खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता बताने वाले और एमनेस्टी इंडिया के मुखिया रहे आकार पटेल ने अकारण ही देश के सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ तिरस्कारपूर्ण टिप्पणी कर दी है। कभी मुस्लिमों और दलितों को हिंसा के लिए भड़काने वाले आकार पटेल ने शुक्रवार (जनवरी 8, 2021) रात सुप्रीम कोर्ट पर छींटाकशी की। उन्होंने एक सेक्सिस्ट और ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति घृणा दर्शाने वाले ट्वीट के जरिए ऐसा किया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों की तुलना ‘नपुंसकों’ से की और कहा कि न्यायपालिका जब ‘संकट’ में है तो ये जज ‘मर्द की तरह’ खड़े नहीं हो पाए। साथ ही उन्होंने पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ आए यौन शोषण के एक मामले का भी जिक्र किया और लिखा, “हिन्दू राष्ट्र के सुप्रीम कोर्ट के नपुंसक जजों ने यौन शोषक मुख्य न्यायाधीश को उसी मामले में पेश होने दिया, जिसमें वो खुद ही मुख्य आरोपित हैं।”
उन्होंने आगे लिखा, “इन सबके बावजूद हमें सुप्रीम कोर्ट के सामने इस तरह से घुटने टेकने हैं, जैसे डेल्फी (ग्रीक गॉड अपोलो की सैंक्चुरी) की कोई आकाशवाणी हो।” हालाँकि, जब इस ट्वीट के लिए जम कर उन्हें लोगों ने लताड़ लगाई, तब उन्होंने इसे तुरंत डिलीट कर लिया। लेकिन, उन्होंने इससे भी बड़ी बेहूदगी कर दी। उन्होंने लिखा कि अब वो ‘नपुंसक’ की जगह यहाँ ‘हरामजादा’ शब्द लेकर आ रहे हैं।
साथ ही उन्होंने ‘नपुंसक’ शब्द के इस्तेमाल के लिए माफ़ी भी माँगी। उन्होंने भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बताते हुए पूछा कि क्या पूर्व CJI पर लगे यौन शोषण के आरोपों के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाएगा? उन्होंने गोगोई पर असम में हजारों लोगों को प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने गोगोई पर अपने पद का गलत इस्तेमाल कर के राज्यसभा सांसद की सीट बदले में लेने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘डरा हुआ’ और कायर भी करार दिया। उन्होंने लिखा कि न्यायपालिका को कार्यपालिका से ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं, लेकिन वे ‘डरे हुए’ हैं। उन्होंने बार-बार अपने ट्वीट्स में देश के सर्वोच्च न्यायालय को ‘हिन्दू राष्ट्र का सुप्रीम कोर्ट’ बताया। ‘माफ़ी माँगने’ के बाद उन्होंने ‘नपुंसक’ की जगह ‘हरामजादा’ लिख कर फिर से उसी ट्वीट को दोबारा से प्रकाशित किया।
बता दें कि मई 2019 में ही सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा गठित तीन सदस्यीय जाँच पैनल ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी। जाँच पैनल को सीजेआई रंजन गोगोई के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों का कोई सबूत नहीं मिला था। इस पैनल का नेतृत्व जस्टिस एसए बोबडे कर रहे थे, जो अब देश के मुख्य न्यायाधीश हैं। चूँकि यह एक अनौपचारिक जाँच थी, इसीलिए इस जाँच की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया था।