बीते दिनों अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोप को चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई ने कोर्ट के ख़िलाफ़ साजिश करार दिया था। जिसके मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए जाँच कमेटी का गठन कर दिया है। इस मामले पर जस्टिस पटनायक हलफनामे और सबूतों के आधार पर मामले की जाँच करेंगे। दिल्ली पुलिस, सीबीआई और आईबी को जस्टिस पटनायक को जाँच में सहयोग करने के लिए कहा गया है।
कोर्ट का कहना है कि प्रधान न्यायाधीश गोगोई पर लगाए गए आरोप इस जाँच से बाहर होंगे। ये कमेटी केवल साजिश की जाँच के लिए है। आजतक की ख़बर के अनुसार जस्टिस पटनायक सीलबंद लिफ़ाफे में जाँच की रिपोर्ट अदालत को सौंपेंगे।
उल्लेखनीय है कि आज गुरुवार (अप्रैल 25, 2019) की सुबह वकील उत्सव बैंस ने अतिरिक्त हलफनामा और सीलबंद सबूत अदालत को दिए। विशेष पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। कोर्ट ने इस मामले में बड़ी साजिश का इशारा करते हुए कहा कि इसके पीछे बड़े और ताक़तवर लोग हो सकते हैं, लेकिन वे (साजिशकर्ता) जान लें कि वे आग से खेल रहे हैं।
इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके पास दस्तावेजों का निरीक्षण करने का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों पर अटॉर्नी जनरल से अपना कानूनी तर्क देने को भी कहा है। जिस पर अटॉरनी जनरल ने कोर्ट स्टाफ की नियुक्ति और व्यवहार के नियम बताए।
केके वेणुगोपाल (अटॉर्नी जनरल) ने इस दौरान कोर्ट में कहा कि अदालत से निलंबित हुए कर्मचारियों ने वकील से संपर्क किया था और वो प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि उत्सव के हलफनामे के अनुसार अजय उनके पास आता था और कहता था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए उसे 50 लाख रुपए देगा। उत्सव द्वारा दिए हलफनामे की मानें तो अजय क्लाइंट नहीं था, लेकिन कौन था ये भी नहीं पता चल पाया।
वहीं इंदिरा जयसिंह (वरिष्ठ वकील) ने कोर्ट को दी अपनी दलीलों में कहा कि यौन उत्पीड़न के आरोप को नकारा गया है। उसकी जाँच अभी होनी है। लेकिन इसके साथ ही साजिश का भी मुद्दा जुड़ा हुआ है, इसलिए दोनों मामलों की जाँच एकसाथ होनी चाहिए।
इंदिरा की दलील पर अदालत ने कहा कि दोनों मामलों की जाँच हो रही है। इंदिरा जय सिंह ने पूछा कि बिना स्टिकर की गाड़ी सुप्रीम कोर्ट पार्किंग में कैसे आई? इसकी जाँच कराई जाए। साथ ही उत्सव की विश्वसनीयता की भी पड़ताल हो। गौरतलब है कि इंदिरा जयसिंह ने यह भी कहा है कि सरकार संस्थानों को कंट्रोल कर रही है। जैसे ही किसी बड़े विवाद का मामला हमारे पास आता है किताबें छपने लगती हैं। रिपोर्ट बनने लगती हैं।
Will the Supreme Court please invistigste the credential of Utsav Bains , along with his affidavit ? Will he file a sworn affidavit stating he had no connection with any of the persons involved in this controversy and subject himself to cross examination ?@ScbaIndia @LiveLawIndia
— indira jaising (@IJaising) April 25, 2019
बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश आर एफ नरिमन और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की पीठ कर रही थी। एनडीटीवी इंडिया में छपी खबर के अनुसार अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की इस विशेष पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की पीठ में ‘फिक्सिंग’ के बारे में अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस द्वारा दाखिल हलफनामे में लगाए गए आरोप और कुछ नामों का खुलासा बहुत ही गंभीर पहलू है।
पीठ ने कहा, “यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि अदालत को पाक-साफ रखा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह के आरोपों से इस संस्था की छवि धूमिल ना हो…”
मामले में जाँच का आश्वासन देते हुए पीठ ने कहा, “हम जाँच करेंगे और फिक्सरों के सक्रिय होने और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करने के कथित दावों की तह तक जाएँगे। यदि वे अपना काम करते रहे तो हममें से कोई भी नहीं बचेगा। इस व्यवस्था में ‘फिक्सिंग’ की कोई भूमिका नहीं है। हम इसकी जाँच करेंगे और इसे अंतिम निष्कर्ष तक ले जाएँगे।”