Monday, December 23, 2024
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क्या करना है, कैसे करना है… सब सत्येंद्र जैन के दिमाग की उपज, हाई कोर्ट ने भी माना मनी लाॅन्ड्रिग का कर्ताधर्ता: जानिए AAP नेता को क्यों नहीं मिली बेल

"राजेंद्र बंसल, जीवेंद्र मिश्रा, आशीष चोखानी और जेपी मोहता की गवाही से पता चलता है कि सत्येंद्र कुमार जैन इस पूरे ऑपरेशन के बारे में सोचने वाले, फैसला करने वाले और अंजाम देने वाले थे। इसमें वैभव जैन और अंकुश जैन ने उनकी मदद की।"

दिल्ली की केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र जैन को हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले का कर्ताधर्ता बताया है। साफ शब्दों में कहा है कि क्या करना है, कैसे करना है, यह सब कुछ जैन के दिमाग की उपज थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी 6 अप्रैल 2022 को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की। कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।

जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने 46 पन्नों के आदेश में कहा है कि सत्येंद्र जैन या उनका परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन कंपनियों को नियंत्रित कर रहा था, जिनका इस्तेमाल मनी लाॅन्ड्रिंग में किया गया। साथ ही कहा है कि वे बाहर निकलने पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल सबूतों से छेड़छाड़ करने में कर सकते हैं। इसी आधार पर AAP नेता की जमानत याचिका खारिज की गई।

हाई कोर्ट ने कहा है, “पंकुल अग्रवाल की गवाही से जाहिर है कि मेसर्स जेजे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड पर सत्येंद्र कुमार जैन का पूर्ण नियंत्रण है। इसी तरह राजेंद्र बंसल, जीवेंद्र मिश्रा, आशीष चोखानी और जेपी मोहता की गवाही से पता चलता है कि सत्येंद्र कुमार जैन इस पूरे ऑपरेशन के बारे में सोचने वाले, फैसला करने वाले और अंजाम देने वाले थे। इसमें वैभव जैन और अंकुश जैन ने उनकी मदद की।” आदेश में जैन के लिए conceptualizer, visualizer and executor शब्द का इस्तेमाल किया गया है। आम बोलचाल की भाषा में कहें तो हाई कोर्ट ने जैन को मनी मनी लॉन्ड्रिंग मामले का कर्ताधर्ता बताया है।

उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के साथ मामले के दो अन्य आरोपित वैभव जैन और अंकुश जैन को भी जमानत देने से इनकार कर दिया था। सत्येंद्र जैन ने जमानत माँगते हुए दलील दी थी कि किसी तरह की संपत्ति पर उनका नियंत्रण नहीं है। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग से हुई आय पर नियंत्रण वश्यक नहीं है। ऐसा आय को छिपाने या फिर काले धन को कानूनी रूप देने के लिए भी किया गया हो सकता है।

सत्येंद्र जैन मई 2022 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। ससे पहले निचली अदालत ने भी सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि प्रथमदृष्टया यह सामने आया है कि सत्येंद्र जैन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आय छिपाने की कोशिश की। निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए सत्येंद्र जैन ने कहा था कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। इसके बाद भी वह जाँच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी उन्हें जेल में रखने की कोई जरूरत नहीं है।

दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य और जेल मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में ही बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े हवाला लेनदेन के मामले में हुई थी। ईडी ने अपनी जाँच में पाया है कोलकाता की कंपनियों के साथ उन्होंने अवैध रूप से 4.81 करोड़ रुपए का अवैध लेन-देन किया है। इस मामले में ईडी उनकी 4.81 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर चुकी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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