उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस साल अब तक कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का उल्लंघन करने वाले 76 लोगों को गौहत्या के मामले में केस दर्ज किया है। यह जानकारी बुधवार (19 अगस्त, 2020) को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी द्वारा दी गई है।
उन्होंने कहा इस साल विभिन्न अपराधों के लिए एनएसए के तहत कुल 139 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इनमें सबसे ज्यादा गौहत्या का मामला है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने एक बयान जारी करते हुए कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत 139 लोगों पर केस दर्ज किया गया था। जिनमें 76 लोगों पर गौहत्या का आरोप है। 6 लड़कियों के खिलाफ अपराधों में शामिल हैं। वहीं 37 गंभीर अपराधों और 20 अन्य अपराधों में शामिल हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि अपराधों के मामले में एनएसए को सख्त कदम उठाना चाहिए, जो सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है ताकि अपराधियों में भय की भावना और जनता के बीच सुरक्षा की भावना पैदा हो सके।”
गौरतलब है कि अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून और व्यवस्था के लिए खतरा है, तो अधिकारी द्वारा एनएसए के तहत उसे 12 महीने तक बिना किसी आरोप के हिरासत में रखा जा सकता है।
यूपी में गौहत्या पर नया अध्यादेश जारी
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गौहत्या पर पूर्ण लगाम लगाने के लिए ‘Cow-Slaughter Prevention (Amendment) Ordinance, 2020’ को पास किया था। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ‘उत्तर प्रदेश गो वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020’ को मंजूरी दे दी गई।
जहाँ गौहत्या के आरोपित 7 साल के कारावास की सज़ा के प्रावधान को बढ़ा कर 10 साल कर दिया गया था। साथ ही गौहत्या पर लगने वाले जुर्माने को भी 3 लाख रुपए से बढ़ा कर 5 लाख रुपए कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में अब जो भी गौहत्या या गौ-तस्करी में संलिप्त होगा, उसके फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पे किए जाएँगे। मंगलवार (जून 9, 2020) को यूपी कैबिनेट ने ये फ़ैसला लिया।
इसके अलावा अवैध परिवहन से गौ-तस्करी में लिप्त लोगों को पकड़े जाने के बाद वाहन चालक और तस्करी में शामिल लोग, बल्कि वाहन के मालिक के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि गौकशी की घटनाओं को पूर्णतः रोकना उसका लक्ष्य है और गोवंशीय जानवरों के संरक्षण के लिए ये फ़ैसला लिया गया है। इससे पहले इस अधिनियम की नियमावली में 1964 और 1979 में संशोधन किया जा चुका था।
एक और ख़ास प्रावधान यह कि अगर कोई आरोपित इन अपराधों में दोबारा लिप्त पाया जाता है तो सज़ा भी दोगुनी मिलेगी। अर्थात, 20 वर्ष की क़ैद भुगतनी पड़ेगी और 10 लाख बतौर जुर्माना वसूला जाएगा। इस अधिनियम में 1958, 61, 79 और 2002 में इससे पहले संशोधन किया जा चुका है। इन सबके बावजूद प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से गोवंशीय पशुओं की तस्करी और हत्या की वारदातें सामने आती रहती थीं। इसीलिए इसे सख्त बनाया गया।