अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के मौके पर भारतीय रेलवे ने देश के इतिहास में हुई महिला वीरांगनाओं और शासकों की गाथाओं को जनता तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया है। पहली बार ऐसा उनके नाम रेलवे के इंजनों पर अंकित किए गए हैं। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, इंदौर की रानी अहिल्याबाई और रामगढ़ की रानी अवंतीबाई इनमें प्रमुख हैं। ऐसे ही दक्षिण भारत में कित्तूर की रानी चिन्नम्मा शिवगंगा की रानी वेलु नचियार को सम्मान दिया गया।
इन सभी रानियों के नाम पर भारतीय रेलवे ने इंजनों का नामकरण किया है। खासकर के देश के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाली भारतीय वीरांगनाओं को सम्मान दिया जा रहा है। उन महिलाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राणों तक की भी आहुति दे दी। इस तरह के रेल इंजनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं और लोग उन्हें पसंद कर रहे हैं। उन्हें जम कर शेयर किया जा रहा है।
ये अभियान उत्तर रेलवे के दिल्ली रेल मंडल के तुगलकाबाद डीजल लोको शेड द्वारा शुरू किया गया है। शेड के डब्ल्यूडीपी 4बी और डब्ल्यूडीपी 4डी जैसे शक्तिशाली और आधुनिक डीजल इंजनों पर भारत की वीरांगनाओं और महिला शासकों के नाम बड़े-बड़े अक्षरों में अंकित किए गए हैं। दिल्ली रेल मंडल ने खुद से ये पहल की है। इसके लिए रेलवे बोर्ड से कोई आदेश नहीं आया था। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी इसकी तारीफ की है।
Saluting The Indomitable Nari Shakti: Tughlaqabad Diesel Shed of Indian Railways pays homage to brave women freedom fighters, who displayed character of steel, by dedicating high speed locomotives to them.#InternationalWomensDay pic.twitter.com/4AeIT4vw1x
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) March 7, 2021
इंजन के दोनों तरफ सामने और दाई-बाई ओर नाम अंकित किए गए हैं। पीयूष गोयल ने लिखा, “अदम्य नारी शांति को सलाम!” भारतीय रेलवे के तुगलकाबाद डीजल शेड ने इन वीरांगनाओं को सम्मान देते हुए कहा कि उन्होंने लोहे के चरित्र को प्रदर्शित किया, इसीलिए उच्च-गति के इंजनों पर उन्हें सम्मान दिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर लोगों को ये चीज खूब पसंद भी आ रही है। पीयूष गोयल को इसके लिए लोगों ने धन्यवाद दिया।
रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1767 से 1795 तक मालवा राज्य पर शासन किया। शिवभक्त अहिल्याबाई ने इस दौरान देश में अलग-अलग जगह पवित्र नदियों के किनारे घाटों के निर्माण कराए। महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ अंतिम साँस तक लड़ीं। रानी चिन्नम्मा ने 1824 में अंग्रेजों की हड़प नीति के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष शुरू किया था। अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार रहीं। वेलु नचियार ने तमिलनाडु में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया।