इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईद के मौके पर मस्जिद और ईदगाह खोलने के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पहले यूपी सरकार से मस्जिदें खोलने की अर्जी लगाई जाए, यदि वहाँ खारिज कर दिया जाता है, या फिर लटकाए रखा जाता है तभी वह हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। बिना सरकार को अर्जी दिए सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर नहीं की जा सकती। इस तरह से सीधे हाईकोर्ट आना ठीक नहीं है।
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है। दरअसल याचिकाकर्ता ने सरकार के समक्ष अपनी माँग रखे बगैर जनहित याचिका दायर कर मस्जिदों को खोलने की माँग की थी। जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि शाहिद नाम के एक शख्स ने ईद की नमाज के लिए ईदगाह व जुमे की नमाज के लिए एक घंटे मस्जिदों को खोलने को लेकर जनहित याचिका लगाई थी। अर्जी में दलील दी गई थी कि जमात में ईद और जुमे की नमाज होती है।
इसके साथ ही अर्जी में जून माह तक जुमे की नमाज के लिए भी अनुमति माँगी गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि ईद के दिन मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ना जरूरी होता है। अगर ऐसा न किया जाए तो इबादत पूरी नहीं होती है।
गौरतलब है कि शुक्रवार (15 मई, 2020) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद से अजान पर बड़ा फैसला देते हुए कहा था कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। इसके लिए कोर्ट ने तर्क दिया था कि लाउडस्पीकर के आने से पहले मस्जिदों से मानव आवाज में अजान दी जाती थी। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है।
बता दें कि कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते सभी धर्मस्थल बंद हैं। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी लोगों से घरों पर रहकर नमाज अदा करने की अपील की है। इदारा-ए-शरिया दारुल इफ्ता वल कजा फिरंगी महल के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने फतवा जारी कर अलविदा जुमा और ईद में नमाज अपने घरों में अदा करने का ऐलान किया है।
इसी प्रकार दारुल उलूम देवबंद ने भी नमाज अदा करने को लेकर मुस्लिमों की रहनुमाई करते हुए फतवा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि शासन-प्रशासन के निर्देशों पर अमल करते हुए जुमे की तरह ही ईद की नमाज घरों पर अदा करें। यदि मजबूरी में कोई नमाज अदा नहीं कर पाया तो उनके लिए नमाज-ए-ईद माफ होगी।