दिल्ली से उत्तर प्रदेश के हाथरस जाते हुए 4 संदिग्ध लोगों को मथुरा पुलिस ने कल (अक्टूबर 5, 2020) गिरफ्तार किया। पड़ताल में पता चला कि इनके लिंक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) से हैं। टोल प्लाजा पर चेकिंग के दौरान इनकी गिरफ्तारी हुई। अब मथुरा पुलिस इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है।
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि उन्हें ऐसी सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति दिल्ली से हाथरस की तरफ जा रहे हैं, जिसके आधार पर सोमवार को मथुरा के मांट टोल प्लाजा पर संदिग्ध वाहनों की चेकिंग चल रही थी।
इस दौरान एक स्विफ्ट डिजायर कार (DL 01 jdc 1203) को रोका गया। उसमें चार लोग थे। पुलिस ने इन्हें इनकी संदिग्ध गतिविधियों के कारण रोका और अपनी पूछताछ शुरू की। पुलिस को पड़ताल में मालूम चला कि इन सबका संबंध पीएफआई से है।
Four persons who were on their way to Hathras from Delhi apprehended from Mathura yesterday. They were found to have links with Popular Front of India (PFI): UP Additional Director General of Police (Law and Order) Prashant Kumar pic.twitter.com/32Hnb4JTHA
— ANI UP (@ANINewsUP) October 6, 2020
पुलिस ने इनकी पहचान उर रहमान पुत्र रौनक अली निवासी नगला थाना रतनपुरी जिला मुजफ्फरनगर; सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद चैरूर निवासी बेंगारा थाना मल्लपुरम केरल; मसूद अहमद निवासी कस्बा व थाना जरवल जिला बहराइच व आलम पुत्र लईक पहलवान निवासी घेर फतेह खान थाना कोतवाली जिला रामपुर, के रूप में की।
पुलिस ने पूछताछ के बाद इन्हें अपनी हिरासत में ले लिया व इनके पास से मोबाइल, लैपटॉप एवं शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला संदिग्ध साहित्य बरामद किया। अब चारों के विरुद्ध मांट थाने के द्वारा कार्रवाई की जा रही है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ये चारों उत्तर प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा करने की साजिश में जुटे हुए थे।
गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस में आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधि मंडल जब पीड़ित परिवार से मिलने गया था, उस समय भी युवक ने अपने नारों में पीएफआई का जिक्र करके आप नेताओं पर गुस्सा जाहिर किया था। उसने AAP नेता संजय सिंह पर इंक फेंकते हुए कहा था- “PFI के दलालों वापस जाओ…वापस जाओ…PFI के गिद्धों वापस जाओ…लाशों पर राजनीति करना बंद करो।”
इससे पहले खुफिया एजेंसियों ने भी इस मामले पर खुलासे किए थे कि उन्हें ऐसे सुराग हाथ लगे हैं जो साबित करते हैं कि हाथरस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बदनाम करने की बड़ी साजिश रची गई। इसके लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ-साथ कई इस्लामी मुल्कों ने भी फंडिंग की थी। रातोंरात ‘जस्टिस फॉर हाथरस’ नाम से एक वेबसाइट भी बना ली गई थी। इस वेबसाइट पर विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश-प्रदेश में दंगे करने और उसके बाद उससे बचने के तौर-तरीके बताए गए थे।