Sunday, November 24, 2024
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ट्रेन से दिया धक्का, हाथ-पैर कट गए, इलाज के दौरान बड़े भाई की मौत; फिर भी एक दर्जी के बेटे ने ‘तीन ऊँगली’ से UPSC किया क्रैक

यूपीएससी की परीक्षा में सूरज तिवारी ने 917वीं रैंक हासिल की है। सूरज के दोनों पैर नहीं हैं। एक हाथ भी नहीं है। एक हाथ में केवल तीन ऊँगलियाँ बची है। पर आर्थिक कमजोरी और दिव्यांगता को उन्होंने अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया।

23 मई 2023 को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सर्विस परीक्षा 2022 के परिणामों की घोषणा की थी। इसके बाद इस परीक्षा को पास करने वाले लोगों की कहानियाँ सामने आ रही हैं। इनमें से कई बेहद प्रेरक हैं। ऐसी ही एक कहानी सूरज तिवारी की भी है।

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी ने तीन ऊँगलियों से यह परीक्षा पास की है। एक ट्रेन हादसे में उनके हाथ-पैर कट गए थे। इलाज के दौरान ही उनके बड़े भाई की मृत्यु हो गई थी। पिता दर्जी हैं तो परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। पर इनमें से कोई भी मुसीबत सूरज के हौसलों के आगे टिक नहीं पाई।

यूपीएससी की परीक्षा में सूरज तिवारी ने 917वीं रैंक हासिल की है। सूरज के दोनों पैर नहीं हैं। एक हाथ भी नहीं है। एक हाथ में केवल तीन ऊँगलियाँ बची है। पर आर्थिक कमजोरी और दिव्यांगता को उन्होंने अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017 में गाजियाबाद के दादरी में सूरज एक ट्रेन दुर्घटना के शिकार हो गए थे। बताते हैं कि उन्हें किसी ने ट्रेन से धक्का दे दिया था। इसके बाद वह चार महीने तक अस्पताल में रहे और करीब तीन माह तक बेड रेस्ट किया। फिर उन्होंने 2018 में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) में बीए में दाखिला लिया। वहाँ से 2021 में बीए पास किया और एमए में प्रवेश लिया। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की।

सूरज की सफलता से उनके माता-पिता बेहद खुश हैं। पिता रमेश कुमार तिवारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “मैं आज बहुत खुश हूँ। मेरे बेटे ने मुझे गौरवान्वित किया है। घटना के बाद भी उसका मन कभी छोटा नहीं हुआ। वह हमेशा कहता था कि आप लोग घबराइए मत। वह बहुत बहादुर है। उसकी तीन ऊँगलियाँ सफल होने के लिए काफी हैं। सूरज जैसा बेटा हर घर में पैदा हो।”

सूरज की माँ आशा देवी तिवारी कहती हैं, “मेरा बेटा बहुत बहादुर है। सूरज ने कभी हार नहीं मानी और अपने जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की। शुरू से ही उसके हौसले बुलंद थे। घटना के बाद भी उसने कभी हिम्मत नहीं हारी, बल्कि उसने हमें ही हौसला दिलाया कि आप चिंता मत करिए, मैं बहुत पैसा कमाऊँगा। वह हमेशा अपने छोटे भाई-बहनों को कड़ी मेहनत करने के लिए कहता है।”

बता दें कि सूरज के पिता पेशे से टेलर हैं। सिलाई कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। रमेश तिवारी के बड़े बेटे राहुल तिवारी का निधन हो चुका है। छोटा बेटा राघव तिवारी बीएससी और और बेटी प्रिया बीटीसी कर रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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