दिल्ली का द्वारका एक्सप्रेस-वे (Dwarka Expressway) पिछले कई दिनों से खबरों में है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने निर्माण की लागत पर सवाल उठाए थे। इसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बताया था कि निर्माण लागत अनुमानों से 12 प्रतिशत कम रही है। अब उन्होंने एक वीडियो शेयर कर इस एक्सप्रेस-वे की झलक दिखाई है।
वीडियो में एक्सप्रेस-वे की खूबियों के बारे में भी बताया गया है। गडकरी ने इस वीडियो को ‘इंजीनियरिंग का चमत्कार: द्वारका एक्सप्रेस-वे! भविष्य का एक अत्याधुनिक सफर’ कैप्शन के साथ साझा किया है। वीडियो के अनुसार, यह एक्सप्रेस-वे तीन-चार महीने में शुरू हो जाएगा। इसे ऐसा स्टेट ऑफ आर्ट प्रोजेक्ट बताया गया है, जिसे लोग 100 साल तक भूल नहीं पाएँगे।
सड़क, फ्लाईओवर, एलिवेटेड रोड और सुरंग से बना नायाब तोहफा
द्वारका एक्सप्रेस-वे 8 लेन का एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे है, जो दिल्ली और हरियाणा को जोड़ता है। भले ही इसकी लंबाई महज 29 किमी के आसपास ही है, लेकिन टोटल हाइवे को बनाने के लिए 563 किमी काम किया गया है। आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा चमत्कार है? तो इसे इस बात से समझिए कि सिंगल लेन सड़क की गिनती होती है। ये एक्सप्रेसवे आठ लेन का है। इसके साथ ही 6 (3+3) लेन की सर्विस लेन भी है।
1200 पेड़ों को किया गया ट्रांसप्लांट
इस एक्सप्रेसवे को बनाने के दौरान बहुत सारे पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया है। ऐसे पेड़ों की संख्या 1200 है। इस एक्सप्रेसवे के खुलने से द्वारका से मानेसर तक यात्रा का समय 15 मिनट, मानेसर से इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक 20 मिनट, द्वारका से सिंघु बॉर्डर तक 25 मिनट और मानेसर से सिंघु बॉर्डर तक 45 मिनट हो जाएगा।
Marvel of Engineering: The Dwarka Expressway! A State-of-the-Art Journey into the Future 🛣#DwarkaExpressway #PragatiKaHighway #GatiShakti pic.twitter.com/Qhgd77WatW
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) August 20, 2023
वीडियो के अनुसार इस एक्सप्रेस वे के निर्माण में 2 लाख टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है। यह एफिल टॉवर में लगे स्टील से 30 गुना ज्यादा है। इसी तरह इसके निर्माण में 20 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट-कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ है। यह बुर्ज खलीफा में लगे सीमेंट से 6 गुना ज्यादा है।