विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की सफलता आलोचकों को पच नहीं रही। उनका आरोप है कि सरकार इस फिल्म को प्रमोट कर रही है। वे गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे बीजेपी शासित राज्यों में इस फिल्म को टैक्स फ्री करने पर भी सवाल उठा रहे हैं। एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने भी कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को दर्शाने वाली इस फिल्म को मिल रही प्रशंसा के लिए बीजेपी की सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए पूछा है कि क्या कोई बता सकता है कि अपने राजनीतिक विरोधियों को टारगेट करने के लिए भारत सरकार ने एक व्यवसायिक फिल्म को प्रमोट करने के लिए पिछली बार अपना पूरा दमखम कब लगाया था?
जैन के इस ट्वीट के बाद यह बात सामने आई है कि इंदिरा गाँधी की सरकार ने ब्रिटिश फिल्मकार रिचर्ड एटनबरो को फिल्म ‘गाँधी’ बनाने के लिए $10 मिलियन (लगभग ₹75,98,00,000) दिए थे। इसका मकसद था कि ‘गाँधी’ की आड़ लेकर जनता के बीच कॉन्ग्रेस का प्रचार करना।
Genuine q: can anyone recall the last time the Indian state threw its entire weight in promoting a privately produced movie while using it to target its political opponents?
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) March 15, 2022
फिल्म ‘गाँधी’ से जुड़े इस तथ्य से जैन को पॉपुलर ट्विटर यूजर विक्रांत ने अवगत कराया है। उन्होंने लिखा है, ” सन 1980 में तत्कालीन प्रधामंत्री इंदिरा गाँधी ने फिल्म गाँधी बनाने के लिए रिचर्ड एटनबरो को $7 मिलियन का फण्ड मुहैया करवाया था। इस फिल्म की स्क्रिप्ट विशेष तौर पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा परखी गई थी। इस फिल्म का उद्देश्य गाँधीवाद और आज़ादी की लड़ाई में कॉन्ग्रेस के योगदान का महिमामंडन करना था।”
1980 – PM Indira Gandhi financed ($7 Million) to Richard Attenborough for making the Movie Gandhi
— Vikrant ~ विक्रांत (@vikrantkumar) March 15, 2022
The Script was especially vetted by I&B ministry
The idea was to capture Indian mind with Gandhism & glorify the role of Congress in freedom struggle
We are still paying for it.. https://t.co/CfW69Hqb2X
विक्रांत द्वारा किए गए दावे के मुताबिक गाँधी फिल्म को प्रोड्यूस करने वाली संस्थाओं में नेशनल फिल्म डेवलोपमेन्ट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (NFDC) भी शामिल था। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्थ आने वाली यह संस्था सन 1975 से भारतीय सिनेमा को प्रचारित कर रही है। सन 1982 में NFDC के अध्यक्ष DVS राजू थे। फिल्म ‘गाँधी’ की प्रोडक्शन कंपनियों में से एक NFDC थी। सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, फिल्म की सह-निर्माता रानी दूबे ने प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम से 10 मिलियन डॉलर देने के लिए राजी किया था।
एटनबरो द्वारा निर्मित और निर्देशित यह फिल्म भारत में 30 नवंबर 1982 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म में अंतिम ब्रिटिश वायसराय लार्ड लुईस माउंटबेटन और लंदन में भारत के उच्चायुक्त रहे मोतीलाल कोठारी को भी श्रद्धांजलि दी गई है। मोतीलाल कोठारी गाँधी और नेहरू के प्रबल समर्थक भी थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म ‘गाँधी’ को बनाने के 2 प्रयास पहले भी हो चुके थे। यह डायरेक्टर एटनबरो का ड्रीम प्रोजेक्ट भी था। हंगरी के फिल्म प्रोड्यूसर गाब्रिएल पास्कल ने इससे पहले 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से गाँधी पर फिल्म बनाने की इच्छा जताई थी। साल 1954 में पास्कल की मृत्यु हो जाने के चलते यह फिल्म नहीं बन पाई। बाद में लुईस माउंटबेटन के माध्यम से रिचर्ड एटनबरो भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गाँधी से साल 1962 में मिले। तब नेहरू ने एटनबरो को फिल्म बनाने की अनुमति और इसके लिए धन जुटाने का भी भरोसा दिलाया था। साल 1964 में नेहरू की मृत्यु हो जाने के बाद एक बार फिर से यह फिल्म नहीं बन पाई थी।
लेकिन एटनबरो ने हार नहीं मानी। साल 1976 में उन्होंने इस प्रोजेक्ट को वार्नर ब्रदर्स के साथ पूरा करने का मन बनाया। उसी समय इंदिरा गाँधी ने भारत में आपातकाल घोषित कर दिया। इस तरह से एक बार फिर से यह फिल्म नहीं बन पाई। आखिरकार 20 साल बाद इंदिरा गाँधी ने न सिर्फ यह फिल्म बनाने की अनुमति दी, बल्कि इसके लिए पैसे की भी व्यवस्था की। इंदिरा गाँधी से $10 मिलियन कम पड़ने की बात कह कर रानी दुबे ने माँगे थे।