नई-नई मशीनें इजाद कर वैसे तो इंसान ने बहुत पहले से तमाम उपलब्धियों पर अपने हस्ताक्षर करने शुरू कर दिए थे, लेकिन 29 जून 2007 इतिहास की उन तारीखों में से है जिसने तकनीक की दुनिया को नए आयाम दिए। यह वह तारीख है जब पहली बार एप्पल का आईफोन (iPhone) बिक्री के लिए उपलब्ध था। हालाँकि इसे लाने की घोषणा स्टीव जॉब्स ने 9 जनवरी 2007 को ही कर दी थी।
कहने को यह फोन बस कंपनी का एक डिवाइस था। लेकिन उसे अपना बनाने की होड़ कुछ ऐसी थी कि बिक्री शुरू होने के कुछ देर में ही वह आउट ऑफ स्टॉक हो गया। मोबाइल प्रेमियों ने लंबी-लंबी लाइन लगाकर उस फोन को खरीदा था। जो खाली हाथ रह गए उन्होंने अगला स्टॉक आने तक बेचैनी से इंतजार भी किया।
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं यह कहानी है एप्पल आईफोन की बिक्री के पहले दिन की। 29 जून 2007 ही वह तारीख थी जब एप्पल कंपनी ने अपने पहले फोन की बिक्री को ऑफिशियली शुरू किया। शुरुआत में किसे मालूम था कि 1976 में पर्सनल कम्प्यूटर बनाने के लिहाज से शुरू हुई ये कंपनी एक दिन ऐसा फोन उतारेगी जिसमें बिन कोई बटन दबाए कम्प्यूटर और मोबाइल के हर फीचर काम करेंगे। उससे पहले ये मुमकिन नहीं लगता था। लेकिन एप्पल के साल 2005 में शुरू हुए ‘पर्पल प्रोजेक्ट’ ने इसे सच कर दिखाया।
आज के समय में जो आईफोन नौजवानों के लिए ड्रीम डिवाइस जैसा है वो कभी स्टीव जॉब्स का ड्रीम प्रोजेक्ट था। एक ऐसा प्रोजेक्ट जिसने बाजार में उतरते ही तस्वीर बदल दी। इस सपने को साकार होने में जिस पर्पल प्रोजेक्ट ने काम किया उसकी सोच यही थी कि फिजिकल कीबोर्ड या नेविगेशन की (key) जैसे माउस या कंप्यूटर पर ट्रैकपैड की जरूरत पूरी तरह से खत्म हो और लोग ऊँगली के टच से इनपुट दे पाएँ।
साल 2007 में जब आईफोन के तौर पर इस प्रोजेक्ट को एक आकार मिला तो दुनिया ने इसे क्रांतिकारी बदलाव माना, क्योंकि बाजार में इसका विकल्प मौजूद नहीं था। कहते हैं कि जॉब्स और उनकी टीम ने मात्र 30 महीनों की अवधि में रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर 150 मिलियन डॉलर के अधिक के खर्च से इसे संभव बनाया था। इसके बाद 21 अक्टूबर 2008 को गूगल ने भी अपना एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम इंट्रोड्यूस किया, लेकिन समय के साथ बाजार में उसका जलवा इतना नहीं चल पाया जितना लोगों ने iphone को याद रखा।
वैसे तो आज की तरह उस समय भी आईफोन अधिकांश लोगों की जेब से बाहर की बात हुआ करता था। लेकिन इसका क्रेज लोगों पर ऐसा था कि मात्र 15 महीनों में एप्पल ने 61 लाख आईफोन बेच दिए थे। एप्पल ने अपने पहले फोन को लेकर सबसे पहली घोषणा 9 जनवरी 2007 को की थी। लेकिन बिक्री 29 जून 2007 को होनी शुरू हुई। उस समय स्टीव जॉब्स ने मंच पर चढ़ कर भीड़ को बताया था, “एक आई पॉड, एक फोन, एक इंटरनेट कम्युनिकेटर। आप समझ रहे हैं न? ये तीनों अलग-अलग चीजें नहीं हैं। यह एक ही डिवाइस है।”
मात्र 3.5 इंच के डिस्प्ले के साथ इसमें सिर्फ 2 मेगा पिक्चल का रियर कैमरा कैमरा था। फ्रंट कैमरा था ही नहीं। कनेक्टिविटी में ब्लूटूथ, वाई-फाई और क्वाड बैंड जीएसएम/ जीपीआरएस/ एज की सुविधा दी गई थी। बैटरी 1400 एमएएच ली आयन थी और स्टोरेज के लिहाज से तीन विकल्प थे- 4जीबी, 8 जीबी और 16 जीबी। एप्पल के फोन की खास बात ये थी कि एंड्रॉयड से बिलकुल अलग था और इसमें एप्स के लिए कंपनी ने अपना ही एक ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया था।
तब और अब में फर्क
अब देखिए आज समय बदल गया। 14 साल के सफर में अब एप्पल का आईफोन अपनी 13वीं जेनरेशन यानी iPhone13 तक पहुँच गया है और साथ ही iPhone14 को लेकर अभी से अटकले लगनी शुरू हो गई हैं कि ये एप्पल मार्केट शेयर के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।
भारत में लाखों लोग बेसब्री से Apple iPhone13 के रिलीज का इंतजार कर रहे हैं। इसके प्रो मैक्स की कीमत भारत में 1 लाख 30 हजार तक जा सकती है। पहले आईफोन से तुलना करके देखें तो बेहतर होने के क्रम में आईफोन 2 मेगापिक्सल से ऊपर उठते उठते अब डीएसएलआर कैमरे जैसे फीचर से लैस हो गया है। नई जेनरेशन के फोन में हमें क्वाड रियर कैमरा देखने को मिलेगा। इसके अलावा प्रोसेसर की बात करें तो अपकमिंग आईफोन 13 सीरीज को कंपनी अपने लेटेस्ट A15 Bionic प्रोसेसर के साथ लॉन्च कर सकती है, जो कि 4nm process पर बने होंगे। एप्पल के इस प्रोसेसर की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो गई है। आने वाला iPhone13 में यूजर्स मास्क पहनकर फेस अनलॉक फीचर से अपने फोन को अनलॉक कर सकेंगे। इसके अलावा, स्मार्टफोन एक फिंगरप्रिंट सेंसर के साथ आएगा जो फेस आईडी फीचर के साथ मौजूद रहेगा।
Iphone बनाना एप्पल की उपलब्धि
बता दें कि आईफोन बनाना एप्पल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। इस प्रोडक्ट ने न केवल कंपनी के प्रतिद्वंदियों को चुनौती दी थी, बल्कि बाजार का रुख भी अपनी ओर कर लिया था। 29 जून 2007 का दिन ढलते हुए एप्पल का स्टॉक प्राइस जो $122.04 प्रति शेयर (आज के हिसाब से ₹9054.90) था। वो कुछ ही साल बाद $335.26 (₹24911.49) पहुँचा गया। वहीं नोकिया और एचटीसी जैसी नामी कंपनियों के स्टॉक प्राइस कम हो गए। साल 2011 की यही रिपोर्ट ये भी बताती है कि एप्पल ने वर्ष की पहली तिमाही में अपना लगभग 50% रेवेन्यू सिर्फ आईफोन से जेनरेट किया। वहीं उस साल मार्च तक 10 करोड़ 80 लाख फोन बेचे जबकि आईपॉड केवल 6 करोड़ बिक पाए थे।
आज कम कीमत में उपलब्ध होने के कारण हर दूसरे शख्स के पास एंड्रॉयड फोन हैं, जिसके चलते (साल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक) इनका मार्केट शेयर भी 72% रहा, जबकि एप्पल का मार्केट शेयर 27% रहा और इसे कायम रखने में iphone ने एक बड़ी भूमिका निभाई है। ये फोन एलीट क्लास की पहली पंसद में आता है। बाजार में बची 1% हिस्सेदारी अन्य मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम, जिसमें ब्लैकबेरी ओएस, विंडोज फोन, टिज़ेन और अमेज़ॅन फायर ओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम आते हैं।
उल्लेखनीय है कि तकनीक की दुनिया में क्रांति लाने वाली एप्पल कंपनी आज न केवल मोबाइल जगत में बल्कि अन्य उपकरणों के मामले में भी नए आयाम हासिल कर रही है। कंपनी के दूसरे प्रोडक्ट्स आईपैड, मैक-मिनी, आई-पॉड, आई-ट्यून्स, स्मार्टवॉच और आईओएस हैं। साल 2015 में इसने 233 अरब डॉलर की कमाई करके अपना नाम दुनिया की सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी में शामिल किया था। आज स्थिति ये है कि ये है बाजार में तमाम विकल्प मौजूद होने के बाद भी एप्पल कंपनी और इसके प्रोडक्ट्स का कोई तोड़ नहीं है। बात चाहे स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की हो या फिर नौकरी और बिजनेस करने वाले युवक-युवतियों की… हाथ में आईफोन होना स्टेटस का सबब बन गया है। हाल ये भी है कि बच्चे एप्पल का अर्थ सेब से ज्यादा आईफोन या उसके अन्य प्रोडक्ट्स से समझते हैं।