नोटबंदी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बड़ा बयान जारी करते हुए कहा है कि नोटबंदी के बाद से देश में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन मिला है और आधार कार्ड से इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी किए जाने से भी इसमें काफी इजाफा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है।
भुगतानकर्ता और भुगतान प्राप्तकर्ता की ओर से डिजिटल मोड से धन भेजने या प्राप्त किए जाने से होने वाले ट्रांसफर को डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक भुगतान कहा जाता है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि सर्कुलेशन में मौजूद नकदी के मुकाबले एटीएम से निकासी का अनुपात भारत में बाकी देशों के मुकाबले सबसे कम है। यह कैश रिसाइक्लिंग में कमी का प्रतीक है। कैश रिसाइक्लिंग का मतबल नकदी निकासी, भुगतान और फिर से बैंक में जमा करवाने से है।
आरबीआई की रिपोर्ट ‘बेंचमार्किंग इंडियाज पेमेंट सिस्टम्स‘ में कहा गया है कि पिछले 4 साल में भारत में खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान में 50% से ज्यादा का इजाफा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) में जबरदस्त बढ़ोतरी के कारण मुख्य रूप से 2018-19 में इसमें इजाफा हुआ है।
RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्मार्टफोन के इस्तेमाल में आई क्रांति से डिजिटल भुगतान के विकल्पों में जबरदस्त वृद्धि हुई। रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी के बाद ई-मनी में व्यापक पैमाने में तेजी आई है।
ई-मनी, यूपीआई, आधार पेमेंट्स ब्रिज सिस्टम (एपीबीएस), रुपे और भारत बिल पेमेंट सिस्टम (बीबीपीएस) व अन्य के इस्तेमाल ज्यादा होने से डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में बदलाव आया। रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में भारत में ई-मनी के जरिए ₹345.9 करोड़ ट्रांसफर हुए। इस मामले में भारत सिर्फ जापान और अमेरिका से पीछे रहा। हालाँकि, चीन का इस संबंध में आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। अध्ययन में यह भी उजागर हुआ कि भारत में साल दर साल डेबिट और क्रेडिट कार्ड में भी काफी बढ़ोतरी हुई।
एटीएम लगाने में चीन के बाद भारत का है दूसरा नंबर
रिपोर्ट के अनुसार 2012 से 2017 तक देश में एटीएम की सालाना ग्रोथ रेट 14% रही। हालाँकि एटीएम लगाने में भारत ने भले ही प्रगति की हो लेकिन जनसंख्या के मुकाबले एटीएम की तादात अभी भी कम है।