आतंकी के एक हाथ में कलावा और फिर उन्हीं हाथों से थामे एके-47, हिंदू के नाम का पहचान पत्र, और फिर हिरासत में आने पर आसानी से भारत माता की जय बोलना, यह सब दिखने और सुनने में भले ही आसान लग सकता है, लेकिन इसे समझना इतना आसान नहीं था। 26/11 के हमलावरों को हिंदू आतंकवाद साबित करने की यह एक साजिश थी, जो नाकाम हो गई। इस बात का खुलासा तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपने द्वारा लिखी एक किताब में किया है।
राकेश मारिया ने ‘Let Me Say It Now’ नाम की लिखी अपनी एक किताब में एक नहीं बल्कि ऐसे कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मारिया की किताब ने उन कई रहस्यों से भी परदा उठाया है, जो अभी तक सिर्फ एक राज बने हुए थे। किताब में राकेश मारिया ने लिखा है कि सुबह साढ़े चार बजे वो कसाब से कहते हैं कि वो अपना माथा ज़मीन से लगाए… और उसने ऐसा ही किया। इसके बाद जब कसाब खड़ा हुआ तो राकेश मारिया ने कहा, “भारत माता की जय बोल” कसाब ने फिर ऐसा ही किया। मारिया दोबारा भारत माता की जय बोलने के लिए कहते हैं और ऐसा ही करता है। तब के पुलिस कमिश्नर मारिया कसाब को शव-गृह भी ले गए थे, जहाँ उसे मुर्दों को देख कर उल्टी आ गई थी।
राकेश मारिया ने सुबह साढ़े चार बजे कसाब से कहा कि वो अपना माथा ज़मीन से लगाए.. उसने ऐसा ही किया
— सिद्धार्थ | Siddharth | SidTree® (@sidtree) February 18, 2020
इसके बाद कसाब खड़ा हुआ तो राकेश मारिया ने कहा “भारत माता की जय बोल” कसाब ने ऐसा ही किया
एक बार से मारिया का जी नहीं भरा
कहा – “दोबारा बोल भारत माता की जय”
From — ‘Let Me Say It Now pic.twitter.com/bIKsa7Bkqt
पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने किताब में लिखा है कि कसाब को पाकिस्तानी आकाओं की ओर से हिंदू बनाकर भेजा गया था और मुंबई हमले को हिंदू आतंकी हमले की तरह पेश किए जाने की योजना थी। इसके लिए उसे बेंगलुरु के हिंदू निवासी के तौर पर पेश करने की योजना थी और समीर दिनेश चौधरी नाम का आईडी कार्ड देकर भारत भेजा गया था। इतना ही नहीं, उसके एक हाथ में कलावा भी बांधा गया था, जिससे साफ हो सके कि हमला करने वाले आतंकी हिंदू हैं, लेकिन यह सभी योजना काम नहीं आ सकी और आख़िर में उसकी पहचान पाकिस्तान के फरीदकोट के रहने वाले अजमल आमिर कसाब के तौर पर उजागर हो गई। यहाँ तक कि उसने खुद अपना गुनाह भी कबूल कर लिया था।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेशमारिया ने दावा किया कि कसाब के हाथ में कलावा बांधकर हिंदुओं को आतंकवादी बताने की साजिश की गई थी.
— बाबा काल भैरव ( भारत माता की जय ) (@firstcity) February 18, 2020
मारिया की किताब में यह भी दावा किया गया कि आतंक के आकाओं ने कसाब को बताया था कि भारत में मुस्लिमों को नमाज नहीं पढ़ने दी जाती, लेकिन जब कसाब को मेट्रो सिनेमा के पास एक मस्जिद में ले जाया गया तो वह मस्जिद देखकर बेसुध हो गया। जब उसने अपने लॉकअप से पाँच वक्त की नामज की आवाज सुनी, तो उसे अपनी गलतियों का धीर-धीरे अहसास हो गया।
किताब में लिखा गया है कि इसके बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को कसाब को मारने की सुपारी दी थी, क्योंकि उसे डर था कि अब पाकिस्तान की करतूतें सामने आ सकती हैं। किताब में यह भी जिक्र है कि हमले पर भेजे जाने से पहले कसाब को 1.25 लाख रुपए और एक हफ्ते की छुट्टी मिली थी। इन पैसों को कसाब ने अपनी बहन की शादी के लिए परिवार को दिए थे।
राकेश मारिया ने आतंकी अजमल कसाब से जुड़ा एक और खुलासा किया है कि कसाब की तस्वीर को मुंबई पुलिस ने नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसियों ने लीक किया था, जबकि मुंबई पुलिस तो कसाब की पहचान उजागर ही नहीं होने देना चाहती थी।
गौरतलब है कि कसाब सहित 10 आतंकियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश कर ताज होटल, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी समेत कई स्थानों को अपना निशाना बनाया था। इस हमले में 166 बेगुनाह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 308 से अधिक लोग घायल हुए थे। सेना ने कार्रवाई में कसाब को छोड़कर सभी को मौके पर ही मार गिराया गया था। बाद में कसाब को दोषी पाए जाने पर उसे 21 नवंबर 2012 को पुणे जेल में फाँसी दे दी गई थी। वह पहला विदेशी था, जिसे भारत में फाँसी दी गई थी।
नमाज, 1.25 लाख रुपए और बहन की शादी… 26/11 हमले के पीछे ‘हिंदू आतंकी’ कसाब की कहानी