Monday, December 23, 2024
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जानिए IAF ने बालाकोट को क्यों चुना… क्योंकि एक आतंकवादी ने खोल दिया था इसका राज

बालाकोट एबटाबाद से 50 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। एबटाबाद में ही अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। यहीं पठानकोट हमले की भी साज़िश रची गई थी।

भारतीय वायुसेना ने जिन पाकिस्तानी क्षेत्रों में स्थित आतंकी ठिकानों पर बमबारी कर उन्हें तबाह किया है, उनमें बालाकोट सबसे अहम है। बालाकोट पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले में स्थित है। कंधार विमान हाईजैक कांड के बाद भारत सरकार द्वारा छोड़े गए आतंकियों में शामिल आतंकी मसूद अज़हर ने पाकिस्तान पहुँचते ही जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की और उसका सबसे पहले बेस कैम्प बालाकोट में ही बनाया था। अभी हाल ही में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकियों को भी बालाकोट की तरफ ढकेल दिया गया था, ताकि भारत द्वारा किसी भी तरह की संभावित जवाबी कार्रवाई के दौरान उन्हें सुरक्षित रखा जा सके।

मानसेहरा के इलाके जिनमें बालाकोट भी शामिल है

पाकिस्तान को सपने में भी यह अंदेशा नहीं था कि भारतीय वायुसेना इतनी अंदर तक घुस सकती है। सूत्रों के अनुसार, वायुसेना ने बालाकोट में आज मंगलवार (फरवरी 26, 2019) तड़के 3.45 से 3.53 तक बमबारी कर आतंकी कैम्पों को तबाह कर दिया। बालाकोट स्थित आतंकियों को मार गिराना भारतीय वायुसेना बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि यह क्षेत्र पूरी तरह से पाकिस्तान में स्थित है। इसे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का होमग्राउंड माना जाता है। आतंकी सैफुर रहमान सैफ़ी सहित अन्य तालिबानियों की मदद से यहाँ आतंक का गढ़ का निर्माण किया गया था ताकि भारत में हमले किए जा सके। सैफ़ी को आत्मघाती दस्ते का संस्थापक माना जाता है।

ताज़ा स्ट्राइक के बाद आतंकियों सहित उनके पोषकों का भी मनोबल टूट गया होगा क्योंकि यह आतंकियों के सबसे बड़े प्रशिक्षण कैम्प में से भी एक था। भारतीय ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़, सिर्फ़ बालाकोट में स्थित कैम्पों से हज़ार से भी अधिक आतंकीयों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। एक और जानने लायक बात यह भी है कि बालाकोट एबटाबाद से बस 50 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। एबटाबाद में ही अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। इस स्ट्राइक के बाद भारत ने यह भी दिखा दिया है कि अगर अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए पाकिस्तान के भीतर किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है तो भारत भी देश की सुरक्षा के लिए ऐसा करने में सक्षम है।

आपको जनवरी 2016 में हुआ पठानकोट हमला याद होगा। उस हमले में हमारे 7 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे व एक नागरिक की भी मृत्यु हो गई थी। जैश ने ही उस हमले की भी जिम्मेदारी ली थी। हमले के बाद एक आतंकी ने हिंदुस्तान टाइम्स से फोन पर बात करते हुए कहा था कि ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में उनका ही क़ानून चलता है और वहाँ बालाकोट क्षेत्र में उनका सबसे बड़ा प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है। उसने बताया था कि बाकी छोटे-मोटे कैम्पों को इधर-उधर शिफ्ट किया जाता रहता है। यही कारण है कि जब भारतीय वायुसेना ने स्ट्राइक्स के लिए नक्शा तैयार किया होगा, तब बालाकोट को एक अहम निशाना माना गया होगा।

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रियाज़ हसन की पुस्तक ‘Life as a Weapon: The Global Rise of Suicide Bombings‘ में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि कैसे बालाकोट 21वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका विरोधी आतंकियों का एक हब बन गया था। यहाँ बैठकें होती थी और रणनीति पर चर्चा की जाती थी। अफ़ग़ानिस्तान में आतंक फैलाने वाले तालिबानियों ने भी यही शरण ली थी। आतंकी सैफ़ी को यहीं हुई बैठक में पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र का दयित्व दिया गया था और सुसाइड बॉम्बिंग या आत्मघाती हमले वाले हथकंडे की रणनीति भी यहीं से बनाई गयी थी। पुस्तक में यह भी बताया गया था कि बालाकोट कश्मीरी आतंकियों व तालिबानी आतंकियों का एक संगम बन चुका था।

2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर जो हमला हुआ था, उसकी पूरी की पूरी प्लानिंग भी बालाकोट में ही की गई थी। उस हमले में 38 लोग मारे गए थे। भारतीय वायुसेना के ताज़ा स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी खेमे में बड़ा हड़कंप मच गया है और बैठकों का दौर शुरू हो गया है। वहाँ के विदेश मंत्री क़ुरैशी ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमे पाकिस्तानी नेताओं व अधिकारियों के लटके हुए चेहरे देखने लायक थे। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी एक बैठक बुलाई है। जो भी हो, भारत ने पाकिस्तान के इतने भीतर घुस कर उसे अपनी शक्ति का एहसास करा दिया है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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