Wednesday, March 12, 2025

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Indians in Space

IAF पायलट ने संभाली स्पेस मिशन की कमान, 14 दिन रहेंगे अंतरिक्ष में : जानें उन शुभांशु शुक्ला के बारे में सब, जो ISS...

भारतीय वायु सेना के पायलट शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन जाएँगे। वह अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सिओम के मिशन में अंतरिक्ष में जाएँगे।

SpaDex की डॉकिंग पूरी, ISRO ने अंतिरक्ष में जोड़े दोनों सैटेलाइट: भारत के अलावा सिर्फ 3 देश के पास यह क्षमता, पीएम मोदी ने...

अब तक विश्व के तीन देश ही यह डॉकिंग की तकनीक हासिल कर सके थे। यह देश अमेरिका, रूस और चीन हैं। 16 जनवरी, 2025 को भारत भी इस लीग में शामिल हो गया है।

ISRO ने लॉन्च किया SpaDex मिशन, स्पेस डॉकिंग के लिए छोड़े दो सैटेलाइट: अंतरिक्ष में ही जोड़े जाएँगे, ऐसा करने वाला चौथा देश होगा...

ISRO द्वारा लॉन्च किए गए मिशन में से SDX-01 चेसर सैटेलाईट है जबकि SDX-02 टार्गेट सैटेलाईट है। SDX-01, SDX-02 की तरफ बढ़ेगा और अंत में दोनों जुड़ जाएँगे।

100+ दिन से अंतरिक्ष में फँसीं सुनीता विलियम्स, बोइंग विमान लौटने के बाद पहली बार की प्रेस कॉन्फ्रेंस: बताया- स्पेस में रहकर करेंगी US...

नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर भले ही अंतरिक्ष में फंसे हों, लेकिन वे अमेरिकी लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभाने के लिए तैयार हैं।

सफल हुआ लॉन्च, ‘सूर्य नमस्कार’ के लिए निकला भारत का आदित्य L1: 127 दिन में तय करेगा 15 लाख किलोमीटर की यात्रा

चंद्रयान-3 के बाद भारत ने शनिवार को अपने पहले सोलर स्पेस मिशन में आदित्य एल-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।

मोदी सरकार ने दिए ₹12543 करोड़, 389 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च कर ₹3300 करोड़ कमाए भी: जानिए UPA जमाने के मुकाबले कैसे अंतरिक्ष पर बदला...

भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में पिछले 9 वर्षों में बजट को दोगुना कर दिया है। वहीं, विदेशी उपग्रहों की लॉन्चिंग से ₹3,300 करोड़ की कमाई हुई।

भारतीय मूल की सिरिशा बांदला… वायुसेना पायलट नहीं बन सकीं, अब जा रहीं अंतरिक्ष में, होंगी तीसरी ‘इंडियन’ महिला

आंध्र प्रदेश के गुंटूंर जिले में जन्मी सिरिशा बांदला वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी में गवर्नमेंट अफेयर्स एंड रिसर्च ऑपरेशंस की वॉयस प्रेसीडेंट हैं।

भारत की स्वाति मोहन: ‘स्टार ट्रेक’ से हुईं अंतरिक्ष की ओर आकर्षित, अब MARS पर NASA के रोवर लैंडिंग का किया नेतृत्व

नासा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, स्वाति मोहन का परिवार संयुक्त राज्य अमेरिका में तब गया था जब वह सिर्फ एक साल की थीं। स्वाति शुरू में बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहती थीं, लेकिन अंत में वह नासा पहुँच गईं।

वामपंथियों के बेचे हुए सपने खरीदने वाले भारतीय अब ‘अंतरिक्ष के सेनानी’ बन चुके हैं

उन बुद्धिजीवियों के मुँह पर भी तमाचा पड़ा है जिन्हें मई 1988 में किए गए ऑपरेशन शक्ति पर आपत्ति थी। भारत तकनीकी विकास में कभी पीछे नहीं रहा। हमने अपने बलपर वह प्रत्येक तकनीक विकसित की है जो विश्व हमें नहीं देना चाहता था।

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