ईद उल-अजहा यानी बकरीद बुधवार (21 जुलाई) को है। इससे पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने सोमवार (19 जुलाई) को मुस्लिम धर्मगुरुओं से अपील की है कि कोरोना संकटकाल में वे मस्जिदों से ऐलान करें कि लोग अपने घरों में ही बकरीद की नमाज अदा करें। इस दिन ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बेजुबान जानवरों की कुर्बानी पर भी रोक लगनी चाहिए। इसके लिए भी मुस्लिम धर्मगुरुओं को आगे आना होगा और अपने लोगों को समझाना होगा।
महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि पहले सनातन धर्म में भी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि देने की प्रथा थी, लेकिन अब हिंदू समाज ने इस कुप्रथा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। अब पशुओं की जगह नारियल फोड़ने की परंपरा निभाई जाती है। इससे न किसी की धार्मिक आस्था को ठेस पहुँची है, न ही हमारी परंपरा से छेड़छाड़ हुई और जीव हत्या भी रुक गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही प्रयास मुस्लिम धर्मगुरुओं को करना चाहिए। बकरीद पर लाखों बेजुबान जानवरों की कुर्बानी दी जाती है, इसे रोकने जरूरत है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को इसे रोकने के लिए आगे आना होगा।
महंत ने कहा, ”कोई भी धर्म किसी भी जीव की हत्या करना नहीं सिखाता, बल्कि सभी दूसरों के जीवन की रक्षा करना सीखाते हैं। मुस्लिम धर्मगुरु अपने समुदाय के लोगों को जीव हत्या करने से रोकेंगे तो समाज में बेहतर माहौल बनेगा।”
वहीं, महंत ने कोरोना महामारी के चलते यूपी की योगी सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया है। नरेंद्र गिरि ने कहा, ”धार्मिक आस्था और परंपरा जरूरी है, लेकिन लोगों का जीवन बचना उससे कहीं ज्यादा जरूरी है।” बता दें कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, कांवड़ संघों और दूसरे साधु संतों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से इस वर्ष कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने की माँग की थी।