भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मुकेश अम्बानी और उनकी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 40 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। जहाँ रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया, वहीं उसके चेयरमैन मुकेश अम्बानी पर 15 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया। आरोप रिलायंस पेट्रोलियम की शेयरों की हेराफेरी का है, जो नवंबर 2007 में हुआ था। इस पेनल्टी का जनवरी 1, 2021 से 45 दिनों के भीतर भुगतान करना पड़ेगा।
SEBI ने कहा है कि उसने जाँच के दौरान इस मामले के सारे तथ्यों और परिस्थितियों की समीक्षा के बाद ये निर्णय लिया है। साथ ही SEBI के नियम-कानून, मिले अधिकारों और इस मामले में प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का भी अध्ययन किया गया। रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (RIL) के शेयरों के कारोबार में गड़बड़ी का आरोप की जाँच के बाद ये कार्रवाई की गई। दो अन्य कंपनियों पर भी जुर्माना लगाया गया है।
नवी मुंबई सेज प्राइवेट लिमिटेड को 20 करोड़ रुपए और मुंबई सेज लिमिटेड को 10 करोड़ रुपए का जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया है। RIL ने मार्च 2007 में RPL में 4.1% हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। SEBI के अधिकारी बीजे दिलीप ने 95 पन्नों के आदेश में जुर्माने का फैसला सुनाया। संस्था ने कहा कि शेयरों की मात्रा या कीमत में कोई भी गड़बड़ी हमेशा कारोबार में निवेशकों के विश्वास को चोट पहुँचाती है और वे ही बाजार में हुई हेराफरी में सबसे प्रभावित ज्यादा होते हैं।
SEBI imposes a fine of Rs 25 crore on Reliance Industries and Rs 15 crore on its chairman, Mukesh Ambani, for manipulating shares of Reliance Petroleum in November 2007.
— Live Law (@LiveLawIndia) January 2, 2021
The penalty has to be paid within 45 days from January 1.#RelianceIndustries #MukeshAmbani #SEBI pic.twitter.com/7DOgkc6Z8A
एजेंसी ने कहा कि आम निवेशकों को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था और उनके साथ धोखाधड़ी हुई। कंपनियों की शेयरों की कीमतों पर असर पड़ने के कारण इन निवेशकों को नुकसान हुआ। पूँजी बाजार में इन गड़बड़ियों को रोकने की ज़रूरत पर बल देते हुए SEBI ने कहा कि इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। कारोबार में ऐसी गड़बड़ियाँ होने से निवेशकों को सही कीमत पता नहीं चलती। फ़िलहाल कंपनी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बता दें कि मीडिया का एक वर्ग और विपक्षी नेताओं का समूह लगातार मोदी सरकार पर अम्बानी-अडानी की मदद करने के आरोप लगाता रहता है। 2004 में रिलायंस के एक शेयर की कीमत जहाँ ₹84 थी, वहीं 2014 में ₹558 हो गई। मोदी के आने के बाद यह आँकड़ा अभी ₹1973 का है। यूपीए के दस सालों में रिलायंस 6.6 गुणा बढ़ा, और मोदी के समय में छः सालों में इसकी वृद्धि साढ़े तीन गुणा की है। हर साल का भी औसत निकालेंगे तो यूपीए के समय में रिलायंस ने बेहतर वृद्धि पाई है।