Friday, May 10, 2024
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2024 की पहली सुबह इसरो ने भरी XPoSat उड़ान, पृथ्वी की कक्षा में सैटेलाइट स्थापित: न्यूट्रॉन तारों और ब्लैक होल का खोलेगा राज

इस सैटेलाईट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया है। यह सैटेलाईट अन्तरिक्ष में X किरणों के विषय में जानकारी इकट्ठा करेगा। इसके द्वारा भेजी गई जानकारी से ISRO, न्यूट्रॉन तारों और ब्लैक होल के बारे में शोध करेगा। इस तरह के शोध के लिए भेजा जाने वाला यह विश्व का दूसरा सैटेलाईट है।

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संसथान (ISRO) ने 1 जनवरी, 2024 को सुबह 9:10 बजे अपने रिसर्च सैटेलाईट XPoSAT सैटेलाईट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। यह सैटेलाईट ISRO के PSLV C-58 रॉकेट से लॉन्च किया गया है। सैटेलाईट को सफलतापूर्वक उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक, इस सैटेलाईट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया है। यह सैटेलाईट अन्तरिक्ष में X किरणों के विषय में जानकारी इकट्ठा करेगा। इसके द्वारा भेजी गई जानकारी से ISRO, न्यूट्रॉन तारों और ब्लैक होल के बारे में शोध करेगा। इस तरह के शोध के लिए भेजा जाने वाला यह विश्व का दूसरा सैटेलाईट है।

इस सैटेलाईट में दो पेलोड लगे हैं। एक का नाम POLIX और दूसरे का नाम XSPECT है। यह मिशन 2017 में शुरू हुआ था, इसे लगभग ₹10 करोड़ की लागत में पूरा किया गया है। इस सैटेलाईट को रमन रिसर्च सेंटर ने डिजाइन किया है।

पोलिक्स 8-30 kEV एनर्जी बैंड के बीच की अन्तरिक्षीय ऊर्जा के शोध का काम करेगा। EV का मतलब इलेक्ट्रान वोल्ट होता है। K का मतलब हजार से है। यह किसी इलेक्ट्रान की ऊर्जा मापने का पैमाना है। पोलिक्स के लगभग पाँच वर्ष काम करने की आशा ISRO ने जताई है। इस दौरान यह 40 चमकीले खगोलीय स्रोतों से आने वाली ऊर्जा की जानकारी भेजेगा। यह मध्यम रेंज की खगोलीय X किरणों के शोध के लिए भेजा जाने वाला दुनिया का पहला पेलोड है।

XpoSAT सैटेलाईट, जिसे आज ISRO ने लाँच किया है
XpoSAT सैटेलाईट, जिसे आज ISRO ने लॉन्च किया है

वहीं XSPECT, दूसरे पेलोड POLIX की सहायता करेगा। यह विद्युत्चुम्बकीय किरणें छोड़ने वाले न्यूट्रॉन तारों, जिन्हें पल्सर कहा जाता है, उनके ऊपर शोध करेगा। यह इसके अलावा पोलिक्स से कम ऊर्जा बैंड के अन्य ऊर्जा स्रोतों पर शोध भी करेगा।

ISRO ने यह सैटेलाईट भेजने के लिए PSLV रॉकेट को चुना था। PSLV रॉकेट के DL वेरिएंट ने यह सैटेलाईट कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किए हैं। इस रॉकेट की मुख्य बॉडी पर दो बूस्टर लगे होते हैं जो इसकी रेंज और स्पीड बढाने में मदद करते हैं। इनमें 12 टन ईंधन भरा होता है। यह लगभग 1250 किलो तक के सैटेलाईट ले जाने में सक्षम है। PSLV रॉकेट को सबसे पहले 1993 में सफलतापूर्वक लाँच किया गया था। चंद्रयान भी PSLV के ही जरिए लाँच किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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