विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 4.7% बढ़ाकर 10.1% किया है। इस अनुमान के पीछे निजी उपभोग की वृद्धि एवं निवेश को कारण बताया गया है। इससे पहले जनवरी में विश्व बैंक ने ही भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 5.4% बताया था। हालाँकि, विश्व बैंक ने आगामी संकटों को ध्यान में रखते हुए वृद्धि दर की एक रेंज निश्चित की है जो 7.5-12.5 फीसदी है।
दक्षिण एशिया की आर्थिक स्थिति पर आधारित एक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने बताया है कि वृद्धि दर वैक्सीनेशन कार्यक्रम, नीतिगत निर्णयों और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है।
विश्व बैंक ने ये यह भी कहा कि 2021 में सरकारी निवेश 16.7% बढ़ेगा। वैक्सीनेशन की तेजी के साथ व्यापार गतिविधियाँ, निवेश और माँग के बढ़ने की भी उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 में दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत ही एक मात्र ऐसा देश था जहाँ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। इस बढ़ोत्तरी के कारण विकासशील देशों में निवेश के क्षेत्र में भारत ने अपना एक अलग स्थान बनाया।
आईटी, ई-कॉमर्स, डाटा प्रोसेसिंग और डिजिटल पेमेंट जैसे क्षेत्र जीडीपी वृद्धि में भरपूर योगदान दे रहे हैं। एफडीआई, पूँजीगत इनफ्लो और आयात में कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय फॉरेक्स रिजर्व 2019 के मुकाबले लगभग दोगुना हो चुका है।