Friday, November 15, 2024
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ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के दूसरे चरण को मंजूरी: ₹12000 करोड़ की इस परियोजना से 7 राज्यों को फायदा, भारत-नेपाल के बीच पुल की भी स्वीकृति

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के दूसरे चरण का क्रियान्वयन वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के दौरान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना में किए जाने वाले कुल निवेश का 33 फीसदी केंद्रीय मदद के रूप में देने का प्रावधान है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार (6 जनवरी 2022) को कैबिनट की बैठक हुई, जिसमें कई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इनमें इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (Green Energy Corridor) के फेज-2 की स्वीकृति भी शामिल है। कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी।

इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के दूसरे फेज पर लगभग 12,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि फेज-2 में देश के सात राज्य- गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान शामिल हैं और इनमें 10,750 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण होगा।

नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, इस परियोजना से वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा इंस्टॉल्ड क्षमता को 450 गीगाबाइट किए जाने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। इस के साथ ही इससे लंबी अवधि के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी और पर्यावरण के अनुकूल विकास होगा। मंत्रालय ने बताया कि इससे बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार सृजन होगा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल के इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के दूसरे चरण का क्रियान्वयन वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के दौरान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना में किए जाने वाले कुल निवेश का 33 फीसदी केंद्रीय मदद के रूप में देने का प्रावधान है।

क्या है ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर?

नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, ग्रीन एनर्जी परियोजना का उद्देश्य सोलर और पवन ऊर्जा जैसे पर्यावरण के अनुकूल स्रोत से मिलने वाली बिजली को ग्रिड के जरिए पारंपरिक बिजली स्टेशनों की मदद से देश के के विभिन्न हिस्सों के लोगों तक पहुँचाना है। केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रदेश जरूरत के हिसाब से ग्रीन एनर्जी का उत्पादन कर सकते हैं, लेकिन ट्रांसमिशन की बेहद ऊँची लागत की वजह से इस बिजली को दूसरे हिस्सों में भेजने की समस्या है।

उन्होंने कहा कि इसी वजह से ग्रीन कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिससे राज्यों को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद मिलेगी और देश की खपत में ग्रीन एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़ेगी। ग्रीन एनर्जी से प्राप्त बिजली के इस्तेमाल के लिए मंत्रालय ने 2015-16 में इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इसके पहले चरण में 8 राज्य- तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं। अनुराग ठाकुर ने कहा कि पहले चरण का करीब 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। पहले चरण के लिए 10,142 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।

अनुराग ठाकुर ने आगे बताया कि भारत-नेपाल के बीच धारचूला में महाकाली नदी पर ब्रिज बनाया जाएगा। इससे उत्तराखंड और नेपाल के लोगों को काफी फायदा होगा। यह परियोजना करीब 12 हजार करोड़ रुपए की है और इसको लेकर दोनों देशों के बीच जल्द ही एमओयू साइन होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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