Friday, November 22, 2024
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एक खेल मंत्री ने ‘अवॉर्ड’ का ऐलान किया, दूसरे का देने से इनकार: पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार के ‘खेल’ से टूट गई मूक-बधिर शतरंज चैंपियन

अपने मेडल्स और ट्रॉफी को दिखाकर पंजाब सरकार से सवाल पूछने वाली मलिका का दावा है कि वो 31 दिसंबर 2021 को पंजाब के खेल मंत्री से मिली थीं। जिन्होंने उनको कहा कि वो उन्हें जॉब नहीं दे सकते क्योंकि उनके पास ऐसी कोई नीति ही नहीं हैं।

विश्व मूक-बधिर शतरंज चैंपियनशिप में देश का नाम रौशन करने वाली मलिका हांडा आज भी नौकरी के दर-दर भटकने को मजबूर हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक बार फिर अपनी वीडियो पोस्ट करके पंजाब सरकार की नाकामी को उजागर किया है। अपने मेडल्स और ट्रॉफी को दिखाकर पंजाब सरकार से सवाल पूछने वाली मलिका का दावा है कि वो 31 दिसंबर 2021 को पंजाब के खेल मंत्री से मिली थीं। जिन्होंने उनको कहा कि वो उन्हें जॉब नहीं दे सकते क्योंकि उनके पास ऐसी कोई नीति ही नहीं हैं।

अपनी वीडियो के साथ साझा एक नोट में उन्होंने लिखा, “मुझे बहुत दुख हो रहा है। 31 दिसंबर को मैं पंजाब के खेल मंत्री से मिली थी। उन्होंने कहा कि वो मुझे जॉब और न ही कैश दे सकते हैं क्योंकि उनके पास डेफ (मूक-बधिर) स्पोर्ट्स के लिए ऐसी कोई नीति नहीं है। पूर्व खेल मंत्री ने भी मेरे लिए अवार्ड की घोषणा की थी जिसका आमंत्रण पत्र भी मुझ पर है, जिसमें मुझे बुलाया गया लेकिन बाद में वो कार्यक्रम कोविड के कारण रद्द हो गया।”

वह लिखती हैं, “ये बात जब मैंने वर्तमान खेल मंत्री परगट सिंह को बताई तो उन्होंने साफ कहा कि ये पूर्व मंत्री ने कहा था। मैंने ये नहीं कहा। सरकार इसे नहीं कर सकती।” 7 साल से नौकरी के लिए भटकने के बाद मलिका पूछती हैं, “मैं बस पूछना चाहती हूँ कि आखिर ऐसी घोषणा की ही क्यों हुई थी। मेरा 5 साल का समय कॉन्ग्रेस पर बर्बाद हो गया। उन्होंने मुझे बेवकूफ बनाया। वह एक मूक-बधिर इंसान के खेल की परवाह नहीं करते। जिला कॉन्ग्रेस ने मुझे जिस समर्थन और वादे की बात कही थी वो 5 साल में भी पूरा नहीं हुआ। पंजाब सरकार मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है।”

उल्लेखनीय है कि मलिका हांडा 7 बार की नेशनल डेफ चेस चैम्पियन रही हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में तमाम पदक जीते हैं। वह विश्व मूक-बधिर शतरंज चैम्पियनशिप में गोल्ड और एशियाई शतरंज चैम्पियनशिप में रजत पदक भी जीत चुकी हैं। इन सब उपलब्धियों के बावजूद राज्य सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। उन्होंने 24 नवंबर को भी आहत होकर एक वीडियो क्लिप शेयर की थी। इस वीडियो में उनका दर्द और फ्रस्ट्रेशन साफ दिख रहा था।

बता दें नेशनल चैम्पियन मलिका अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इसी साल सितंबर में चंडीगढ़ में पंजाब के खेल विभाग के निदेशक से संपर्क कर नौकरी और आर्थिक सहायता के लिए मदद माँगी थी। लेकिन राज्य सरकार की ओर से उदासीनता भरी प्रतिक्रिया मिली तो डायरेक्टर के केबिन से बाहर निकलने के बाद हांडा के सब्र का बाँध टूट गया। इसके बाद ट्विटर पर सांकेतिक भाषा में उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया और लोगों ने उन्हें भावनात्मक रुप से सपोर्ट भी किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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