भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) ने वर्ष 2024 के पहले ही दिन एक नया कीर्तिमान रच दिया। ISRO ने 1 जनवरी, 2024 को XpoSAT नाम का सैटेलाइट ब्लैक होल जैसे विषयों के शोध के लिए सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इससे पहले अमेरिका की अन्तरिक्ष एजेंसी NASA ही ऐसा सैटेलाइट लॉन्च कर पाई है। हालाँकि, ISRO ने इसे यहाँ भी अमेरिका की NASA को लागत के मामले में पछाड़ दिया।
PSLV-C58/XPoSat Mission:
— ISRO (@isro) January 1, 2024
Lift-off normal 🙂
🛰️XPoSat satellite is launched successfully.
🚀PSLV-C58 vehicle placed the satellite precisely into the intended orbit of 650 km with 6-degree inclination🎯.
The POEM-3 is being scripted …#XPoSat
ISRO ने यह मिशन ₹250 करोड़ की लागत से पूरा किया है। इसमें सैटेलाइट बनाने से लेकर इसे लॉन्च करने तक की लागत शामिल है। NASA ने भी 2021 में एक ऐसा ही मिशन अन्तरिक्ष में भेजा था। इसका नाम IXPE था। यह मिशन भी अन्तरिक्ष में X-किरणों और ब्लैक होल तथा न्यूट्रॉन तारों के शोध के लिए भेजा गया था।। इस मिशन में नासा ने ₹1565 करोड़ रूपए (188 मिलियन डॉलर) खर्चे थे। ISRO ने वैसा ही मिशन 6 गुना कम लागत पर पूरा कर लिया।
ISRO ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से यह सैटेलाइट लॉन्च किया। इसे PSLV रॉकेट के साथ अन्तरिक्ष में भेजा गया है। इस सैटेलाइट में दो पेलोड लगे हैं। एक का नाम POLIX और दूसरे का नाम XSPECT है। यह मिशन 2017 में शुरू हुआ था।
इस सैटेलाइट को रमन रिसर्च सेंटर और यू आर राव सैटेलाइट सेंटर ने मिलकर डिजाइन किया है। पोलिक्स 8-30 kEV एनर्जी बैंड के बीच की अन्तरिक्षीय ऊर्जा के शोध का काम करेगा। EV का मतलब इलेक्ट्रान वोल्ट होता है। K का मतलब हजार से है। यह किसी इलेक्ट्रान की ऊर्जा मापने का पैमाना है।
पोलिक्स के लगभग पाँच वर्ष काम करने की आशा ISRO ने जताई है। इस दौरान यह 40 चमकीले खगोलीय स्रोतों से आने वाली ऊर्जा की जानकारी भेजेगा। वहीं XSPECT, दूसरे पेलोड POLIX की सहायता करेगा। यह विद्युत्चुम्बकीय किरणें छोड़ने वाले न्यूट्रॉन तारों, जिन्हें पल्सर कहा जाता है, उनके ऊपर शोध करेगा। यह इसके अलावा पोलिक्स से कम ऊर्जा बैंड के अन्य ऊर्जा स्रोतों पर शोध भी करेगा।
ISRO ने यह सैटेलाइट भेजने के लिए PSLV रॉकेट को चुना था। PSLV रॉकेट के DL वेरिएंट ने यह सैटेलाइट कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किए हैं। इस रॉकेट की मुख्य बॉडी पर दो बूस्टर लगे होते हैं जो इसकी रेंज और स्पीड बढाने में मदद करते हैं। इनमें 12 टन ईंधन भरा होता है। यह लगभग 1250 किलो तक के सैटेलाइट ले जाने में सक्षम है। PSLV रॉकेट को सबसे पहले 1993 में सफलतापूर्वक लाँच किया गया था। चंद्रयान भी PSLV के ही जरिए लाँच किया गया था।
A great start to 2024 thanks to our scientists! This launch is wonderful news for the space sector and will enhance India's prowess in this field. Best wishes to our scientists at @isro and the entire space fraternity in taking India to unprecedented heights. https://t.co/4O4F6kRpEX
— Narendra Modi (@narendramodi) January 1, 2024
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस सैटेलाइट के सफलता पूर्वक लॉन्च होने पर ख़ुशी जताई है। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “हमारे वैज्ञानिकों को धन्यवाद, 2024 की शानदार शुरुआत! यह प्रक्षेपण अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए अद्भुत खबर है और इस क्षेत्र में हमारी शक्ति को बढ़ाएगा। हमारे वैज्ञानिकों को शुभकामनाएँ और संपूर्ण अंतरिक्ष समुदाय का को भारत को अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर ले जाने में योगदान दे रहा है।”