इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के खिलाफ दायर दो लोगों की याचिका को खारिज कर दिया है। दोनों ने ये याचिका NSA के तहत हिरासत में रखे जाने के खिलाफ दायर की थी। दोनों पर हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस की प्रतियों का अनादर करने और उन्हें जलाने के आरोप हैं।
न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी और संगीता जौहरी की बेंच ने दो अलग-अलग याचिकाओं में ये आदेश दिया। दरअसल देवेेंद्र यादव और सुरेश यादव नाम के दोनों आरोपितों ने अलग-अलग शख्स के जरिए अपने याचिकाएँ दायर करवाई थीं। आरोपित देवेंद्र यादव के पिता के माध्यम और सुरेश यादव ने अपनी पत्नी के माध्यम से याचिकाएँ दायर की थीं।
इलाहबाद हाईकोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा जिस तरह से याचिकाकर्ताओं ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर दिनदहाड़े सार्वजनिक जगह पर बहुसंख्यक समुदाय के पूजे जाने वाले धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया, उसके लिए समाज में आक्रोश और गुस्सा स्वाभाविक था।
बेंच ने आगे कहा कि मौजूदा हालात में समाज का लगभग हर शख्स मोबाइल फोन और सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है। इस आधार पर बेंच ने माना कि सिर पर मंडराते इस खतरे को देखते हुए हिरासत में लिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि उनकी हिरासत को याचिकाकर्ताओं की निजी आजादी पर गलत और अवैध प्रतिबंध नहीं माना जा सकता है।
बताते चलें कि बीते साल 29 जनवरी 2023 में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रामचरितमानस की फोटोकॉपी किए पेज जलाए गए थे। मौर्य ने 22 जनवरी 2023 को दावा किया था कि इस ग्रंथ की कुछ चौपाइयों में कथित तौर पर महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ हैं, जो सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देती हैं।
इस आरोप में लखनऊ पुलिस ने 10 नामजद और कई अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया था। बीजेपी नेता सतनाम सिंह लवी की शिकायत पर ये FIR पर दर्ज की गई थी। इसके तहत पुलिस ने आरोपित देवेन्द्र यादव, यशपाल सिंह लोधी, सत्येन्द्र कुशवाहा, मोहम्मद सलीम और सुरेश यादव के खिलाफ NSA लगाकर गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिस ने आरोपितों को 8 फरवरी 2023 को हिरासत में ले लिया गया था। वहीं, समाजवादी पार्टी से एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य पर भी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया था।