1984 के सिख विरोधी दंगों (Anti Sikh Riots) के दौरान कानपुर के दबौली और गोविंद नगर इलाकों में 13 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मंगलवार (12 जुलाई 2022) को विशेष जाँच दल (SIT) ने चार और आरोपितों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक तीन बार कॉन्ग्रेस से पार्षद रह चुका है। उसकी उम्र 70 साल है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए चारों आरोपितों की पहचान राजन लाल पांडे, दीपक दम्मूलाल, धीरेंद्र तिवारी और कैलाश पाल के रूप में हुई है। इनमें पांडे 85 साल का है। अन्य उम्र 70-75 साल के बीच है। एसआईटी के डीआईजी बालेंदु भूषण सिंह के अनुसार, एसआईटी की टीम ने चार हत्याकांडों में गिरफ्तारियाँ की हैं। 11 मामलों में 73 आरोपित हैं, जिनमें से टीम ने अब तक 21 को हिरासत में लिया है।
पांडे, दम्मूलाल और तिवारी को तीन मामलों में छह लोगों की बेरहमी से हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जबकि कॉन्ग्रेस के पूर्व पार्षद कैलाश पाल को दबौली में हुए हत्याकांड के लिए गिरफ्तार किया गया है। पाल ने कथित तौर पर विशाख सिंह, उसकी पत्नी सिमरन कौर, बेटी गुरबचन कौर और उसके चार बेटों की हत्या कर दी थी।
बताया जा रहा है कि पाल और दो अन्य पार्षद भीड़ को सिंह के घर ले गए थे, जहाँ उन्होंने पहले उनके (सिंह) पैसे और अन्य कीमती सामान चुराए। फिर परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी। विशाख सिंह के दो बेटे महेंद्र सिंह और अवतार सिंह जीवित हैं। उन्होंने बताया कि पाल ने इस भीड़ का नेतृत्व किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चारों आरोपितों को गिरफ्तार करने वाली एसआईटी टीम के अधिकारियों सूर्य प्रताप सिंह, सुनील कनौजिया, जितेंद्र कुमार सिंह और संजय मौर्य को सम्मानित किया जाएगा। एसआईटी के डीआईजी ने कहा कि चारों अधिकारियों के नेतृत्व वाली टीमों को 10,000 रुपए का नकद इनाम मिलेगा।
गौरतलब है कि 1984 के सिख विरोधी दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गाँधी के सिख बॉडीगार्ड ने उनकी हत्या कर दी थी। इसके बाद 1 नवंबर से 4 नवंबर तक पूरे देश में सिखों की बेरहमी से हत्या की गई। सरकारी आँकड़ें बताते हैं कि 3350 सिखों की बेरहमी से हत्या की गई थी। हिंसक भीड़ का नेतृत्व करने के आरोप कॉग्रेस नेताओं पर लगे थे। कॉन्ग्रेस नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर पर सीधे तौर पर दंगों की साजिश रचने में बड़ी भूमिका का आरोप है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस ने दंगों को सही ठहराने की कोशिश की थी। कॉन्ग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 सिख नरसंहार से जुड़े मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई जा चुकी है।