फेसबुक इंक (फेसबुक कंपनी का पहले का नाम) ने अपना नाम बदलकर अब मेटा (Meta) कर लिया है। ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि इससे आपके वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम या फेसबुक अकॉउंट पर कोई असर होने वाला है? तो क्या इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी अब मेटा नाम से ही जाना जाएगा? तो इसका जवाब है नहीं। फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने पेरेंट कंपनी का नाम बदलकर गुरुवार (28 अक्टूबर, 2021) को मेटा कर दिया है। ऐसे में फेसबुक इंक के अंडर आने वाले फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम के नाम वही बने रहेंगे, जो हैं।
फेसबुक ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सिलसिलेवार ट्वीट कर इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, “जिन ऐप्स- इंस्टाग्राम, मैसेंजर और वॉट्सऐप- को हमने बनाया है, उनके नाम वहीं रहेंगे।” विभिन्न एप और तकनीकों को इस नए ब्रांड के तहत लाया जाएगा। हालाँकि कंपनी अपना कारपोरेट ढाँचा नहीं बदलेगी।
The names of the apps that we build—Facebook, Instagram, Messenger and WhatsApp—will remain the same.
— Meta (@Meta) October 28, 2021
सोशल नेटवर्क के रूप में स्थापित अपनी पहचान को एक व्यापक और अलग रूप देने के लिए, साथ ही वर्चुअल रिएलिटी तकनीक (ART) पर आधारित कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट को दर्शाने के लिए फेसबुक ने यह कदम उठाया है। CEO मार्क जकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने गुरुवार को कंपनी के ऑगमेंटेड रियल्टी कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अपने एक प्रेजेंटेशन में कहा, “आज हम सोशल मीडिया कंपनी के रूप में जाने जाते हैं लेकिन हमारा डीएनए उस कंपनी का है, जो लोगों को जोड़ने के लिए टेक्नोलॉजी बनाती है। मेटावर्स, सोशल नेटवर्किंग की तरह ही अगला फ्रंटियर है। अब से, हम मेटावर्स-फर्स्ट होने जा रहे हैं, फेसबुक-फर्स्ट नहीं।”
मार्क जकरबर्ग का कहना है कि कंपनी का नाम बदले जाने के बाद भी हमारा मिशन वही रहेगा, जो है यानी विश्व भर के लोगों को साथ लाना। हमारे ऐप्स औ उनके ब्रांड नहीं बदल रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें फेसबुक को नए नाम का सुझाव पूर्व सिविक इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती ने दिया था। वहीं आलोचकों का यह भी कहना है कि यह फेसबुक पेपर्स से दस्तावेज लीक होने से उत्पन्न विवाद से ध्यान भटकाने का एक प्रयास हो सकता है।
खैर जो भी हो, फिलहाल फेसबुक ने मेटावर्स के कारण अपना नाम बदला है। मेटावर्स (Metaverse) की बात करें तो यह वर्चुअल कंप्यूटर जनरेटेड स्पेस है, जहाँ पर लोग एक-दूसरे के साथ आसानी से जुड़े रह सकते हैं। यह स्पेस वर्चुअल रियलिटी तकनीक (ART) पर आधारित है। वहीं मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि मेटावर्स के आने से यूजर्स को बहुत फायदा होगा। इसमें यूजर्स को पेरेंटल कंट्रोल जैसे लेटेस्ट फीचर्स का सपोर्ट दिया जाएगा। इसके अलावा वर्चुअल स्पेस में यूजर्स का निजी डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।
जानकारी के लिए बता दें कि ‘मेटावर्स’ शब्द ‘मेटा’ और ‘वर्स’ से बना है। इसका अर्थ होता है ब्रह्मांड से परे। इस शब्द का उपयोग आमतौर पर इंटरनेट के भविष्य की अवधारणा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह कथित आभासी ब्रह्मांड 3D से जुड़ा हुआ है। सबसे पहले 1992 में साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेंसन ने अपने उपन्यास स्नो केश में ‘मेटावर्स’ शब्द का इस्तेमाल किया था। यहाँ यह जानना मजेदार है कि आधुनिक विज्ञान के कई शब्द उपन्यासों से ही आए हैं जैसे ‘रोबोट’ 1920 के ‘कैरेल कापेक’ नाटक से आया है तो विलियम गिब्सन की एक किताब से ‘साइबर स्पेस’ शब्द आया है। ऐसे ही और भी कई उदाहरण हैं।
फेसबुक की दृष्टि में, इस नए तकनीक के माध्यम से लोग वर्चुअल वातावरण में प्रवेश करके इकट्ठा होंगे और कम्युनिकेट करेंगे, चाहे वे बोर्डरूम में सहकर्मियों के साथ बात कर रहे हों या दुनिया के दूर-दराज के इलाकों में दोस्तों के साथ घूम रहे हों। इसके लिए फेसबुक ने पहले ही एक मीटिंग सॉफ्टवेयर लॉन्च कर दिया था। हॉरिज़न वर्करूम्स (Horizon Workrooms) नाम का ये सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए है। बता दें, इसे ऑक्युलस वीआर हैडसेट्स (Oculus VR headsets) के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। ये मीटिंग के लिए ऐसा एन्वायरमेंट बनाता है कि पहली बार में यकीन कर पाना मुश्किल होता है।
इस बारे में विशेषज्ञों की बात करें तो मेटावर्स टेक्नोलॉजी को करीब से देखने और समझने वाली एनालिस्ट विक्टोरिया पेट्रॉक (Victoria Petrock) कहती हैं, “इस इन्वायरमेंट में ऑनलाइन लाइफ जैसे कि मीटिंग, शॉपिंग और सोशल मीडिया इंटरेक्शन तक सब संभव है। वे कहती हैं कि ये लोगों से जुड़ने की अगली पीढ़ी की क्रांति है, जिसमें लोग बिलकुल वैसी ही वर्चुअल जिंदगी जिएँगे, जैसी वे फिजिकली जीते हैं।”
चलिए अब संक्षेप में मेटावर्स भी समझते हैं, मेटावर्स पर बात करते हुए क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में सीनियर लेक्चरर निक केली कहते हैं, “इंसान ने ऑडियो स्पीकर से लेकर टेलीविजन तक कई तकनीक और उपकरण विकसित किए हैं। इन सारे आविष्कारों को हम अपनी इन्द्रियों से महसूस कर सकते हैं। भविष्य में इंसान छूने और गंध जैसी इंद्रियों के लिए भी उपकरण विकसित करेगा। इन्हीं प्रौद्योगिकियों को व्यक्त करने के लिए मेटावर्स नामक यह शब्द गढ़ा गया है। यह वर्चुअल दुनिया और भौतिक दुनिया के मेल को बताता है।”
आने वाले समय में जब इंटरनेट हमारी जिंदगी का और भी ज्यादा अहम हिस्सा बन जाएगा तो तमाम काम मेटावर्स में होंगे। मेटावर्स अर्थात एक तरह का वर्चुअल इन्वायरमेंट, जिसके भीतर आप जा सकें, न कि सिर्फ स्क्रीन पर देखकर ही प्रतिक्रिया दें। जहाँ दूर-दूर (यहाँ तक कि दूसरे देशों में) बैठे लोग एक-दूसरे से जुड़ी वर्चुअल कम्यूनिटीज़ में आपस में मिल पाएँ, काम कर पाएँ या फिर कोई गेम खेल पाएँ। यह सब संभव हो सकता है वर्चुअल रियलिटी हैडसेट्स (Virtual Reality Headsets), ऑगमेंटेड रियलिटी ग्लासेज़ (Augmented Reality Glasses), स्मार्टफोन्स और अन्य आधुनिक उपकरणों के माध्यम से।
Whether you’re imagining feeling closer to your long-distance family members or dancing with your friends wherever they are, share your vision for the future in the comments below.
— Meta (@Meta) October 28, 2021
कहने का मतलब यह है कि वह सब कुछ जो आप करना चाहते हैं आप मेटावर्स के जरिए कर पाएँगे। आप किसी वर्चुअल कॉन्सर्ट में जा पाएँगे। ऑनलाइन ट्रिप पर या आर्टवर्क बना और देख पाएँगे, डिजिटल कपड़े ट्राई करने के साथ-साथ खरीद भी पाएँगे। वर्क-फ्रॉम-होम तो और भी सामान्य सी बात हो जाएगी। घर में बैठकर भी आप ऐसा महसूस करेंगे जैसे कि आप ऑफिस में बैठे हैं। कभी भी मीटिंग हो सकेगी और मीटिंग में बैठे लोगों को लगेगा कि एक कमरे में बैठकर पूरा डिस्कशन चल रहा है।
हालाँकि, अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तविक जीवन की पूरी तरह से नकल करने वाला एक सच्चा मेटावर्स किस हद तक संभव है या इसे पूरी तरह विकसित होने में अभी और कितना समय लगेगा। पर ब्लॉकचैन-आधारित मेटावर्स में कई प्लेटफ़ॉर्म अभी भी ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) तकनीक विकसित कर रहे हैं जो उपयोगकर्ताओं को स्पेस में इंट्रैक्ट होने का मौका देगा।
अंत में यही कि फेसबुक इंक ने सिर्फ नाम ही नहीं बदला है बल्कि मेटा के रूप में लोगों को नए रोजगार के विकल्प भी उपलब्ध कराए हैं। कंपनी खुद करीब 10 हजार नौकरियाँ उपलब्ध कराएगी। ये नौकरियाँ मेटावर्स की वर्चुअल दुनिया बनाने में मदद करेगी। इसके अलावा भी कई दूसरे माध्यमों से हजारों नौकरियाँ जेनेरेट होंगी।