आज देश के प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती है। वे सदैव अपने कर्मों और अपनी राजनैतिक शैली, भाषण कला के लिए विख्यात रहे, कोई विरला ही इससे इतर उन्हें निचा दिखाने के लिए इतना नीचे गिर सकता है जितना बहुत पहले मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी ने किया था। हालाँकि, कुछ महीने पहले ही उनका कोरोना वायरस संक्रमण के बाद दिल का दौरा पड़ने के कारण (16 अगस्त, 2020) को निधन हो गया। उनकी मौत के बाद उनके चाहने वालों ने सोशल मीडिया पर उनकी कुछ शायरियाँ शेयर करके उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। इसी बीच कुछ मुशायरों में अपनी बात रखते हुए उनकी कई पुरानी वीडियोज भी वायरल होना शुरू हुईं थी।
ये वह वीडियोज थीं, जिनमें उन्होंने अपनी शायरी करने के हुनर का इस्तेमाल दिग्गज नेताओं और देश के हालातों को बयान करने के लिए इस्तेमाल किया था। कुछ लोग इसे उनका हुनर समझकर शेयर कर रहे थे। तो कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने इन वीडियोज को शेयर करके राहत इंदौरी की सोच पर अपना गुस्सा निकाला। आज जब देश वाजपेयी की जयंती मना रहा है तो एक बार फिर सब ताजा हो गया है।
साल 2001 में राहत इंदौरी ने घुटनों पर एक शेर पढ़ा था और दिलचस्प बात यह है कि उसी समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटनों की सर्जरी हुई थी।
अपने शेर को मुशायरे में पढ़ते हुए तब राहत ने अटल बिहारी वाजपेयी का नाम अपनी जुबान से लेने से मना कर दिया था और कहा था, “मैं किसी का नाम नहीं लेता हूँ अपने जुबान से। क्योंकि मेरे शेरों की कीमत करोड़ों रुपए है। मैं दो-दो कौड़ी के लोगों का नाम लेकर अपने शेर की कीमत कम नहीं करना चाहता।”
2001: AB Vajpayee underwent a knee rplcmnt surgery.
— Neta Ji (@AapGhumaKeLeLo_) August 11, 2020
Ever since ths GREAT Urdu poet @rahatindori claiming his shaayri 2b worth CRORES kept reciting ths disgusting couplet abt Vajpayee’s manhood jst bcz he was a Hindu bachelor for life.
DON’T MISS the hyena laughter & garlanding! https://t.co/LY47TjodFR pic.twitter.com/x9vCVpbhCS
अपनी इस बात के बाद उन्होंने कहा था, “100 करोड़ के मुल्क का वजन जिन पैरों पर है, उनका खुद वजन नहीं संभलता।” यह कहकर इस बात को उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वह अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में ही बात कर रहे हैं। इसके बाद उन्होंने तमाम वाहवाही के बीच अपना शेर पढ़ा, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री के घुटनों की सर्जरी का मजाक उड़ाया गया था।
उन्होंने कहा:
रंग चेहरे का ज़र्द कैसा है
आईना गर्द-गर्द कैसा है
काम घुटनों से जब लिया ही नहींफिर ये घुटनों में दर्द कैसा है
इस शेर को सुनकर मुशायरे में ठहाके और तालियाँ गूँज गईं थीं। कुछ लोग उठकर आए थे और राहत को सम्मानित भी किया था। अब इसी मुशायरे की वीडियो को शेयर करके उनकी आलोचना की जी रही है।
यूजर्स का कहना है कि 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना घुटनों की सर्जरी करवाई थी और राहत इंदौरी ने उन्हें दो कौड़ी का बता कर अपनी शायरी को करोड़ों की बताया था। लोग याद दिला रहे हैं कि राहत ने उनके ऊपर इसलिए घुटनों वाला शेर पढ़ा था क्योंकि वह आजीवन अविवाहित थे (मतलब निहायत ही घटिया मानसिकता का आदमी था राहत इंदौरी, जिसने घुटने को सिर्फ और सिर्फ सेक्स से जोड़ा)।
2002: Godhra train, Ms burn Karsevaks alive
— Neta Ji (@AapGhumaKeLeLo_) August 11, 2020
This Inqlaabi poet @rahatindori INVENTS a theory &kept poisoning vulnerable M-mobs fr yrs thru these couplets by
-Directly implying CM Modi engineered r!ots
-Vindicates Ms, loathes &blames Hindus cz Ms dnt burn evn thr deads unlike Hs pic.twitter.com/NiJUlFrAI4
सोशल मीडिया यूजर्स यहीं पर नहीं रुके। राहत इंदौरी द्वारा गोधरा कांड पर की गई शायरी भी बेहद विवादित थी, उसे भी लोगों ने खोज निकाला। एक मुशायरे में उन्होंने गोधरा कांड को लेकर ये कह दिया था कि उस दिन कारसेवकों के साथ कुछ हुआ ही नहीं था।
अपनी शायरी सुनाने से पहले वह लोगों को बताते हैं कि गोधरा कांड के मात्र एक साल में सारी रिपोर्ट्स सामने आ गई है। जाँच कमीशन यह कहने लगा है कि गोधरा में कुछ हुआ ही नहीं था। मीडिया ने हौआ बना दिया और ये बताया कि रेल के डिब्बों में आग लगा दी गई थी।
इसके बाद राहत इंदौरी अपना शेर फरमाते हुए कहते हैं:
जिनका मसलक है रौशनी का सफर
वो चिरागों को क्यों बुझाएँगें
अपने मुर्दे भी जो जलाते नहीं
जिंदा लोगों को क्या जलाएँगे
इस वीडियो को शेयर करके लोग कारसेवकों को याद कर रहे हैं, जिन्हें गोधरा कांड में अपनी जान गँवानी पड़ी। लोग कह रहे हैं कि राहत इंदौरी ने थ्योरी गढ़ी और जहरीली हिंसक कट्टरपंथी भीड़ को अपने शेरों से बचाने की कोशिश की।
इतना ही नहीं, अपनी बातों से उन्होंने इस पूरे कांड के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी को जिम्मेदार बताया। साथ ही यह भी बताने की कोशिश की कि यह काम हिंदुओं का हो सकता है क्योंकि हिंदू ही शव का दाह संस्कार करते हैं।