एक तरफ जहाँ तथाकथित किसान दिल्ली सीमा पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं तो वहीं इन कानूनों को देश भर में व्यापक समर्थन भी मिल रहा है। कृषि क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानूनों के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए देश के विभिन्न हिस्सों के 850 से अधिक शिक्षाविदों ने एक पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून कृषि व्यापार को प्रतिबंधों से मुक्त करने और किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपनी उपज बेचने में सक्षम बनाते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, कुछ उपकुलपतियों समेत प्रख्यात बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों ने कहा कि संघ सरकार ने किसानों को बार-बार आश्वासन दिया है कि इन तीनों कृषि कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ये पहले की तरह ही रहेगा। नया कृषि कानून सभी अवैध बाजार प्रतिबंधों से कृषि व्यापार को मुक्त करता है, ‘मंडियों’ से परे बाजार खोलने की अनुमति देता है और साथ ही सीमांत किसानों को बाजार / प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपनी उपज बेचने में मदद करता है।
पत्र में कहा गया है, “नए कानून किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करते हैं। हम किसानों को अपनी आजीविका की सुरक्षा के लिए सरकार के आश्वासन पर पूरा विश्वास करते हैं। सरकार अभी भी न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के सिद्धांत के लिए प्रतिबद्ध है।”
जीवंत चर्चा के बाद किए गए सुधार: विशेषज्ञ, शिक्षाविद
प्रख्यात विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि किसानों को लाभ पहुँचाने के लिए कृषि सुधारों के एजेंडे के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कानून कैसे लाया गया। बयान में कहा गया कि जीवंत चर्चा होने के बाद संसद के मानसून सत्र में विधेयक पारित किए गए। भारत एक ऐसा देश है जहाँ की अधिकांश आबादी अभी भी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है।
शिक्षाविदों ने कहा, “हम सरकार और किसानों दोनों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और उनके गहन प्रयासों को सलाम करते हैं। हम सभी जीवंत रहेंगे, प्रगति करेंगे और एक साथ शांति से विकास करेंगे।” कई किसानों के समूहों द्वारा मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों का स्वागत करने के बाद शिक्षाविदों द्वारा तीन प्रमुख कृषि सुधारों का समर्थन करने से इसका विस्तार हुआ है।
मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि कानूनों के लिए व्यापक स्वीकृति
जब से मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को पारित किया है, देश भर के किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करने के लिए आगे आए थे और केंद्र से अनुरोध किया था कि वह प्रदर्शनकारियों की माँगों के सामने न झुकें। पंजाब सहित विभिन्न राज्यों के इन किसानों ने कहा था कि नए खेत कानून उनके लिए फायदेमंद हैं और कहा कि इनको निरस्त नहीं किया जाना चाहिए।
बता दें कि पंजाब के किसान इन कानूनों को निरस्त करने की माँग कर रहे हैं। हालाँकि, देश के अधिकांश किसान खुलकर समर्थन में आ गए हैं। मोदी सरकार द्वारा पारित तीन कानूनों ने उन्हें संबंधित राज्य सरकारों द्वारा पारित APMC अधिनियमों द्वारा लगाए गए पहले के प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है।
सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो और साक्ष्य सामने आए हैं, जो साबित करते हैं कि सभी किसानों ने न सही, मगर अधिकतर किसानों ने कृषि सुधार कानूनों का स्वागत किया है। हाल ही में हरियाणा के लगभग 1.20 लाख किसानों ने कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था और केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने की माँग की थी।