मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमलों 15 साल हो गए हैं। मुंबई में ताज होटल, लियोपोल्ड कैफ़े, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्रिडेंट, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर्स कॉलेज को निशाना बनाया गया था। इस हमले में 165 निर्दोष मारे गए थे और 9 आतंकियों को भी सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। अब पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद ने याद किया है कि कैसे इस हमले के सहारे हिन्दुओं को बदनाम करने की साजिश रच ली गई थी।
उन्होंने एक वीडियो को आगे बढ़ाते हुए ये टिप्पणी की। ये वीडियो बलिदानी कॉन्स्टेबल तुकाराम ओंबले को याद करते हुए अभिषेक नाम के यूजर ने शेयर किया था। वीडियो में एक पुलिस अधिकारी उनके बलिदान पर बात कर रहे हैं। इसमें वो कह रहे हैं, “आपने देखा होगा 55 वर्ष के एक ASI ओंबले अजमल कसाब से भिड़ जाते हैं, एक लाठी के साथ। 5 गोलियाँ पेट में लेते हैं। उसको पकड़ते हैं तो पकड़ ढीली नहीं होने देते हैं। ये है मुंबई पुलिस की साहस, ये है उनकी प्रतिबद्धता।”
पुलिस अधिकारी आगे ‘तिरंगे से खूबसूरत कफ़न नहीं होता’ वाली शायरी भी पढ़ते हैं। वीडियो में एक अन्य पुलिस अधिकारी बताते हैं कि कैसे अगर तुकाराम ओंबले ने सारीय गोलियाँ अपने ऊपर नहीं ली होतीं तो आज हम नहीं होते। वेंकटेश प्रसाद ने इस वीडियो पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 15 वर्ष पहले एक साजिश नाकाम हो गई, एक ऐसी साजिश जिसके तहत एक भयानक आतंकी हमले को ‘हिन्दू आतंक’ साबित करना था। उन्होंने तुकाराम ओंबले के अद्वितीय साहस और धैर्य को नमन किया।
वेंकटेश प्रसाद ने याद किया कि कैसे तुकाराम ओंबले ने अपना बलिदान देकर कई जानें बचाईं। याद दिला दें कि गिरफ्तारी के बाद ही मालूम चला था कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा चाहते थे कि अजमल बतौर समीर चौधरी मरे। ताकि दुनिया हिंदुओं पर ऊँगली उठाए और इस पूरे हमले को भगवा आतंक करार दिया जा सके। अपने इसी इरादे को पूरा करने के लिए उस रात मुंबई में घुसने वाले दसों आतंकियों की कलाई पर भगवा और लाल रंग का कलावा बाँधा गया था। जिससे उनके हिंदू प्रतीत होने में कोई संदेह न रह जाए।
15 years ago a conspiracy failed, a conspiracy to label the ghastly terrorist attack as Hindu Terror. Gratitude to Shaheed Tukaram Omble who showed unparallel grit and courage to capture Kasab alive , saved many lives and sacrificed his own life. #NeverForgiveNeverForget…
— Venkatesh Prasad (@venkateshprasad) November 26, 2023
राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा लेट मी से इट नाउ (Let Me Say It Now) में मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमले में एकमात्र जिंदा गिरफ्तार किए गए आतंकी अजमल कसाब को लेकर बड़े खुलासे किए थे। राकेश मारिया ने अपनी किताब में दावा किया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की भी कोशिश की थी। 10 हमलावरों को हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ फर्जी आईकार्ड भेजे गए थे। कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिस पर समीर चौधरी लिखा हुआ था।