कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने घोषणा की है कि उसके जिस भी कर्मचारी की कोरोना के कारण मौत हुई है, उसके नॉमिनी को अगले 5 साल तक की सैलरी दी जाएगी। साथ ही उसने बताया कि कोरोना पीड़ित कर्मचारियों को छुट्टियों के लिए एक अलग नीति लाई गई है। रिलायंस के जिन कोरोना पीड़ित कर्मचारियों को रुपए की जरूरत है, उन्हें अगले 3 महीने की इंटरेस्ट-फ्री सैलरी दी जा रही है।
RIL के वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर उसके किसी कर्मचारी की कोरोना के कारण मौत होती है तो इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में उसके बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा कंपनी संभालती है और साथ ही परिवार की मदद भी की जाती है। ‘रिलायंस फॅमिली सपोर्ट एंड वेलफेयर स्कीम’ के तहत अपने कर्मचारियों के बच्चों की ट्यूशन फी, हॉस्टल का खर्च और किताबों में खर्च का पूर्ण वहन करेगा। भारत के किसी भी शैक्षिक संस्थान में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने तक ये सुविधा दी जाएगी।
साथ ही मृत कर्मचारी के माता-पिता, पार्टनर और बच्चों (स्नातक तक) को अगर कोई बीमारी होती है तो उनके इलाज का खर्च भी कंपनी ही उठाएगी। कोरोना पीड़ित कर्मचारियों को तब तक छुट्टी की व्यवस्था दी गई है, जब तक वो ‘शारीरिक और मानसिक रूप से’ इससे स्वस्थ नहीं हो जाते। उनकी फुल रिकवरी और परिवार का ध्यान रखने के लिए ये सुविधा दी गई है। रिलायंस ने कहा कि सभी कर्मचारी एक टीम की तरह तब तक साथ खड़े रहेंगे, जब तक हम जीत नहीं जाते।
रिलायंस फाउंडेशन ने ये भी घोषणा की है कि अगर उसके किसी ‘ऑफ-रोल कर्मचारी (जो किसी थर्ड पार्टी के हों लेकिन रिलायंस के लिए काम कर रहे हों)’ की मौत होती है तो उसके परिजनों को भी 10 लाख रुपए सहायता के रूप में दिए जाएँगे। रिलायंस ने अपना खुद का टीकाकरण अभियान R-सुरक्षा’ लॉन्च किया है, जिसके तहत सभी कर्मचारियों व उनके परिवारों को कोरोना का टीका दिया जा रहा है।
#RelianceIndustries releases Annual Report ahead of Annual General Meeting@Ajaya_buddy gets you the detailshttps://t.co/n8QMIV27jP
— ET NOW (@ETNOWlive) June 3, 2021
इसके लिए तकनीक का सहारा लेकर कई इलाकों में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। कंपनी ने कहा कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों व नियमों का पालन करते हुए ये सब हो रहा है। उधर रिलायंस ग्रुप के मुखिया और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी ने खुद इस 2020-21 वित्तीय वर्ष में कोई सैलरी नहीं ली है। उनका वेतन Nil, अर्थात शून्य रहा है। उन्होंने अपने कारोबार और अर्थव्यवस्था के लिए स्वेच्छा से अपना वेतन नहीं लिया।
वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में उन्होंने 15 करोड़ रुपए की सैलरी उठाई थी। पिछले एक दशक से उनका वेतन इतना ही रहा है। हालाँकि, कंपनी के अन्य बड़े पदाधिकारियों को उनके वेतन से अधिक ही रुपए मिले। अंबानी के कजन भाइयों निखिल और हितल मेशवनी ने 24 करोड़ की सैलरी के साथ 17.28 करोड़ रुपए बतौर कमीशन उठाए। एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स को उनके प्रदर्शन के आधार पर इंक्रीमेंट मिला और उन्हें अधिक पारितोषिक मिला।
कोरोना आपदा में रिलायंस ने सरकार और लोगों का भी खूब सहयोग किया है। मुंबई में BMC के साथ मिल कर कंपनी ने रिकॉर्ड समय में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बना दिया। ऑक्सीजन सप्लाई के सुनिश्चित कराने के लिए खुद मुकेश अंबानी गुजरात के जामनगर प्लांट में डटे रहे। वहाँ प्रतिदिन 700 टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू किया गया, ताकि देश भर के अस्पतालों की ज़रूरतें पूरी की जा सकें।