अमेरिकी वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला (Tesla) भारत में आने के लिए तैयार है, लेकिन इसको लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कड़ा और दो टूक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि टेस्ला का भारत में स्वागत है, लेकिन कंपनी की चीन में गाड़ियाँ बनाकर भारत में बेचने की अवधारणा पचने वाली नहीं है। भारत बहुत बड़ा बाजार है और भारत में टेस्ला का संयत्र यहीं स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर भारत में कंपनी के प्रमुख के साथ हाल ही में बातचीत हुई थी।
न्यूज18 के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा, “टेस्ला का भारत में स्वागत है, हमें कोई समस्या नहीं है। भारतीय बाजार बहुत बड़ा बाजार है। भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का कारोबार 7.5 लाख करोड़ रुपए का है। पूरी दुनिया में सभी प्रतिष्ठित ब्रांड (बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, हुंडई, टोयोटा, वोल्वो, होंडा) यहाँ हैं।”
गडकरी के मुताबिक, एलन मस्क चीन में कार का निर्माण कर उसे भारत में बेचना चाहते हैं। एलन मस्क कार बनाने का अपना संयंत्र यहाँ शुरू कर सकते हैं। इसके लिए यहाँ पर उन्हें सभी तरह के सहायक उपकरण मिलेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर टेस्ला भारत में कारों का निर्माण कर उसे यहाँ बेचती है तो उसे अच्छी बिक्री होगी। उन्होंने कहा, “अगर आप यहाँ से शुरू करते हैं तो आपका स्वागत है, कोई बात नहीं। लेकिन चीन में निर्माण और भारत में बिक्री हम सभी के लिए एक सुपाच्य अवधारणा नहीं है।”
गडकरी के मुताबिक, भारत में टेस्ला के प्रमुख से उनकी 3-4 दिन पहले ही बातचीत हुई थी और उन्होंने टेस्ला को भारत में ही गाड़ियों का निर्माण करने के लिए समझाया था। हालाँकि, आखिरी फैसला उन पर निर्भर है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि टेस्ला ने भारत में अच्छा टैक्स बेनिफिट नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “हमारे पास एक कंपनी नहीं है, हमारे पास भारतीय बाजार में मौजूद सभी वैश्विक दिग्गज हैं। अगर एक कंपनी को लाभ दिया गया तो दूसरी कंपनियों को भी देना होगा। ये एक प्रैक्टिकल समस्या है।”
ग्रीन हाईड्रोजन भविष्य का ईंधन
नितिन गडकरी का कहना है कि अगले दो साल में इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोत्तरी होते ही इलेक्ट्रिक टू, थ्री और फोर व्हीलर की कीमतें पेट्रोल गाड़ियों के बराबर हो जाएँगी। दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में ई-गाड़ियों का चलन बढ़ा है। देश में ही लिथियम ऑयन बैट्री भी बन रही है और देश ग्रीन हाइड्रोजन की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यही भविष्य का ईंधन है और इसे ही पूरी दुनिया में निर्यात करना है। भारत 8 लाख करोड़ रुपए के कच्चे तेल, गैस और पेट्रोलियम का आयात कर रहा है। कोशिश ये है कि इसे इथेनॉल, मेथनॉल, बायो-डीजल, सीएनजी, इलेक्ट्रिक, बायो-एलएनजी और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधन से बदला जाए।