Thursday, November 21, 2024
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‘किसी भी अवैध निर्माण’ को ध्वस्त किया जाना चाहिए: योगी सरकार ने अतिक्रमणकारियों को भेजी गई नोटिस को कोर्ट में सही ठहराया, बहराइच हिंसा में थे शामिल

सरकार ने बताया कि इस सड़क पर अतिक्रमित क्षेत्रों का निरीक्षण एवं सीमांकन करने के लिए 14 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। निरीक्षण के दौरान समिति ने पाया कि किलोमीटर 38 के पास निर्माण के कारण सड़क 'S' वक्र बन गया है। इससे दृश्यता कम हो गई है और वहाँ लगातार दुर्घटनाएँ हो रही हैं। निरीक्षण रिपोर्ट में ऐसी 24 इमारतों की पहचान की गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में हलफनामा देकर अतिक्रमणकारियों को दी गई नोटिस को उचित ठहराया और कहा कि ‘किसी भी ‘अवैध’ निर्माण को ध्वस्त किया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने बहराइच हिंसा में 23 लोग को नोटिस जारी किया है। ये लोग 13 अक्टूबर की बहराइच में शामिल थे। अधिकारियों ने पाया कि ये लोग कुंडासर-महसी-नानपारा के किलोमीटर 38 पर अतिक्रमण किया है।

हलफनामे में कहा गया है कि कुंडासर-महसी-नानपारा एक बड़ी जिला सड़क (MDR) है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई इलाके के लोगों और परिवहन के लिए मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड का उपयोग करने वाले लोगों के हित में है। सरकार ने कहा कि अतिक्रमणकारियों ने भवनों/मकानों का निर्माण उत्तर प्रदेश सड़क किनारे भूमि नियंत्रण नियम 1964 के नियम 7 का उल्लंघन करके किया गया है।

सरकार की ओर से यह हलफनामा देवी पाटन (गोंडा) लोक निर्माण विभाग (PWD) के मुख्य अभियंता अवधेश शर्मा चौरसिया ने 25 अक्टूबर को दायर किया। PWD की नोटिस में कहा गया है कि ये निर्माण अवैध हैं, क्योंकि इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क के केंद्रीय बिंदु से 60 फीट के भीतर बनाया गया है, जो कि स्वीकार्य नहीं है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश सड़क किनारे भूमि नियंत्रण नियम 1964 के नियम 7 में कहा गया है कि भवन निर्माण लाइनों के भीतर भवनों का निर्माण नहीं किया जाएगा। यह नियम किसी भी प्रमुख जिला सड़क (एमडीआर) की केंद्र रेखा से 60 फीट, खुले एवं कृषि क्षेत्रों के लिए 60 फीट और शहरी एवं औद्योगिक क्षेत्रों के लिए 45 फीट निश्चित की गई है।

हलफनामे में आगे कहा गया है कि जिस सड़क के किनारे ‘अतिक्रमणकारियों’ द्वारा अवैध निर्माण किए गए हैं, उसे शुरू में अन्य जिला मार्ग (ODR) के रूप में अधिसूचित किया गया था। जून 2021 में इसे उत्तर प्रदेश सड़क किनारे भूमि नियंत्रण अधिनियम 1945 की धारा 3 के तहत प्रमुख जिला मार्ग (एमडीआर) के रूप में वर्गीकृत किया गया।

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि कुंडासर-महसी-नानपारा मार्ग के किलोमीटर 38 के आसपास का क्षेत्र दुर्घटना संभावित क्षेत्र बन गया है, क्योंकि यहाँ चल रहे निर्माण ने पहले से सीधी सड़क को तीव्र मोड़ में बदल दिया है। सरकार ने कहा कि प्रमुख जिला सड़क (एमडीआर) के केंद्र से निर्धारित दूरी के भीतर किया गया कोई भी निर्माण अवैध है और उसे ध्वस्त किया जाना चाहिए।

सरकार ने बताया कि इस सड़क पर अतिक्रमित क्षेत्रों का निरीक्षण एवं सीमांकन करने के लिए 14 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। निरीक्षण के दौरान समिति ने पाया कि किलोमीटर 38 के पास निर्माण के कारण सड़क ‘S’ वक्र बन गया है। इससे दृश्यता कम हो गई है और वहाँ लगातार दुर्घटनाएँ हो रही हैं। निरीक्षण रिपोर्ट में ऐसी 24 इमारतों की पहचान की गई है।

इन लोगों ने अधिसूचित क्षेत्र में निर्माण के लिए PWD से कोई अनुमति नहीं ली थी। हलफनामे में अधिकारी का एक पत्र भी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि किलोमीटर 38 पर भवन के निर्माण के लिए जिला मजिस्ट्रेट बहराइच के कार्यालय से कोई अनुमति जारी नहीं की गई थी। इसके बाद निरीक्षण रिपोर्ट में सूचीबद्ध 23 व्यक्तियों को नोटिस जारी किए गए।

इस नोटिस एवं ध्वस्तीकरण अभियान के खिलाफ ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अताउरहमान मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने राज्य सरकार से हलफनामा दायर कर संबंधित सड़क पर निर्माण के लिए स्वीकृत मानचित्रों की संख्या निर्दिष्ट करने को कहा था।

दशहरा के दिन माता दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के दौरान रामगोपाल मिश्रा की हत्या के अगले दिन यूपी के PWD विभाग ने इस हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त अब्दुल हमीद सहित अन्य आरोपितों को नोटिस जारी किया था। अब्दुल हमीद महरागंज के महसी का रहने वाला है। इन लोगों ने सड़क के किनारे अवैध रूप से अतिक्रमण कर रखा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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