महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बॉलीवुड अभिनेत्री सारा अली खान एक बार फिर से कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। उनकी गलती यही है कि उन्होंने भगवान शिव के ओंकारेश्वर मंदिर में बैठकर माथे पर बिंदी, चंदन लगाकर फोटो खींची और उसे इंस्टाग्राम पर डाल दिया। अब यही तस्वीर कट्टरपंथियों को रास नहीं आ रही और वे उन पर उंगली उठा रहे हैं।
अहमद बलोच, सारा अली को लिखते हैं, “मुनाफिक! न तुम मुस्लिम न तुम हिंदू।” मोहम्मद शोएब ने उन्हें ‘लानत’ भेजी। वहीं एक अन्य यूजर ने उन्हें लिखा मुसलमान होकर ऐसे काम करती हो शर्म नहीं आती। रहमान जावेद ने लिखा, “तू मुस्लिम है।”
अगली यूजर ने पूछा, “तुम किस तरह की मुसलमान हो। ये सब शिर्क में आता है।” सुमैया ने कहा, “तुम्हारे अब्बा मुसलमान हैं और तुम हिंदू।”
अजीम सैफी ने सारा से पूछा “नमाज पढ़ी है क्या आपने कभी?”
नोफल यासीन ने लिखा, “नाम मुस्लिम वाला हरकत हिंदू की। तुम मुसलमान हो भी या नहीं। शर्म नहीं आती क्या।”
मनोमेहर सारा को ज्ञान देते हैं, “हाय… आप मुस्लिम हो। आप फिल्म में काम करती हो शॉर्ट्स पहनती हो समझ आता है। लेकिन प्लीज शिर्क तो न करें। तुम्हें समझ क्यों नहीं आता। तुम्हें मालूम है न इस दुनिया के बाद भी एक दुनिया है जो हमेशा रहेगी। यहाँ हम बस कुछ समय के लिए हैं। मुस्लिमों की जिंदगी मरने के बाद शुरू होती हैं। और यही सच्चाई है। समझ आई मेरी बात।”
अहमद कहते हैं, “आप एक मुस्लिम होकर ये सब करती हैं। अगर यही करना है तो अपने नाम से खान का टाइटल हटाओ।”
रसीद सैयद कहता है, “रमजाम आ रहा है। देखता हूँ तुम्हारी कितनी वीडियो आती है अल्लाह ताला के लिए।”
अन्य यूजर कहती, “हे सुंदरी। मुस्लिम ये सब नहीं करते। ये तो शिर्क है। अल्लाह दो नहीं है। वे एक ही हैं। इन सबके बाद तुमसे पूछा जाएगा तुमने क्या किया। “
एक कट्टरपंथी ने लिखा, “अस्तगफिरुल्लाह। तौबा-तौबा। ऐ अल्लाह कयामत आजाब से बचाना। आमीन।”
शेहनाम ने लिखा, “तुम लोग कैसे इंसान हो कि नाम में सारा अली हैं और पत्थरों की पूछा करते शर्म आनी चाहिए।”
ट्रोलिंग नहीं, यह विशुद्ध हिंदू-घृणा
हिंदू माँ/बीवी से संबंध वाले सारा अली खान, मोहम्मद कैफ या शाहरुख खान। जिनका ऐसा कोई संबंध नहीं, उनमें मोहम्मद शमी को रख लें या इरफान पठान को। ये सारे लोग आपस में जुड़े हुए हैं। कैसे? ये लोग आए दिन इस्लामी कट्टरपंथियों से गालियाँ सुनते रहते हैं। हिंदू पर्व-त्योहारों पर, मंदिर जाने पर… हैप्पी होली/दिवाली लिखने पर भी। ऐसे पोस्ट में इस्लामी कट्टरपंथियों की खुली चुनौती होती है कि इस्लाम के अलावे कुछ भी नहीं। इसलिए इसे ट्रोलिंग कह कर वामपंथी इसका बचाव नहीं कर सकते।
सोशल मीडिया पर धमकी का यह रूप ही जमीनी हकीकत में इस्लाम के नाम पर मॉब लिंचिंग की ओर ले जाता है। बड़े नाम कट्टरपंथी भीड़ से बच जाते हैं लेकिन किशन भरवाड, हर्षा, रूपेश पांडेय जैसे हम-आप इस आतंकी मानसिकता का शिकार हो जाते हैं। इसलिए यह ट्रोलिंग नहीं है। यह विशुद्ध रूप से हिंदू देवी-देवताओं से घृणा है, हिंदुओं से घृणा है।
“कुछ लोग ऐसा करते हैं, इसको पूरे इस्लाम से मत जोड़िए” – ऐसे तर्कों को हमेशा खारिज करना होगा। जब-जब हिंदू देवी-देवताओं की भक्ति से संबंधित किसी भी पोस्ट पर गाली-गलौच की जाएगी, हम हिंदुओं को उसका विरोध करना होगा। वो ईशनिंदा का सहारा लेकर हत्या तक को जायज ठहराते हैं, हमें विरोध को उस स्तर पर ले जाना होगा, जिससे उनका और उनकी मानसिकता का समूल नाश हो।