गालीबाज ‘कॉमेडियन’ कुणाल कामरा द्वारा हाल में किए गए विवादित ट्वीट को लेकर अटॉर्नी जनरल ने अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह अनमुति इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील अनुज सिंह की शिकायत के आधार पर दी है।
[Breaking] AG KK Venugopal Grants Consent To Initiate Contempt Proceedings Against @kunalkamra88 for his NEW TWEET saying
— Live Law (@LiveLawIndia) November 20, 2020
“One of these 2 fingers is for CJI Arvind Bobde… ok let me not confuse you it’s the middle one” pic.twitter.com/QsTS3CDQIr
अनुमति देते हुए एजी वेणुगोपाल ने कहा कि कुणाल कामरा के ट्वीट में जान-बूझकर मुख्य न्यायाधीश (CJI) के अपमान का प्रयास किया गया। यह उस न्यायपालिका के अपमान के समान है, जिसका सीजेआई नेतृत्व करते हैं। कामरा के ट्वीट को अश्लील और बेहूदा बताते हुए अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट की अवमानना कानून 1975, की धारा 15 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी है।
One of these 2 fingers is for CJI Arvind Bobde… ok let me not confuse you it’s the middle one
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 18, 2020
😂😂😂 pic.twitter.com/IhoYIP3Ebe
बता दें कि कुणाल कामरा ने अपने हालिया ट्वीट में एयरपोर्ट पर दो ऊँगलियाँ दिखाते हुए लिखा था, “इन दो ऊँगलियों में से एक सीजेआई अरविंद बोबडे है।” आगे उसने यह साफ बताते हुए कि बीच वाली ऊँगली सीजेआई के लिए है। उसने कहा, “ठीक है चलो मैं आपको कन्फ्यूज नहीं करता, वो बीच वाली ऊँगली है।” 18 नवंबर को इसी ट्वीट के सामने आने बाद वकील अनुज सिंह ने अटॉर्नी जनरल के पास शिकायत भेजी थी।
यहाँ याद दिला दें कि सोशल मीडिया पर आई कुणाल कामरा की टिप्पणियों पर एक बार पहले भी अटॉर्नी जनरल कामरा के खिलाफ़ अवमानना का केस चलाने की बात अनुमति दे चुके हैं।
कामरा के ख़िलाफ़ अपना फैसला सुनाते हुए एजी केके वेणुगोपाल ने कहा था,
“लोग समझते हैं कि कोर्ट और न्यायाधीशों के बारे में कुछ भी कह सकते हैं। वह इसे अभिव्यक्ति की आजादी समझते हैं। लेकिन संविधान में यह अभिव्यक्ति की आजादी भी अवमानना कानून के अंतर्गत आती है। मुझे लगता है कि ये समय है कि लोग इस बात को समझें कि अनावश्यक और बेशर्मी से सुप्रीम कोर्ट पर हमला करना उन्हें न्यायालय की अवमानना कानून, 1972 के तहत दंड दिला सकता है।”
कुणाल कामरा के ख़िलाफ़ केस चलाने के लिए अपनी मँजूरी देते हुए उन्होंने लिखा था कि उन्होंने कामरा के ट्वीट देखे हैं, जो बहुत आपत्तिजनक हैं। उन्होंने कुछ ट्विट्स का जिक्र करते हुए लिखा कि ये न केवल खराब हैं, बल्कि व्यंग्य की सीमा लाँघ रहे हैं और कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं।
इसके बाद पिछले सप्ताह कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वाले अपने ट्वीट्स के लिए अवमानना के आरोपों का सामना करते हुए माफी माँगने से मना कर दिया था।
कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए अपना एक पत्र ट्वीट किया था, जिसमें उसने लिखा था,: “मैं अपने ट्वीट वापस लेने या उनके लिए माफी माँगने का इरादा नहीं रखता। मेरा मानना है कि वे खुद के लिए बोलते हैं।”