Saturday, November 23, 2024
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आगरा का पारस अस्पताल सील, महामारी एक्ट में FIR: हॉस्पिटल मालिक ने 22 मरीजों की मौत की बात नकारी

सरकारी रिकॉर्ड की बात करें तो 26 अप्रैल को पारस हॉस्पिटल में चार कोरोना मरीजों की मौत दर्ज है। आगरा जिले के डीएम प्रभु नारायण सिंह ने कहा था कि 26 और 27 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी हुई थी, लेकिन प्रशासन अस्पतालों को ऑक्सीजन लगातार पहुँचाती रही।

अपडेट: उत्तर प्रदेश के आगरा में जिलाधिकारी के आदेश पर मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई रोकने के वायरल आरोप में पारस हॉस्पिटल पर कार्रवाई की गई है। पारस हॉस्पिटल के मालिक का एक वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल को सील कर दिया गया है। इसके साथ ही अस्पताल के संचालक पर महामारी ऐक्ट के तहत मामला दर्ज करने के भी निर्देश दिए गए हैं। शुरूआती जाँच तहत प्रमुख सचिव (गृह) ने पारस अस्पताल के मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

हालाँकि, कार्रवाई के बाद एक विस्तृत वीडियो पारस हॉस्पिटल के मालिक डॉ अरिंजय जैन का आया है। जिसमें उन्होंने मीडिया में वायरल मॉक ड्रिल वीडियो के आधार पर 22 कोविड मरीजों के मरने के दावे को ख़ारिज किया है। एवं आगे की जाँच में भी पूरा सहयोग करने को कहा है।

वहीं आगरा के जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने भी ऑक्सीजन से मरीजों के मरने के दावे को ख़ारिज करते हुए कहा है यदि ऐसी कोई बात होती तो आगरा जैसी छोटी शहर होने के कारण हाय-तौबा मच जाती। उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर आँकड़े भी जारी किए हैं। जिसमें किल्लत की कोई बात नहीं है।

सरकारी रिकॉर्ड की बात करें तो 26 अप्रैल को पारस हॉस्पिटल में चार कोरोना मरीजों की मौत दर्ज है। डीएम प्रभु नारायण सिंह ने कहा था कि 26 और 27 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी हुई थी, लेकिन प्रशासन अस्पतालों को ऑक्सीजन लगातार पहुँचाती रही। उन्होंने कहा था कि 26 अप्रैल को पारस हॉस्पिटल में कोरोना के 97 मरीज भर्ती थे, जिनमें से चार की मौत हो गई थी। वहीं मामले में योगी सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इस मामले को जघन्य अपराध बताते हुए कार्रवाई की बात कही थी।

दरअसल, आगरा में एक पारस नाम के निजी अस्पताल के मालिक द्वारा अस्पताल के कोविड और गैर-कोविड वार्ड में भर्ती गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद करने की बात कही थी, जिसका वीडियो वायरल हो गया था। वीडियो वायरल होने के बाद जिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आर सी पांडे ने एक समिति गठित कर मामले की शुरूआती जाँच शुरू की थी। घटना 26 अप्रैल की बताई जा रही है और यह वीडियो 7 मई को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।

वायरल वीडियो में ऑक्सीजन संकट के मॉक ड्रिल के कारण 5 मिनट में 22 गंभीर मरीजों के मौत की बात कही जा रही है। वीडियो में हॉस्पिटल का संचालक एक शख्स से कहता है कि इससे 22 लोग मर गए थे। यह पूरी बातचीत 26/27 अप्रैल को सामने आए ऑक्सीजन संकट को लेकर बताई जा रही है। लेकिन अब इसमें डॉ ने सफाई दी है कि कोई मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी। वीडियो का सन्दर्भ भी अधूरा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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