केरल के एक मौलाना का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में एक इस्लामी उपदेशक मलयाली भाषा में कह रहा है, ”जो लोग सेक्स के दौरान बिस्मि (Bismi) का जाप नहीं करते हैं, उनके शरीर में लिंग के माध्यम से शैतान प्रवेश कर जाता है।” केरल के इस मौलवी का सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो साल 2018 का है।
तीन साल पुराने वीडियो में मौलाना ने पुरुषों को सेक्स करते समय ‘बिस्मि’ का जाप करना जरूरी बताया है। मौलवी कह रहा है कि अगर पुरुष सेक्स के समय बिस्मि नहीं पढ़ते हैं, तो उनके लिंग में शैतान प्रवेश कर जाता है, जो महिला के शरीर में जाते ही उनके लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।
Imam from Kerala: “Husband should recite #Bismi before having sex with his wife otherwise the Satan hiding in his sexual organ will enter his Wife”!!pic.twitter.com/UeQLkhRNHQ
— നചികേതസ് (@nach1keta) November 26, 2021
मौलवी यही नहीं रुकता है, वह आगे कहता है कि जो लोग सेक्स करते समय बिस्मि का जाप करना भूल जाते हैं, या फिर इसे नहीं करते हैं, वे शैतान को अपने लिंग से अपने पाटर्नर के शरीर में प्रवेश कराने का खतरा तो उठाते ही हैं। इसके अलावा उनके इस संबंध से पैदा हुई संतान भी शैतान के समान होती है।
केरल में यह कोई पहला मामला नहीं हैं, जब वहाँ से इस तरह का विवादित इस्लामिक भाषण का वीडियो सामने आया हो। इससे पहले केरल में मौलाना ईपी अबूबकर कासमी ने मलयाली भाषा में मुस्लिम होने के फायदा गिनाए थे। उन्होंने बताया था कि मुस्लिमों को जन्नत में क्या-क्या मिलता है? इस दौरान उन्होंने कहा था:
”जन्नत में बड़े-बड़े स्तनों वाली महिलाएँ मिलती हैं। जन्नत में शराब की नदियाँ बहती हैं और बड़े-बड़े बँगलों के साथ-साथ बाग-बगीचे की सुविधा भी मिलती है। अल्लाह की जन्नत में जो महिलाएँ होती हैं, वो न तो पेशाब करती हैं और न ही उन्हें शौच करने की कभी ज़रूरत पड़ती है और जन्नत जाने वाले मुस्लिमों को वहाँ की हूरों की गोद में बैठने का सौभाग्य प्राप्त होता है।”
आँकड़ों के हिसाब से केरल भारत का सबसे शिक्षित राज्य है। यहाँ के पुरुष और महिलाएँ सबसे शिक्षित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में लगभग 96.11 प्रतिशत पुरुष और 92.07 प्रतिशत महिलाएँ साक्षर थीं। लेकिन इस आँकड़े के अलावा भारत के सबसे साक्षर राज्य ने दुनिया भर में अपनी पहचान कई इस्लामिक मौलवियों के कारण भी बनाई है, जो अपने बेतुके बयानों और कट्टरपंथी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इन मौलवियों को संरक्षण प्रदान कर, उन्हें फॉलो करके साक्षरता दर को झूठा साबित कर दिया है, जिसको लेकर राज्य और वहाँ के स्थानीय निवासी अक्सर डींगे मारा करते हैं।
केरल में इन इस्लामी उपदेशकों का उदय हाल में नहीं हुआ है, बल्कि इनकी तरह अन्य लोग भी दशकों से इस राज्य में सक्रिय रहे होंगे, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इनका पर्दाफाश करने में अहम भूमिका निभाई है। केरल इस तरह के मौलवियों को अपने राज्य में पनाह देता है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं करता है। इससे यह स्पष्ट है कि इसमें कहीं न कहीं उनकी भी रजामंदी शामिल है। सोशल मीडिया के जरिए इन मौलाना का सच सामने आने के बाद यह साबित हो गया है कि देश का सबसे साक्षर राज्य किस दिशा की ओर अग्रसर हो रहा है।