चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद सूर्य और उससे संबंधित अध्ययन के लिए आदित्य एल-1 को 2 सितंबर 2023 दिन शनिवार को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। इसे श्रीहरिकोटा से 11:50 बजे लॉन्च किया गया। आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण पर ISRO को दुनिया भर से बधाई मिल रही है।
आदित्य एल-1 स्पेसक्राफ्ट को लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह 127 दिन यानी लगभग सवा चार महीने में 15 लाख किलोमीटर (9,30,000 मील) की यात्रा करेगा। यह एल-1 बिंदु पर पहुँचेगा, जहाँ सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बलों के संतुलित के कारण वहाँ रूका रहेगा और सूर्य एवं आसपास के एरिया का डेटा इकट्ठा करके भेजेगा।
पृथ्वी से सूर्य के बीच की कुल दूरी का 100वें हिस्से यानी एल-1 बिंदु पर पहुँचने के बाद उपग्रह और पेलोड एक ही सापेक्ष स्थिति में सूर्य के चारों ओर घूमेंगे और बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखेंगे। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का निरीक्षण करने में मदद मिलेगी।
Here is the brochure: https://t.co/5tC1c7MR0u
— ISRO (@isro) September 1, 2023
and a few quick facts:
🔸Aditya-L1 will stay approximately 1.5 million km away from Earth, directed towards the Sun, which is about 1% of the Earth-Sun distance.
🔸The Sun is a giant sphere of gas and Aditya-L1 would study the… pic.twitter.com/N9qhBzZMMW
भारत का पहला सोलर स्पेस मिशन आदित्य एल-1 PSLV की 59वीं फ्लाइट से लॉन्च किया गया। अपने एक्सएल कॉन्फ़िगरेशन में पीएसएलवी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। यह एक अण्डाकार कक्षा है, जिसकी पेरिगी (पृथ्वी का निकटतम बिंदु) 19,000 किलोमीटर से अधिक होगी।
वहाँ से अंतरिक्ष यान लगभग 15 लाख किलोमीटर स्थित लैग्रेंज प्वाइंट-1 (L-1) तक पहुँचने के लिए अपने लिक्विड एपोजी मोटर्स (LAM) का उपयोग करेगा और कई कक्षाओं को पार करते हुए वहाँ पहुँचेगा। LAM एक शक्तिशाली इंजन है, जो इसे एल-1 तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य PSLV लॉन्च में लॉन्चिंग के 25 मिनट में वह यान को ऑर्बिट में स्थापित कर देता है, लेकिन आदित्य एल-1 मिशन की लॉन्चिंग के 63 मिनट बाद इसके अलग होने की प्रक्रिया शुरू होने का अनुमान है। आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है।
यह अब तक के सबसे लंबे PSLV मिशन में से एक है। फरवरी 2021 के मिशन ने ब्राजील के अमेजोनिया उपग्रह और 18 अन्य को कक्षाओं में स्थापित करने में 1 घंटे 55 मिनट से अधिक का समय लिया, जबकि फरवरी 2016 के मिशन ने आठ उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित करने में 2 घंटे और 15 मिनट का समय लिया। आदित्य-एल1 के विपरीत, दोनों में कई उपग्रह और कक्षाएँ शामिल थीं।