पाकिस्तान के सिंध में घोटकी से दो हिंदू लड़कियों, रीना और रवीना, जिनका कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया, फिर उन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया। इतना ही नहीं जबरन उनकी शादी उनकी उम्र से बड़े मुस्लिमों से करा दी गई। इस मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट में दोनों बहनों को अपने मुस्लिम पतियों सफ़दर अली और बरक़त अली के साथ रहने का आदेश दिया है।
ख़बर के अनुसार, अपनी एक अर्जी में दोनों बहनों ने यह दावा किया था कि वे घोटकी (सिंध) के एक हिंदू परिवार से ज़रूर हैं लेकिन उन्होंने इस्लामिक उपदेशों से प्रभावित होकर अपना धर्म बदला था।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अथर मिनल्लाह की अगुवाई वाली एक उच्च न्यायालय की पीठ ने पाँच सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट पेश करने के बाद यह निर्णय लिया, जिसमें यह जाँच करने का काम सौंपा गया था कि क्या हिंदू बहनों का इस्लाम में धर्मांतरण मजबूर किया गया था। उच्च न्यायालय ने पहले भी आदेश दिया था कि सुनवाई पूरी होने तक दोनों बहनों को इस्लामाबाद के एक आश्रय गृह में स्थानांतरित कर दिया जाए।
आयोग ने अदालत को सूचित किया कि कथित चिकित्सा परीक्षणों से यह साबित हो गया था कि दोनों लड़कियाँ नाबालिग नहीं थी क्योंकि उनमें से एक 18 और दूसरी 19 वर्ष की थीं, इसलिए उन्हें नाबालिग नहीं कहा जा सकता।
दरअसल, 20 मार्च को, होली की पूर्व संध्या पर दो नाबालिग हिंदू लड़कियों, 13 वर्षीय रवीना और 15 वर्षीय रीना का अपहरण करके उन्हें पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अपने उम्र से बहुत बड़े मुस्लिम पुरुषों से जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया गया। हिन्दू किशोरियों पर हुए इस अत्याचार ने पूरे विश्व में लोगों को पाकिस्तान में हिन्दुओं के हालात पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया।
इस घटना के कुछ दिनों के भीतर ही मेघवार समुदाय की एक अन्य हिंदू नाबालिग लड़की को भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बाडिन ज़िले के टांडो बाघो से कथित तौर पर अगवा कर लिया गया था।
इस घटना को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग से रिपोर्ट माँगी। पाकिस्तान के सिंध में होली की शाम हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर गंभीर सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए भारतीय उच्चायोग को टैग किया और इस सम्बन्ध में एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। इसके बाद इस मामले में 7 लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई।
इस मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के हिन्दू सांसद रमेश कुमार वंकवानी ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण के ख़िलाफ़ तैयार किए गए विधेयक को प्राथमिकता के आधार पर असेंबली में पेश एवं पारित कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “धर्म के नाम पर नफ़रत की शिक्षा देने वाले सभी लोगों से प्रतिबंधित धार्मिक संगठनों की तरह निपटा जाना चाहिए।