पर सचिन के खिलाफ स्टंपिंग की अपील हुई और फिर से तीसरे अंपायर ने नाबाद घोषित कर दिया। दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता था क्योंकि दोनों समय सब कुछ बड़ी स्क्रीन पर देख रहा था। अजमल आज तक नहीं समझ पाए कि डीआरएस उनके पगबाधा की अपील को खारिज कैसे कर सकता है।
उस मैच में सचिन को करीब चार से पाँच जीवनदान मिले थे, जिनकी मदद से सचिन ने 85 रन आउट होने से पहले बनाए। पारी के अंत में सुरेश रैना ने कुछ जबरदस्त शॉट लगाकर भारत के स्कोर को 250 के पार पहुँचाया। जब भारत की गेंदबाजी की बारी आई तो गेंदबाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। भारत ने पाँच गेंदबाजों का उपयोग किया था उस मैच में और पाँचों ने दो-दो विकेट लिए। यह मैच मुनाफ पटेल का जिक्र किए बिना पूरा नहीं हो सकता, उनकी एक गेंद अब्दुल रज्जाक को रुक कर आई और वो विकेट ले उड़ी। यह एक बेहतरीन गेंद थी और शायद मुनाफ पटेल ने अपने जीवन में इससे बेहतरीन गेंद शायद ही फेंकी हो। सचिन को तीसरी बार मैन आफ द मैच का पुरस्कार मिला। ये उनका विश्व कप का नौवां और आखिरी मैन आफ द मैच पुरस्कार था।
2015 का मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच उस विश्व कप का उनका पहला मुकाबला भी था। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 300 रनों का लक्ष्य दिया पाकिस्तान को। भारत बनाम पाकिस्तान के विश्व कप इतिहास में पहली बार किसी भारतीय बल्लेबाज ने 100 रन का आँकड़ा पार किया। जी हाँ, विराट कोहली भारत के ऐसे पहले बल्लेबाज, छह मुकाबलों के बाद बने जो पाकिस्तान के विरुद्ध शतक लगा पाया। पाकिस्तान ने केवल 47 ओवर में ही समर्पण कर दिया, उनकी पूरी टीम केवल 224 रन ही बना पाई। ऐसा आमतौर पर देखा गया है कि जब लक्ष्य का पीछा करना हो तो पाकिस्तानी बल्लेबाज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दे पाते और शायद ऐसा ही कुछ इस मुकाबले में भी हुआ। विराट कोहली को उनके शानदार शतक के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला।
अब रविवार को जब भारत पाकिस्तान से भिड़ेगा तो यह वही मैदान होगा जहां पर 1999 में यह दोनों आपस में भिड़े थे। अगर बारिश ने विघ्न नहीं डाला और एक पूरा मैच हुआ तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि भारत पाकिस्तान को एक बार फिर से पटखनी देगा। सभी उम्मीद कर रहे होंगे कि इंद्र देव कृपा बनाकर रखें ताकि एक रोमांचक मुकाबला देखने से कोई भी वंचित ना हो।