कोरोना संकट की इस घड़ी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शुरू से समाजसेवा में लगा है। अब घरों में शाखा लगाकर बच्चों को भारतीय संस्कृति से अवगत करवाने के साथ-साथ कोरोना वायरस से खुद का व दूसरों का बचाव करने के लिए उपाय बताए जा रहे हैं। जिला प्रशासन के सहयोग से आरएसएस जरूरतमंदों तक भोजन पहुँचाने में भी जुटा है। आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत के निर्देशों का पालन करते हुए आसपास के पाँच जरूरतमंद परिवारों की मदद करने का अभियान भी जारी है।
हालाँकि, अब लॉकडाउन धीरे-धीरे खुल रहा है, मगर अभी भी दिहाड़ी पर दिन भर मजदूरी करके शाम को दिन भर की कमाई से पेट भरने वालों के पास अभी भी काम की समस्या है। आरएसएस ऐसे लोगों को लगातार भोजन उपलब्ध करा रहा है। आरएसएस के स्वयंसेवक इन लोगों के लिए खाना बनाने से लेकर उनकी पैकिंग और उनके वितरण तक में सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रख रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 4,80,000 स्वयंसेवकों ने अरुणाचल प्रदेश से लेकर कश्मीर और कन्याकुमारी तक 85,701 स्थानों पर सेवा भारती के माध्यम से 1,10,55,000 परिवारों को राशन के किट पहुँचाए हैं। इसके अलावा जरूरतमंदों के बीच 71146000 भोजन के पैकेट्स बाँटे गए हैं। करीब 63,00000 मास्क का वितरण किया गया है।
इन स्वयंसेवकों ने विभिन्न राज्यों में रहने वाले अन्य राज्यों के 13,00000 लोगों की भी सहायता की है। इतना ही नहीं,40,000 यूनिट्स रक्तदान किया है। प्रवासी मजदूरों की सहायता हेतु 1,341 केंद्रों के माध्यम से 23,65,000 प्रवासी मजदूरों को भोजन और 1,00000 मजदूरों को दवाई एवं अन्य मेडिकल सहायता प्रदान की गई है।
इन सबके साथ ही स्वयंसेवकों ने घुमंतू जनजाति, किन्नर, देह व्यापार करने वाले, धार्मिक स्थानों पर श्रद्धालुओं पर निर्भर बंदर, पशु-पक्षी, गोवंश आदि की भी सहायता की है। भीड़ नियंत्रण, स्थानांतर करने वाले श्रमिकों के नाम दर्ज करना, ऐसे असंख्य कार्य प्रशासन के आह्वान पर जगह-जगह स्वयंसेवकों ने किए हैं।
पुणे में आरएसएस के 1016 स्वयंसेवक, कार्यकर्ताओं ने 27 अप्रैल से अब तक एक लाख लोगों की स्क्रीनिंग की। यह स्क्रीनिंग पुणे के सबसे ज्यादा प्रभावित यानी 168 हॉटस्पॉट जोन में की गई। संघ की ओर से दावा किया गया है कि यह देश में संभवत: पहली बार है, जब संघ स्वयंसेवक प्रशासन के साथ इस तरह से घर-घर जाकर स्क्रीनिंग का काम कर रहे हैं। इसके अलावा पढ़ने के लिए बड़े नगरों में आए और अपने स्थान पर फँसे छात्रों की सहायता की है। खास कर उत्तर पूर्वांचल के छात्रों के लिए विशेष ‘हेल्प लाइन’ बना कर उनकी सहायता भी की और उनके परिवारजन से उनकी बातचीत भी करवाई। मंदिर आदि धार्मिक स्थानों पर भिक्षावृत्ति करने वाले भी इस सहायता यज्ञ के प्रसाद से वंचित नहीं रहे।
आरएसएस का मानना है कि लॉकडाउन वाले स्थानों पर कमजोर तबके के लोगों को राशन आदि की दिक्कत हो सकती है। ऐसे में मानवता का तकाजा है कि ऐसे जरूरतमंदों तक दैनिक जरूरत की वस्तुएँ पहुँचाई जाएँ, जिससे लॉकडाउन की स्थिति में भी भोजन सामग्री के अभाव में कोई भूखा न रहने पाए।
कोरोना वायरस के इस अभूतपूर्व संकट के समय शासकीय और अर्ध-शासकीय कर्मचारियों के साथ-साथ समाज का बहुत बड़ा वर्ग अपने प्राण संकट में डाल कर पूरे देश में, पहले दिन से आज तक सतत सक्रिय रहा है। बाढ़, भूकंप जैसी अन्य नैसर्गिक आपदाओं के समय राहत कार्य करना और इस संक्रमणशील बीमारी के समय, स्वयं संक्रमित होने की आशंका को देखते हुए भी सक्रिय होना, इनमें अंतर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी संगठन ‘सेवा भारती’ लगातार जरूरतमंदों तक मदद पहुँचा रही है। इसके लिए भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी सेवा भारती के कदमों की सराहना की थी।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने 0.42 मिनट की एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा था, “हैलो दोस्तों, आपका दिन शुभ हो। आपको हैलो के लिए ये मेरा छोटा सा संदेश है। मुझे आशा हैै कि आप लोग स्वस्थ होंगे। मैं दिल्ली सेवा भारती को बधाई देना चाहता हूँ, जिसने पूरे साल अद्भुत काम किया।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा कार्यों की सबसे अहम विशेषता यह है कि इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होता। स्वयं सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने 26 अप्रैल के अपने भाषण में यह स्पष्ट रूप से कहा था, “सेवा-कार्य बिना किसी भेदभाव के सबके लिए करना है। जिन्हें सहायता की आवश्यकता है वे सभी अपने हैं, उनमें कोई अंतर नहीं करना। अपने लोगों की सेवा उपकार नहीं है, वरन हमारा कर्तव्य है।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह सेवा भाव आज हम सभी लोगों के लिए एक सीख है। प्राचीन भारत के मनीषियों ने हमें निःस्वार्थ सेवा के नैतिक गुण सिखाए थे, लेकिन बाद के सालों में हम यह गुण भूल गए। आज संघ के लोग अपने सेवा कार्यों से हमें यही गुण फिर से सिखा रहे हैं। स्वयंसेवक हमें सिखा रहे हैं कि हमने समाज से लिया तो बहुत कुछ है, लेकिन क्या हम समाज को कुछ दे भी पा रहे हैं या नहीं। ऐसे में जरूरी है कि हम सभी अपने अंदर के स्वयंसेवक को जगाएँ और इस आपदा की घड़ी में माँ भारती की सेवा में जुट जाएँ।