आखिरकार 16 दिनों बाद उत्तरकाशी के सिलक्यारा स्थित सुरंग में ‘श्रम’ की जीत हुई। श्रम की जीत, अर्थात चारधाम यात्रा को आसान बनाने के लिए जो श्रमिक लगातार लगे हुए थे और ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग के ध्वस्त होने के बाद फँस गए थे, उन सभी 41 मजदूरों को बाहर सुरक्षित निकाल लिया गया है। श्रम की जीत, अर्थात बाहर इनके लिए प्रार्थना कर रहे श्रमिकों के परिजनों की जीत, इनके साथी श्रमिकों की आशा की जीत।
सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत किया है। माइक्रो टनलिंग क्सपर्ट क्रिस कूपर ने ही बताया है कि सही श्रमिक बाहर निकाल लिए गए हैं।
श्रम की जीत, अर्थात मशीनों से लेकर मानव संसाधन तक के श्रम की जीत, 16 दिनों से इस रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे लोगों के श्रम की जीत, इसकी निगरानी कर रहे सत्ता में बैठे नेताओं के भी श्रम की जीत। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते रहे हैं – ‘श्रमेव जयते’। हर परियोजना के पूरे होने पर पीएम मोदी श्रमिकों को सम्मान देते रहे हैं, चाहे वो दिसंबर 2021 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हो या फिर जुलाई 2023 में दिल्ली का IECC कॉम्प्लेक्स। 41 श्रमिकों के सुरंग से सुरक्षित निकाले जाने के बाद ये भावना और प्रबल हुई है।
सभी श्रमिक स्वस्थ थे, चूँकि बाहर लोग उनसे संपर्क में थे इसीलिए कैमरे के जरिए उनका हालचाल पता चल रहा था। इसके बावजूद किसी भी तरह की कमी न रहे, इसीलिए उन्हें निकालने के लिए स्ट्रेचर का इस्तेमाल किया गया और चिन्यालसौर स्थित कम्युनिटी अस्पताल, उत्तरकाशी स्थित जिला अस्पताल और ऋषिकेश स्थित एम्स में सारी तैयारियाँ कर के रखी गई थीं। श्रमिकों के स्वागत के लिए बाहर फूल मालाएँ तैयार रखी गई थीं।
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue: CM Pushkar Singh Dhami meets the workers who have been rescued from inside the Silkyara tunnel. pic.twitter.com/5gZHyuhrqF
— ANI (@ANI) November 28, 2023
यहाँ तक कि सुरंग के पास भी हेल्थ ट्रेनिंग के लिए एक अस्थायी मेडिकल व्यवस्था और डॉक्टरों को तैयार रखा गया था। 8 बेड की व्यवस्था थी और डॉक्टरों की टीम ने इसकी जाँच की। एक दिन पहले पाइप के जरिए मजदूरों को क्रिकेट बैट और गेंद भी भेजी गई थी, उन्होंने क्रिकेट भी खेली थी। मजदूरों को एयरलिफ्ट करने के लिए भारतीय वायुसेना का ‘चिनूक’ हेलीकॉप्टर भी तैयार रखा गया है।