तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता (TMC) साकेत गोखले अपनी जीविका चलाने के लिए जिन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते थे उनमें से एक ourdemocracy.in है और यह अब इस प्लेफॉर्म का कोई अता-पता नहीं है। चूँकि, गोखले पूर्णकालिक नौकरी छोड़कर 10 रुपए खर्च करके आरटीआई डालने का काम करते थे, इसलिए उन्हें धन जुटाने के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा लेना पड़ता था। नवंबर 2019 में गोखले ने क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म का एक लिंक ट्वीट कहा था कि उन्होंने ‘बीजेपी/आरएसएस से लड़ने’ के लिए अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने मोदी से नफरत करने लोगों से इकट्ठा होने और उन्हें पैसे देने का आग्रह किया था, इस लड़ाई के खर्चों का वे वहन कर सकें और इसके लिए उन्हें नौकरी ना करनी पड़े।
दरअसल, व्यक्तिगत जरूरतों के लिए भी क्राउडफंडिंग का सहारा लिया जाता है। क्राउडफंडिंग एक ऐसा तरीका है, जिसमें किसी काम के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए लोगों के समूह से मदद माँगी जाती है। क्राउडफंडिंग में जो भी लोग अपने पैसे देते हैं उन्हें मालूम होता है कि वह कहाँ और किस उद्देश्य के लिए फंड दे रहे हैं। हालाँकि, अब ना केवल क्राउडफंडिंग कैंपन, बल्कि ये पूरी वेबसाइट ही गायब है।
कैंपन शुरू करने के बमुश्किल 3 महीने बाद यानी फरवरी 2020 तक गोखले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत करने वालों से 20 लाख रुपए से अधिक की राशि इकट्ठा कर ली थी।
गोखले ने स्वीकार किया था कि उन्होंने इस तरह 22 लाख रुपए से अधिक की राशि एकत्रित की थी। उन्होंने उस समय कहा था कि वह अपने व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के लिए और लोगों को भी शामिल करेंगे। उस समय पता चला कि OurDemocracy crowdfunding platform जुटाई गई राशि का कुल आँकड़ा नहीं दिखा रहा था। ऐसे में जिन लोगों ने योगदान दिया था, उन्हें यह नहीं पता चल पा रहा था कि गोखले कितना धन जुटा चुके हैं।
दिलचस्प बात यह है कि यह प्लेटफॉर्म अब रहस्यमय तरीके से गायब हो गया है। इसका इस्तेमाल पूर्व सीपीआई नेता और अब कॉन्ग्रेस नेता कन्हैया कुमार, आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मार्लेना और यहाँ तक कि डॉ. कफील खान द्वारा भी किया गया था, जो 2017 में गोरखपुर ऑक्सीजन मामले का मुख्य आरोपित हैं।
आवर डेमोक्रेसी, क्राउडन्यूज़िंग और कॉन्ग्रेस कनेक्शन
ऑपइंडिया ने क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म की थोड़ी गहराई से पड़ताल की। इस दौरान पता चला कि टाइम्स नाउ और WION जैसे चैनलों के साथ काम कर चुके एनडीटीवी के पूर्व पत्रकार बिलाल जैदी ने आनंद मंगनाले (Anand Mangnale) के साथ मिलकर 2017 में स्वतंत्र पत्रकारों के लिए ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म ‘क्राउडन्यूजिंग’ की शुरुआत की थी।
हालाँकि, 2019 के आम चुनावों से ठीक पहले उन्होंने इस प्लेटफॉर्म का विस्तार करने का फैसला किया और इसे ‘ourdemocracy’ में बदल दिया। इस पर कन्हैया कुमार, आतिशी मार्लेना जैसे नेताओं और साकेत गोखले जैसे बेरोजगार लोगों का स्वागत किया, जिन्होंने आरटीआई भरने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। जब साकेत टीएमसी में शामिल हुए थे तब OurDemocracy प्लेटफॉर्म के को-फाउंडर ने उनकी सराहना की थी।
OurDemocracy प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वालों में गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी, दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और जेएनयू की पूर्व छात्रा और प्रदर्शनकारी शेहला रशीद भी शामिल हैं। इन्होंने OurDemocracy के पायलट (pilot) वर्जन क्राउडन्यूजिंग का इस्तेमाल किया था।
अब, क्राउडन्यूज़िंग के साथ-साथ OurDemocracy प्लेटफॉर्म बंद हो चुका है। लगभग एक महीने हो चुके हैं, लेकिन OurDemocracy के सोशल मीडिया हैंडल ने अभी तक इसकी कोई सार्वजनिक सूचना नहीं दी है। OurDemocracy के वैरिफाइड ट्विटर अकाउंट पर आखिरी ट्वीट 24 जून 2021 को डॉ. कफील खान के एक कैंपन में दान करने के लिए किया गया था। वहीं, क्राउडन्यूज़िंग का आखिरी ट्वीट 10 जून 2019 को किया गया था, जिसमें धन के दुरुपयोग के पुराने विवाद को लेकर एक खुद को और शेहला राशिद को क्लीन-चिट दी थी।
दिलचस्प बात यह है कि जिस प्लेटफॉर्म को बाद में गोखले ने इस्तेमाल किया, उसको लेकर शेहला राशिद पर कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या के नाम पर एकत्रित किए गए धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि पीड़ित परिवार की मदद के नाम पर लाखों रुपए जमा किए गए, लेकिन फंड उन तक नहीं पहुँचा ही नहीं था। वहीं, राशिद ने इन आरोपों से इनकार किया था और बाद में कहा था कि पैसे देने में इसलिए देरी हुई, क्योंकि परिवार के पास ज्वॉइंट बैंक अकाउंट और पैन नहीं था। ध्यान दें कि क्राउडन्यूज़िंग के साथ-साथ OurDemocracy के सह-संस्थापक Anand Mangnale ने जनवरी 2020 में जेएनयू में हुई हिंसा के दौरान व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल थे, जहाँ कैंपस हिंसा को लेकर अपना कुतर्क रख रहे थे।
This message is from a WhatsApp group called ‘Unity Against Left’ – I’ve edited out the group because of privacy laws on showing numbers, but the operative message retained : “main gate par kuch karna hai” against those who “support JNU” #JNUViolence pic.twitter.com/asXyRlfrsK
— barkha dutt (@BDUTT) January 5, 2020
ग्रुप के सदस्यों से आनंद पूछ रहे थे कि जेएनयू के समर्थन में कुछ लोग मेन गेट पर आ रहे हैं, क्या उन्हें भी वहाँ कुछ करना चाहिए? यह मैसेज ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ नामक समूह का था। बरखा दत्त ने अनजाने में ट्विटर पर जो नंबर शेयर किया वह आनंद (Anand Mangnale) का था। उस नंबर को Google पर खोजने से पता चला कि यह वही नंबर था, जिसे कॉन्ग्रेस ने क्राउडफंडिंग अभियान के लिए इस्तेमाल किया था।
इस पेज को अब हटा लिया गया है। आनंद ने टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ पहले काम किया था। प्रशांत किशोर पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के लिए भी रणनीतिकार के रूप में काम चुके हैं। हालाँकि, ऑपइंडिया इसकी पुष्टि नहीं कर सका कि आनंद मंगनाले राहुल गाँधी की छवि बदलने के लिए उस टीम का हिस्सा थे या नहीं।
आनंद ने तब छात्रों को सुरक्षित रखने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने की बात स्वीकार की थी। अंत में, एक पत्रकार बिलाल जैदी आनंद मंगनाले से मिलते हैं और दोनों ने 2017 में ‘क्राउडफंडिंग’ वेबसाइट क्राउडन्यूज़िंग शुरुआत की और 2019 में इसका विस्तार कर इसे ‘ourdemocracy.in’ बनाया।
क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल साकेत गोखले, जिग्नेश मेवानी, कन्हैया कुमार, शेहला राशिद, मनीष सिसोदिया, आतिशी मार्लेना, डॉ. कफील खान द्वारा किया गया। इनमें से कम-से-कम दो लोगों पर यहाँ से जुटाए गए पैसों को लेकर जानकारी साझा नहीं करने का आरोप लगा था। अब ये दोनों प्लेटफॉर्म गूगल पर नहीं हैं। ऑपइंडिया ने क्राउडन्यूजिंग के सह-संस्थापक और OurDemocracy के बिलाल जैदी से भी संपर्क किया है। उनसे जवाब मिलने के बाद हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे।