छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP/अभाविप) के सदस्य इन दिनों दो आदिवासी नाबालिग लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए लगातार पुलिस प्रशासन के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहे हैं। इस चक्कर में छात्र संगठन के कम से कम 14 सदस्यों की गिरफ्तारी भी हुई है। वहीं दर्जन भर को पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस का कहना है कि एबीवीपी के प्रदर्शनकारियों ने सामूहिक घेराव करते हुए बैरिकेडिंग तोड़ी थी, इसलिए उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई।
पूरा मामला राज्य के कवर्धा जिले का है। छत्तीसगढ़ के एबीवीपी प्रदेश मंत्री शुभम जैसवाल ऑपइंडिया को जानकारी देते बताते हैं कि संगठन का प्रदर्शन 2 मामलों को लेकर था। पहला जिसमें एक 14 साल की आदिवासी लड़की के साथ गैंगरेप हुआ और दूसरा 13 साल की आदिवासी लड़की, जिसे बिना उसकी इच्छा के आंध्र प्रदेश चर्च भेज दिया गया।
14 साल की आदिवासी लड़की का गैंगरेप
शुभम पहले मामले का जिक्र करते हुए कहते हैं कि पिछले दिनों 22 नवंबर 2020 को 14 साल की एक आदिवासी बच्ची का गैंगरेप हुआ था। उस लड़की ने देर रात खून से लथपथ हालत में थाने पहुँचकर एफआईआर करवाई थी, मगर उस शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय ये कह दिया गया कि वह अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ घूमने गई थी।
प्रदेश मंत्री के मुताबिक अस्पताल में इलाज के बाद जब बच्ची को होश आया तो उसने दुष्कर्म करने वाले सभी लोगों को बाहर आजाद घूमते हुए देखा, तब वह दोबारा थाने गई और शिकायत करवाई। मगर, तब तक क्षेत्र के एसपी की ओर से कहा जा चुका था कि ये सब लड़की की साजिश है। वह कहते हैं कि एक 14 साल की आदिवासी लड़की के ऊपर उल्टा इल्जाम लगाने वाले पुलिस अधिकारी और केस की जाँच करने वाले अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए।
13 साल की आदिवासी लड़की को चर्च भेजा, बनाया धर्मांतरण का दबाव
अपने प्रदर्शन से जुड़े अन्य मामलों का जिक्र करते हुए जैसवाल जानकारी देते हैं कि एबीवीपी 13 साल की आदिवासी लड़की के लिए भी न्याय की माँग कर रहा है, जिसे पिछले दिनों बहला-फुसला कर उसके माँ-बाप से दूर लाया गया और यकीन दिलाया गया कि उसे शहर के नामी होली क्रॉस स्कूल में पढ़ाएँगे। लेकिन यहाँ से उसे आँध्र प्रदेश के एक चर्च में भेज दिया गया और वहाँ उस पर दबाव बना कि लड़की ईसाई धर्म अपना ले।
नारी के सम्मान में ABVP मैदान में
एबीवीपी का कहना है कि उनकी माँग केवल दो आदिवासी लड़कियों को न्याय दिलाने की थी। उन लोगों ने पुलिस का रवैया ढीला देख कर ही कलेक्टर कार्यालय के बाहर घेराव किया था, जिसके चलते उनकी कई माँग सुनी भी गई, लेकिन कुछ ही दिन में कॉन्ग्रेस नेता मोहम्मद अकबर समेत कई स्थानीय नेताओं का प्रेशर बनना शुरू हुआ और कार्यकर्ताओं के ऊपर गैर जमानती धाराएँ लगाकर उन्हें जेल भेज दिया गया।
संगठन ने अपने कार्यकर्ताओं को रिहा कराने के लिए जमानत के लिए दरख्वास्त डाली है लेकिन अभी तक उस पर सुनवाई नहीं हुई है। बता दें कि ऑपइंडिया को इन केसों से संबंधित एफआईआर नहीं मिली है, मगर एबीवीपी के प्रदेश मंत्री से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पहले मामले में लड़की का बलात्कार करने वालों में रिजवान खान नाम के लड़के को छोड़ कर बाकी सभी आरोपित नाबालिग हैं, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। शुभम का आरोप है कि पुलिस की ओर से लड़की की मेडिकल रिपोर्ट और एफआईआर भी पीड़िता के घर वालों को नहीं दी गई है।
भाजपा सांसद संतोष पांडे ने भी इस गिरफ्तारी का विरोध किया है। उन्होंने कहा,
“शनिवार को पुलिस एबीवीपी कार्यकर्ताओं को सीधे कार्यालय से उठाकर कोतवाली थाना ले आई। इसके बाद रात को ही उनका मेडिकल कराया व रातों रात जेल भेज दिया। यानि चेहरा देखकर पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की है। इसी प्रकार अगर पुलिस दुष्कर्म पीड़िता का मेडिकल उसी दिन 22 नवंबर को रात को करा देती तो आरोपित जल्द पकड़े जाते। लेकिन पुलिस ने पूरे मामले में संदेह पैदा किया। पहले तो एक आरोपित को गिरफ्तार किया, फिर बाद में चार आरोपितों को पकड़ा, जबकि भाजपा द्वारा लगातार इस पूरे मामले में न्यायायिक जाँच की माँग की गई थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया।”
जानकारी के मुताबिक इस पूरे केस में एबीवीपी के कई कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ है। इन लोगों के खिलाफ खिलाफ आईपीसी की धारा 186, 188, 353, 147, 427 और 3 लोक संपत्ति के नुकसान के तहत मामला दर्ज हुआ है। है।
पुलिस का पक्ष
ABVP कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन उनकी माँग और संबंधित कार्रवाई को लेकर जब ऑपइंडिया ने पुलिस का पक्ष जानने के लिए अधिकारियों को संपर्क किया तो हमें बताया गया कि पुलिस ने केवल 14 एबीवीपी सदस्यों को गिरफ्तार करके जेल भेजा है।
पुलिस का कहना है कि एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने घेराव के दौरान बैरीकेडिंग तोड़कर कार्यालय में एंट्री की थी, इसलिए उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई। वह बताते हैं कि गैंगरेप मामले में 4 आरोपितों को जेल भेज दिया गया है और दूसरे केस में भी गिरफ्तारी की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में एबीवीपी सदस्यों की गिरफ्तारी के मद्देनजर धरना प्रदर्शन ने तूल पकड़ा हुआ है। रविवार को एक धरने में 500 से अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए थे। इसमें कार्यकर्ताओं को छोड़ने व दुष्कर्म के मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने, विवेचना में लापरवाही बरतने वाले के खिलाफ कार्रवाई की माँग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया था।।