कुछ प्राचीन जीवों के लिए तिब्बत के ग्लेशियरों ने ‘कोल्ड स्टोरेज’ का काम किया है, जिससे वे अब तक जीवित हैं और दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। कई विशेषज्ञ पहले ही चेता चुके हैं कि ग्लेशियरों के पिघलने से अगली महामारी आ सकती है। हाल ही में प्रकाशित एक शोध में खुलासा किया गया है कि तिब्बती पठार के गुलिया आइस कैप से कई खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया मिले हैं। धीरे-धीरे बने इन ग्लेशियरों में प्राचीन काल में धूल के साथ-साथ वायरस भी दब गए थे।
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट मैथ्यू सुलिवन ने जानकारी दी है कि ये वायरस बेहद ही कठिन वातावरण में पनपे होंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियरों के पिघलने से ये वायरस वातावरण में सा सकते हैं, जो दुनिया के लिए बेहद ही खतरनाक साबित होगा। चीन के समुद्री तल से 22,000 फ़ीट (6.70 किलोमीटर) ऊँचाई पर ग्लेशियर से ये विषाणु मिले हैं। 33 में से 28 वायरस ऐसे हैं, जिन्हें आज तक कभी नहीं देखा गया।
इन वायरस के पास ऐसे जींस हैं, जो अत्यधिक ठण्ड में भी उन्हें किसी सेल में घुसपैठ करने की क्षमता प्रदान करते हैं। इसीलिए, ग्लेशियरों के पिघलने से सिर्फ मीथेन और कार्बन ही नहीं हवा को दूषित कर रहे हैं, बल्कि ऐसे वायरस भी इंसान को नुकसान पहुँचा सकते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद इस तरह की आशंका और बलवती हो गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कई जवाब अभी भी अनसुलझे हैं और इन ग्लेशियरों में क्या है, सटीकता से किसी को नहीं पता।
Ancient 15,000-Year-Old Viruses Found in Melting Tibetan Glaciers https://t.co/2Iyp4ZfGCo
— ScienceAlert (@ScienceAlert) October 26, 2022
वैज्ञानिक इन सवालों के जवाब ढूँढ रहे हैं कि जब हम मौजूदा गर्म माहौल से अचानक से बर्फ वाले युग में चले जाएँ तो हमारे साथ क्या होगा? ठीक ऐसे ही, पता लगाया जाना है कि ये वायरस क्लाइमेट चेंज पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और उनमें क्या बदलाव आते हैं। इस संबंध में 20 जुलाई, 2021 में एक शोध सामने आया था, जिसमें कहा गया था कि इन वायरसों के अध्ययन से हमें प्राचीन काल के वातावरण के बारे में भी पता चल सकता है।