लव जिहाद का पर्दाफाश करती फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को भी नोटिस जारी कर के जवाब माँगा है जहाँ कानून-व्यवस्था के चलते सिनेमाघरों के मालिकों ने इस फिल्म को लगाने से मना कर दिया है। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार (12 मई 2023) को हुई थी जिसमें अगली सुनवाई इसी माह की 17 तारीख को तय की गई है।
दरअसल पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में फिल्म की स्क्रीनिंग रोके जाने के बाद फिल्म निर्माताओं ने इसे कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया था। इसी बावत यह याचिका दाखिल हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस याचिका पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने सुनवाई की। फिल्म निर्माताओं की तरफ से एडवोकेट हरीश साल्वे ने पक्ष रखा जबकि पश्चिम बंगाल सरकार ने अपना वकील अभिषेक मनु सिंघवी को बनाया है। एडवोकेट हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि द केरल स्टोरी को सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन द्वारा हरी झंडी मिली है लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने फिर भी इसे राज्य में बैन कर दिया।
हरीश साल्वे ने कोर्ट को यह भी बताया कि 2 राज्यों में फिल्म रुकने की वजह से हर गुजरते दिन के बाद फिल्म निर्माताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस दलील पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने ममता सरकार के वकील से फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की वजह पूछी। उन्होंने सवाल किया कि जब यह फिल्म देश के बाकी हिस्सों में चल रही है तो इसे पश्चिम बंगाल में रोका क्यों गया ? उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म अच्छी है या बुरी इसे लोगों को तय करने दिया जाए। वहीं जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने भी टिपण्णी करते हुए कहा कि यह फिल्म उन राज्यों में भी चल रही है जहाँ जनसंख्या का अनुपात समान है तो खास तौर पर इसे पश्चिम बंगाल में ही क्यों रोका गया ?
उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से भी राज्य में फिल्म की स्क्रीनिंग न होने पर सवाल किया है। हालाँकि तमिलनाडु सरकार के वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि राज्य में फिल्म पर बैन नहीं है। इस जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सिनेमा घरों में होने वाले हमलों की जवाबदेही राज्य सरकार की नहीं है ? बताते चलें कि तमिलनाडु के थिएटर मालिकों ने द केरल स्टोरी को माहौल बिगड़ने के डर से अभी तक नहीं चलाया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को 17 मई 2023 (बुधवार) तक अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया है।