संगीतकार और मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और पिछले 6 महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे।
PM Modi condoles demise of Santoor player Pandit Shivkumar Sharma
— ANI Digital (@ani_digital) May 10, 2022
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पं. शिव कुमार शर्मा का निधन आज (10 मई, 2022) प्रातः 8 से 8.30 बजे के करीब हुआ था। वहीं उनका अंतिम संस्कार उनके आवास पाली हिल, बांद्रा पर होगा।
बता दें कि पंडित शिव कुमार शर्मा का सिनेमा जगत में अहम योगदान रहा। वहीं पंडित शिवकुमार शर्मा ने संतूर को एक नए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के तौर पर पहचान दिलाई थी। शिवकुमार शर्मा ने कई फिल्मों में पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर संगीत भी दिया था। बॉलीवुड में ‘शिव-हरी’ नाम से मशहूर शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी ने कई सुपरहिट गानों में संगीत दिया था। इसमें से सबसे प्रसिद्ध गाना फिल्म ‘चाँदनी’ का ‘मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियाँ’ रहा, जो दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी पर फिल्माया गया था। इसके अलावा भी सिलसिला और लम्हे जैसी फिल्मों से इस जोड़ी ने तहलका मचा दिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, पंडित शिव कुमार शर्मा का 15 मई को कॉन्सर्ट होने वाला था। पर अफसोस की इवेंट से कुछ दिन पहले ही उन्होंने आज इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। वहीं उनके निधन पर संगीत जगत के कई दिग्गजों के साथ प्रधानमंत्री मोदी सहित कई नेताओं ने भी उनके निधन पर दुःख व्यक्त किया।
पंडित शिवकुमार शर्मा को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनिया पर गहरा असर पड़ा है। उन्होंने संतूर को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।”
Our cultural world is poorer with the demise of Pandit Shivkumar Sharma Ji. He popularised the Santoor at a global level. His music will continue to enthral the coming generations. I fondly remember my interactions with him. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 10, 2022
बता दें कि पंडित शिव कुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था। उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में संतूर को एक विशेष पहचान दिलाई। बाद में जहाँ उन्होंने बॉलीवुड के लिए संगीत तैयार किया, जिसकी शुरुआत शांताराम की ‘झनक झनक बाजे पायल’ के बैकग्राउंड स्कोर से हुई थी। उन्हें साल 1986 में प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 1991 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। पंडित शर्मा को साल 2001 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
जीवनपर्यन्त संगीत के आराधक रहे शिवकुमार शर्मा ने एक बार संगीत पर बात करते हुए कहा था, “मेरे लिए, संगीत मनोरंजन के लिए नहीं है। ऐसा संगीत बजाना मेरा आजीवन सपना था जब श्रोता ताली बजाना भूल जाएँ, जो उन्हें चुप करा दे। मेरा सपना सच हो गया, एक बार। मैंने एक राग बजाया, जबकि श्रोता गहरे ध्यान में डूबे हुए थे और मैंने विचारहीनता की स्थिति का अनुभव किया। यह मौन इतना पौष्टिक, इतना तृप्त करने वाला था, अब और कुछ भी बजाने की आवश्यकता नहीं थी।”
कश्मीर के एक संगीत की तरफ झुकाव रखने वाले कश्मीरी परिवार में जन्मे और कम उम्र में अपने पिता के साथ संगीत की स्वरलहरियों में दीक्षित, पंडितजी ने जहाँ संतूर में महारत हासिल की वहीं 6 साल की उम्र तक तबला भी बजाया। DNA की एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 साल की उम्र में, उन्होंने जम्मू रेडियो में नौकरी की शुरुआत भी कर दी।
शिव कुमार शर्मा की प्रसिद्धि का पहला बड़ा अवसर 1955 में आया, जब उन्हें मुंबई में वादन के लिए आमंत्रित किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पंडित जी याद करते हुए बताते हैं, “मैंने तबला और संतूर दोनों बजाने पर जोर दिया।” ऐसे में आयोजकों को लगा कि दोनों परफॉर्म करने में मामला बिगड़ सकता है। लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। एक 17 वर्षीय किशोर आधे घंटे तक संतूर और ढोल बजाता रहा। भीड़ पूरे उत्साह में थी। और आयोजकों की सोच के विपरीत, युवा बालक पर लोगों द्वारा ज़बरदस्त प्यार लुटाया।
कहते हैं कि इसके बाद जैसे-जैसे साल बीतते गए, पंडित शिव कुमार शर्मा ने महसूस किया कि वह संतूर के लिए हैं, और उन्होंने अपने जुनून को जीने का फैसला किया और जल्द ही मुंबई चले गए।
वह उस इंटरव्यू में बताते हैं, “मैं अपनी जेब में केवल 500 रुपए लेकर मुंबई आया था, वह मेरे जीवन का दूसरा सबसे बड़ा जुआ था (पहला तबला बजाना छोड़ दिया था)।” उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा वह संगीत की दुनियाँ में विश्वभर में भारत की पताका फहराते रहे।