Monday, December 23, 2024
Homeविविध विषयअन्य50 बच्चों में अकेला इंडियन और बाकी खिलाफ... NSA के बेटे ने सुनाया पाकिस्तान...

50 बच्चों में अकेला इंडियन और बाकी खिलाफ… NSA के बेटे ने सुनाया पाकिस्तान में पढ़ाई का किस्सा, कहा- ऐसे में राष्ट्रवाद खुद ही पैदा हो जाता है

"जैसे एक क्रिकेट मैच हो रहा है और 49 लड़के एक तरफ हैं, आप अकेले दूसरी तरफ तो फिर आपमें राष्ट्रवाद खुद ही पैदा हो जाता है। आपमें अकेले लड़ने की क्षमता खुद ही आ जाती है।"

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) के पाकिस्तान में काम करने से जुड़े कई किस्से हैं। लेकिन शायद कम ही लोगों को पता हो कि उनके बेटे शौर्य डोभाल (Shaurya Doval) ने पाकिस्तान में पढ़ाई भी की है। शौर्य ने 1981 से 1987 के बीच करीब छह साल पाकिस्तानी स्कूलों में पढ़ाई की है। उस समय उनके पिता इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास में तैनात थे।

शौर्य ने पाकिस्तानी स्कूलों में पढ़ाई का यह किस्सा लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में सुनाया है। एक सवाल का जवाब देते हुए शौर्य ने बताया कि उनकी पढ़ाई देशभर में हुई है। मिजोरम से पढ़ाई शुरू हुई। इसके बाद कुछ समय सिक्किम में पढ़ाई की। फिर पाकिस्तान में। शौर्य ने बताया कि वे करीब 6-7 साल पाकिस्तान के इस्लामाबाद में रहे थे। जब उस समय सुरक्षा के हालात को लेकर उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उस समय अफगानिस्तान का क्राइसिस चल रहा था। पाकिस्तान का पूरा फोकस उधर था। पंजाब का संकट शुरू नहीं हुआ था। इसलिए पाकिस्तान में भारतीय राजनयिक और उनके परिवारों के लिए वैसा सुरक्षा खतरा नहीं था।

जब उनसे कहा गया कि पाकिस्तान में पढ़ाई करना अलग बात है तो शौर्य ने कहा कि यह कुछ ऐसा ही था जैसे आप देश के दूसरे हिस्सों में बड़े होते हैं, पढ़ते हैं। हाँ, केवल एक अंतर था कि 50 बच्चों में मैं अकेला इंडियन था और बाकी खिलाफ। ऐसे में आप जीवन में दो चीजें सीखते हैं। पहला, अपने देश से प्रेम करना। दूसरा, अकेले लड़ना। उन्होंने आगे कहा, “जैसे एक क्रिकेट मैच हो रहा है और 49 लड़के एक तरफ हैं, आप अकेले दूसरी तरफ तो फिर आपमें राष्ट्रवाद खुद ही पैदा हो जाता है। आपमें अकेले लड़ने की क्षमता खुद ही आ जाती है।”

इस दौरान शौर्य से पाकिस्तान के स्कूलों में इतिहास की पढ़ाई को लेकर भी सवाल किया गया। उन्होंने कहा कि उस समय उम्र कम होने की वजह से उन्हें इन चीजों की वैसी समझ नहीं थी। लेकिन वहाँ के बच्चों को चीजें अलग तरह से दिखाई जाती है। उनका इतिहास 1947 से शुरू होता। उससे पहले की हर चीज को वे नजरंदाज कर देते हैं। यदि थोड़ा बहुत पढ़ाते भी हैं तो इस तरह से जिससे मुस्लिामें को हिंदुओं पर सुपर दिखाया जा सके।

उन्होंने कहा, “उनमें एक गलत धारणा होती है कि 1947 के पहले वे हिंदुस्तान के हुक्मरान थे और 47 के बाद उन्होंने नई कंट्री बना ली और अब उसके हुक्मरान हैं। पाकिस्तानियों की हिस्ट्री सिंध में मोहम्मद बिन कासिम के आने के बाद शुरू होती है और इसे वह पाकिस्तान की हिस्ट्री मानते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता में भी वे हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के बारे में ही पढ़ते हैं और उसके बाद सीधे कासिम पर आ जाते हैं। गुप्त, मौर्य काल की कोई बात नहीं होती है। चोल वगैरह के बारे में तो उनका इंट्रेस्ट ही नहीं है।”

पाकिस्तान में इतिहास की ऐसी पढ़ाई को लेकर टिप्पणी करते हुए शौर्य ने कहा, “कहा गया है न कि अगर आप अनपढ़ हैं तो उसकी कीमत आपको चुकानी पड़ती है।” उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान में उनके कुछ दोस्त भी बने थे। लेकिन आज उनसे कोई संपर्क नहीं है। उन्होंने कहा, “भारत लौटने के बाद उनसे संपर्क खत्म हो गया, क्योंकि उस समय इंटरनेट जैसा कोई माध्यम नहीं था।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -