प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने साल 2014 में केंद्र की सत्ता सँभाली थी। इसके बाद पिछले 10 वर्षों ने सरकार ने आधारभूत संरचना निर्माण से लेकर हर क्षेत्र में तमाम सुधार किए। उन सुधारों का असर अब धरातल पर दिखने भी लगा है। शिक्षा क्षेत्र में इसका बड़ा असर हुआ। इसको लेकर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है।
AISHE की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में उच्च शिक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में 26.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाली महिलाओं की संख्या में 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की संख्या में 44 प्रतिशत और अनुसूचित जाति की महिलाओं संख्या में 51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
शनिवार (27 जनवरी 2024) को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में उच्च शिक्षा में नामांकन 4.14 करोड़ था, जो 2021-22 में 91 लाख बढ़कर 4.33 करोड़ हो गया है। वित्त वर्ष 2014-15 में यह संख्या महज 3.42 करोड़ थी। वहीं, उच्च शिक्षा में महिला नामांकन 1.57 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गया है। 2014-15 में महिला नामांकन लगभग 1.57 करोड़ थी।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आँकड़ों को साझा करते हुए सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू किए गए सुधारों ने हमारे शिक्षा क्षेत्र को बदल दिया है और सभी पहलुओं में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। पहली बार महिलाओं ने 7 शीर्ष यूजी पाठ्यक्रमों में से 5 में पुरुषों को पछाड़ दिया है। पिछले 5 वर्षों में छात्राओं का नामांकन 76 लाख बढ़ गया है।”
उन्होंने आगे लिखा, सकल नामांकन अनुपात (GER) 28.4% की नई ऊँचाई हासिल करने के साथ ही महिला जीईआर पिछले 5 वर्षों से पुरुष छात्रों की तुलना में अधिक है। ये रुझान प्रोत्साहित करने वाले हैं, खासकर जब हम अपनी नारीशक्ति की ताकत, लचीलेपन और उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं और लैंगिक समानता एवं महिला-नेतृत्व वाले विकास के प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं।”
Reforms initiated by PM @narendramodi ji has transformed our education sector and has led to groundbreaking progress in all aspects.
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) January 27, 2024
👉For the first-time ever women have outnumbered men in 5 out of 7 top UG courses.
👉Female students’ enrolment has gone up by 76 lakh in the… pic.twitter.com/CyvEyr1Lv6
AISHE रिपोर्ट के अनुसार, अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के नामांकन में भी काफी प्रगति हुई है। अल्पसंख्यक नामांकन साल 2014-15 में 21.8 लाख से बढ़कर साल 2021-22 में 30.1 लाख हो गया है, जो 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वहीं, महिला अल्पसंख्यक नामांकन 2014-15 में 10.7 लाख से बढ़कर 2021-22 में 15.2 लाख हो गया है, जो 42.3% वृद्धि है।
आँकड़ों के अनुसार, कुल विद्यार्थियों में से लगभग 78.9 प्रतिशत स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं और 12.1% स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं। वहीं, साल 2014-15 में पीएचडी में कुल नामांकन 1.17 लाख था, जो 2021-22 में बढ़कर 2.12 लाख हो गया है। यह 81.2 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है। महिला पीएचडी नामांकन 2014-15 में 0.48 लाख से दोगुना होकर 2021-22 में 0.99 लाख हो गया है।
उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021-2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी विश्वविद्यालय कुल विश्वविद्यालयों के 58.6 प्रतिशत हैं। इन विश्वविद्यालयों का कुल नामांकन में 73.7 प्रतिशत योगदान था। वहीं, निजी विश्वविद्यालयों का कुल नामांकन में 26.3 प्रतिशत योगदान है।
साल 2021-22 तक पंजीकृत विश्वविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय स्तर के संस्थानों की कुल संख्या 1,168 हो गई हैं। 2014-15 में इन संस्थानों की संख्या सिर्फ 341 थी। वहीं, 2021-22 तक कॉलेजों की संख्या 45,473 और स्वायत्त (स्टैंडअलोन) संस्थानों की संख्या 12,002 है। 17 विश्वविद्यालय (जिनमें से 14 राज्य सरकार विश्वविद्यालय हैं) और 4,470 कॉलेज महिलाओं के लिए हैं।
साल 2021-22 के आँकड़ों के अनुसार, 99 प्रतिशत विश्वविद्यालयों में पुस्तकालय, 93 प्रतिशत विश्वविद्यालयों में कंप्यूटर केंद्र, 91 प्रतिशत विश्वविद्यालयों में खेल के मैदान, 88 प्रतिशत विद्यालयों में प्रोयशालाएँ और 71 प्रतिशत विश्वविद्यालयों में कौशल विकास केंद्र स्थापित हैं।
2021-22 में फैकल्टी/शिक्षकों की कुल संख्या 15.98 लाख है। इनमें से लगभग 56.6% पुरुष और 43.4% महिलाएँ हैं। महिला फैकल्टी/शिक्षकों की संख्या 2014-15 में 5.69 लाख से बढ़कर 2021-22 में 6.94 लाख हो गई है। साल 2014-15 से 2021-22 तक में 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।