एक पिता का सबसे बड़ा दुख क्या होता होगा? शायद, अपने ही जवान बेटे को कंधा देना। एक 6 साल का बच्चा क्या चाहता होगा? शायद माँ-बाप का लाड़ या फिर पसंदीदा खिलौना। एक हँसते-खेलते आदमी को क्या तोड़ देता होगा? शायद, यह पता चलना कि उसके शरीर में कैंसर ने घर कर लिया है।
पर हैदराबाद के उस 6 साल के बच्चे को जब पता चला कि उसकी जिंदगी 6 महीने की ही बची है तो भी वह आत्मविश्वास से भरा था। उसके चेहरे पर मुस्कान थी। मोदी के मंत्री कौशल किशोर ने सार्वजनिक तौर पर भूल का पाश्चाताप किया और यह सुनिश्चित करने की यात्रा पर निकल पड़े कि कोई उनके बेटे की मौत न मरे। कोई बेटी उनकी बहू की तरह विधवा न हो। खबरों की खोज में जमीन नापने वाले पत्रकार रवि प्रकाश (हम जैसों के रवि भैया) कैंसर के अंतिम स्टेज में प्रकाश बिखेर रहे हैं, मानों जीजिविषा कोई शब्द है तो रवि प्रकाश उसका पर्यायवाची।
हैदराबाद के उस अनाम बच्चे की कहानी ट्विटर पर डॉक्टर सुधीर कुमार ने साझा की है, क्योंकि वह बच्चा अब जीवित नहीं है। हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ. कुमार ने बताया है कि चेहरे पर मुस्कान लिए वह बच्चा नहीं चाहता था कि उसके कैंसर की खबर उसके माता-पिता को भी हो। यह दूसरी बात है कि रोग की संवेदनशीलता को देख डॉक्टर ने इसे उसके माता-पिता से नहीं छिपाया। सब कुछ बताया यह कहते हुए कि उसके पास जो भी समय बचा है, उसके साथ बिताइए। उसे खूब खुशियाँ दीजिए।
6-yr old to me: “Doctor, I have grade 4 cancer and will live only for 6 more months, don’t tell my parents about this”
— Dr Sudhir Kumar MD DM🇮🇳 (@hyderabaddoctor) January 4, 2023
1. It was another busy OPD, when a young couple walked in. They had a request “Manu is waiting outside. He has cancer, but we haven’t disclosed that to him+
डॉ. सुधीर ने दुनिया को यह कहानी बताने के लिए उस बच्चे को काल्पिनक नाम मनु दिया है। उन्होंने बताया कि जिस दिन वे उस बच्चे से मिले वह ओपीडी में काफी व्यस्त दिन था। जब मनु अंदर आया तो आत्मविश्वास से भरा था। अपने माता-पिता से कहा कि वह डॉक्टर से अकेले बात करना चाहता है। फिर डॉक्टर से कहा, “मैंने आईपैड पर सब कुछ पढ़ा है। मुझे पता है कि मैं छह महीने ही जीवित रहूँगा। मैंने इसे अपने माता-पिता को नहीं बताया है, क्योंकि वे परेशान होंगे। वे मुझे बहुत प्यार करते हैं। कृपया इसके बारे उन्हें न बताएँ।”
लकवाग्रस्त मनु आठ महीने बाद कैंसर से मर गया। जैसा कि डॉक्टर सुधीर ने बताया है उसकी बात सुन वह अंदर तक हिल गए थे। आज उसी तरह उसकी कहानी ने उस समाज को भीतर तक हिला दिया है, जिसने इसी नए साल पर देखा कि एक लड़की कार में फँसकर दिल्ली की सड़कों पर कई किलोमीटर तक घिसटती रही और उसकी दोस्त उसे छोड़ भाग खड़ी हुई। किसी को बताया तक नहीं।
कौशल किशोर उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से बीजेपी के सांसद हैं। भारत सरकार में राज्यमंत्री हैं। उनका बेटा नशाबाज था। इस देश के उन लाखों माँ-बाप की तरह (जो सोचते हैं कि बिगड़ैल बेटा ब्याह से सही हो जाएगा) कौशल किशोर ने भी बेटे की शादी करवा दी। 2020 में बेटे की मौत हो गई। लेकिन कौशल किशोर इससे टूटे नहीं। नशा मुक्त भारत के संकल्प पर निकल पड़े हैं।
उन्होंने 31 दिसंबर 2022 को एक ट्वीट कर अपनी गलती पर पाश्चाताप तक किया। उन्होंने लिखा, “मैंने एक गलती करके अपने नशा करने वाले लड़के की शादी कर दी, जिसकी वजह से आज मेरी बहू विधवा हो गई। अब कोई और लड़की विधवा ना हो इसलिए अपनी लड़कियों की शादी किसी भी नशा करने वाले व्यक्ति से न करें चाहे वह कितने बड़े पद, पोस्ट पर हो और चाहे कितना ही वह अमीर हो।”
मैंने एक गलती करके अपने नशा करने वाले लड़के की शादी कर दी जिसकी वजह से आज मेरी बहू विधवा हो गई अब कोई और लड़की विधवा ना हो इसलिए अपनी लड़कियों की शादी किसी भी नशा करने वाले व्यक्ति से न करें चाहे वह कितने बड़े पद, पोस्ट पर हो और चाहे कितना ही वह अमीर हो।
— Kaushal Kishore (@mp_kaushal) December 31, 2022
जो देश दुनिया की करीब आधी व्हिस्की पी जाता हो, जिस देश की राजधानी में नए साल पर लोग 45 करोड़ रुपए से अधिक की शराब गटक जाते हों, जिस देश में सेलिब्रिटी के लिए नशा उत्पादों का प्रचार नैतिकता का मसला न हो, जिस देश में नेताओं पर नशा माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगता हो, मुझे नहीं पता नशामुक्ति का कौशल किशोर का अभियान कितना कामयाब होगा। लेकिन जिस दौर में राजनीतिक संकीर्णता सामान्य हो चली है, जिस समयकाल में एक मुख्यमंत्री अपने राज में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों का दाग धोने को कहता है कि ‘जो पिएगा वो मरेगा’, उस दौर में एक मंत्री की यह स्वीकारोक्ति एक सुखद जिद तो है ही।
यही जिद रवि प्रकाश की पहचान है। पत्रकार रहे तो खबर की तह तक पहुँचने की जिद। जब अंतिम स्टेज में कैंसर का पता चला तो उससे हार न मानने की जिद। जिद भी ऐसी कि 21 कीमोथेरेपी के बाद कैंसर के नाम पत्र लिख दिया। लेकिन कैंसर से कोई शिकायत नहीं की। कैंसर को भी प्रिय कहकर संबोधित किया, गोया कैंसर न होकर ठग्गू के लड्डू हो। लिखा, “तुम्हारे साथ रहते हुए करीब सवा साल गुजर गए। कुछ दिनों के असहनीय कष्टों को भूल जाएँ, तो बाकी के महीने शानदार रहे… तुम कितने अच्छे हो। तुम्हारा शुक्रिया। तुमने मेरी जिंदगी बदल दी है।”
मुंबई से राँची वापसी में हम ज़िंदगी की लीज़ कम-से कम तीन महीने और बढ़ाने वाली ख़ुशी के साथ झोला भर दवाइयाँ भी अपने साथ लाते हैं। ताकि, ज़िंदगी की गाड़ी इत्मीनान से चलती रही। ज़िंदाबाद ज़िंदगी। ज़िंदाबाद मेरे डॉक्टर्स। #LivingWithLungCancerStage4 pic.twitter.com/sKWjx1e6tA
— Ravi Prakash (@Ravijharkhandi) January 6, 2023
अब 33वीं कीमोथेरेपी के बाद ट्वीट कर कहा है, “मुंबई से राँची वापसी में हम जिंदगी की लीज कम-से कम तीन महीने और बढ़ाने वाली ख़ुशी के साथ झोला भर दवाइयाँ भी अपने साथ लाते हैं। ताकि, जिंदगी की गाड़ी इत्मीनान से चलती रही। जिंदाबाद जिंदगी। जिंदाबाद मेरे डॉक्टर्स।”
मनु हो, कौशल किशोर या रवि प्रकाश ये द्योतक हैं जिंदगी की पवित्रता के। यह पवित्रता ही इस समाज का संबल है। हमारे भीतर के मानवता का बोध है।